नई दिल्ली। बीते दो वर्षाें से पूरी दुनिया कोरोना की मार झेल रही है। एक तरफ जहां हर साल एक नए वेरिएंट के साथ ये महामारी लोगों को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी कमजोर कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में इंसानों के बीच तेजी से फैल रहे एक सुपरबग ने पूरी दुनिया को फिर से चिंता में डाल दिया है। मेडिकल साइंस के लिए यह बैक्टीरिया सुपरबग पिछले कुछ सालों में एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। ऐसे में कोविड-19 का संक्रमण इसे और ज्यादा खतरनाक बना रहा है। मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित स्टडी बताती है कि अगर ये सुपरबग (Superbug Bacteria) इसी रफ्तार से फैलता गया तो इसके कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।
क्या है सुपरबग? | Superbug Bacteria
यह बैक्टीरिया का ही एक रूप है। ये इंसान के लिए घातक है। ये बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट का स्ट्रेन है। जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स समय के साथ बदल जाते हैं तो उस वक्त उन पर दवा असर करना बंद कर देती है। तो सुपरबग उस तरह की स्थिति है जब मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट के सामने दवा बेअसर हो जाए।
कैसे फैलता है ये खतरनाक बग | Superbug Bacteria
सुपरबग एक से दूसरे इंसान के त्वचा संपर्क, घाव होने, लार और यौन संबंध बनाने से फैलता है। एक बार सुपरबग के इंसान के शरीर में होने पर मरीज पर दवाएं असर करना बंद कर देती हैं। फिलहाल सुपरबग की कोई दवाई मौजूद नहीं है लेकिन सही तरीके अपना कर इसकी रोकथाम की जा सकती है।
सुपरबग के प्रकोप से ऐसे बचें
- सबसे पहले हाथों को साबुन और पानी से धोएं
- हाथ धोने के लिए हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
- खाने के सामान को साफ जगह पर रखें
- भोजन को अच्छी तरह से पकाएं, साफ पानी हो इस्तेमाल
- बीमार लोगों के संपर्क से बचें
- डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंटीबायोटिक दवा का उपयोग
- एंटीबायोटिक दवाओं को दूसरों के साथ साझा नहीं करना
कोरोना और सुपरबग की जुगलबंदी से मचा कोहराम
कोरोना महामारी के बीच कुछ दिनों पहले ही सुपरबग की वजह से हो रही मौतों पर लांसेट ने स्टडी की है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में आईसीएमआर ने 10 अस्पतालों में अध्ययन किया और पाया कि कोरोना वायरस के बाद से लोग ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने लगे हैं। एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल और सुपरबग के कारण हालात और ज्यादा खराब हुए हैं। कोरोना से संक्रमित होने वाले लगभग 50 फीसदी से ज्यादा कोविड मरीजों को इलाज के दौरान या बाद में बैक्टीरिया या फंगस के कारण इन्फेक्शन हुआ और उनकी मौत हो गई। स्टडी की माने तो दुनिया में एंटीबायोटिक्स का इस्तेंमाल इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो मेडिकल साइंस की सारी तरक्की शून्य हो जाएगी।
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