अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर रोक का फैसला मानवता विरोधी, इस्लाम में महिलाओं एवं पुरुषों को बराबरी का हक
कैराना। (सच कहूँ न्यूज) कस्बे की अल कुरआन एकेडमी के निदेशक मुफ्ती मुहम्मद अतहर शम्सी ने अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में तालिबानी हुकूमत द्वारा मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए जाने वाले फैसले की कड़ी भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि कुरआन की सूरत तीन की आयत संख्या-195 के अनुसार महिलाओ और पुरुषों को बराबर अधिकार प्राप्त है। केवल लिंग के आधार पर महिला और पुरुष के अधिकारों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। तालिबान का यह फैसला कुरआन के खिलाफ है, जो मानवाधिकारों का हनन है। कहा कि मुस्लिमों को चाहिए कि वह तालिबान के इस फैसले की कड़ी निंदा करें, ताकि देश में महिला शिक्षा का प्रसार हो।
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जिस समाज में महिलाएं शिक्षित नहीं होती, वह समाज कभी तरक्की नहीं करता। उन्होंने कहा कि पैसा कमाने और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाने का नाम तरक्की नही है, बल्कि समाज में महिलाओं और मजलूमों को उनके अधिकार देने का नाम है। तालिबान इस्लाम का जो मॉडल पेश कर रहे हैं, वह पूरी तरह इस्लाम के खिलाफ़ है। अल कुरआन एकेडमी के टीम मेंबर खावर सिद्दीकी, हबीबा शम्सी तथा प्रवेज़ आलम आदि ने भी तालिबान के इस फैसले को कुरआन के खिलाफ़ और प्रगति की राह में रुकावट बताया। उन्होंने विश्वभर की सम्पूर्ण मुस्लिम बिरादरी को एकजुट होकर इस फैसले का पुरजोर विरोध करने की अपील की है।
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