क्षेत्र को नशा मुक्त करने का लिया संकल्प
- 147 मानवता भलाई कार्यो को गति देते हुए 250 से अधिक जरूरतमंदों को बांटे गर्म वस्त्र
हिसार। (सच कहूँ न्यूज) सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का 104वां पावन अवतार माह रविवार को हिसार में मानवता भलाई के कार्य कर बड़ी धूम-धाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शहर के सेक्टर 1-4 में हिसार जोन की ओर से आयोजित इस नामचर्चा में उमड़े साध-संगत के अटूट प्रेम व श्रद्धा के समक्ष स्थानीय साध-संगत द्वारा किए गए सभी प्रबंध बोने साबित हुए और नामचर्चा शुरू होने से पहले ही पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया।
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इस दौरान पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं से डेरा सच्चा सौदा द्वारा समाज को नशा मुक्त करने के लिए चलाई जा रही डेप्थ मुहिम (ध्यान, योग और स्वास्थ्य द्वारा अखिल भारतीय नशा मुक्ति अभियान) के तहत लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया तथा उपस्थितजनों ने अपने दोनों हाथ उठा कर क्षेत्र को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया। नामचर्चा में पूज्य गुरु जी द्वारा भेजा गया रूहानी पत्र पढ़कर सुनाया गया। जिसको सुनकर साध-संगत की आंखें नम हो गई। रूहानी पत्र में पूज्य गुरु जी ने सरकार द्वारा निर्धारित कोरोना नियमों की पालना करने का आह्वान किया । साथ ही डेप्थ मुहिम के तहत लगातार लोगों का नशा छुड़ाने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा पूज्य गुरु जी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता हीरा बैन के निधन पर शोक जताया है और कहा कि प्रधानमंत्री जी को यह दुख सहने की परमात्मा शक्ति प्रदान करें।
इस दौरान 147 मानवता भलाई कार्यो को गति देते हुए 250 अति जरूरतमंदों को गर्म कपड़े (जर्सी)बांटी गई। इस कार्य की शुरुआत नाम चर्चा में विशेष रूप से पहुंचे हिसार नगर निगम के मेयर गौतम सरदाना ने की। नामचर्चा पंडाल में 9 बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर पूज्य गुरु जी के अनमोल वचन चलाए गए। जिसे साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया। दोपहर 12 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा बोलकर नामचर्चा की शुरुआत की गई। बाद में कविराजों ने सुंदर भजन वाणी के माध्यम से सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। पावन अवतार माह की खुशी में आयोजित नामचर्चा को लेकर पूरे पंडाल को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सुंदर तरीके से सजाया गया था। इसके अलावा स्टेज पर फूलों से बनाई गई रंगोली सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
नामचर्चा में उपस्थित साध-संगत को संबोधित करते हुए फरमाया कि मालिक के प्यार में और दुनियावी प्यार में बहुत अंतर है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि दुनियावी रिश्ता शायद ही कोई ऐसा हो, जो स्वार्थ के बिना हो। दुनियावी प्यार ऐसा होता है जिसमें इंसान मालिक से प्यार नहीं करता। मालिक के प्यार में कभी इंसान को अपने दिलो-दिमाग में नेगेटिविटी नहीं पालनी चाहिए। साथ ही पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि दुनियावी प्यार में कब तकरार हो जाए, पता नहीं चलता। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि हमने अनुभव किया, महसूस किया है कि आज का युग तेजी से बदल रहा है। पहले कहते थे कि माता कुमाता नहीं हो सकती, वो भी अब होने लग गया है।
कई जगहों पर ऐसी-ऐसी बच्चियां देखी, जिन्होंने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। बड़ा दर्द हुआ सुनके कि उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्चों को खत्म किया, अपने बहन-भाईयों को खत्म किया, अपने मां-बाप को खत्म किया बड़ा दर्द हुआ ऐसा सुनके। इसी तरह से लड़कों का भी सुना हमने। रिश्ते-नातों का प्यार बेहद स्वार्थी होता चला जा रहा है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कभी बिना स्वार्थ के प्यार के किसे-कहानियां हम सुना करते थे। सूफियत में क्यू हीर-रांझा का जिक्र आता है, के बारे में बताते हुए पूज्य गुरु जी ने कहा कि उनका शारीरिक नहीं आत्मिक प्यार ज्यादा था, उसे रूहानी प्यार कह देते है, वो ज्यादा था। इसलिए उनका जिक्र कहीं न कहीं आ जाता है रूहानियत और सूफियत में। पूज्य गुरु जी ने कहा कि उनको जो लिखने वाले है, उन्होंने भी कई जगह सूफियत की बात शामिल की हुई है।
नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध संगत द्वारा रक्तदान को लेकर चलाई जा रही मुहिम के बारे में एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जिसमें दिखाया गया कि साध संगत किस प्रकार जरूरतमंदों के लिए रक्तदान करती है।
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