चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। सुशासन को आधार मान और सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग से व्यवस्था परिवर्तन करने में लगे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल अब प्रदेश के बीपीएल परिवारों को नव वर्ष पर नए पीले राशन कार्ड का तोहफा देंगे। ये पीले राशन कार्ड ऑनलाइन माध्यम से 28.93 लाख से अधिक बीपीएल परिवारों को दिए जाएंगे। इस प्रकार मुख्यमंत्री ने पछली सरकारों द्वारा बीपीएल कार्ड के नाम पर हुई राजनीति को खत्म कर इस जटिल समस्या का समाधान करने की पहल की है। मुख्यमंत्री प्रदेश के 28.93 लाख से अधिक बीपीएल परिवारों को एक क्लिक के माध्यम से पीले राशन कार्ड का तोहफा नव-वर्ष पर देने जा रहे है।
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भ्रष्टाचार को किया खत्म
प्रदेश में पीले राशन कार्ड बनाने के नाम पर जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए इस कार्य को व्यवस्थित करने की पहल की और अब प्रदेश में गरीब परिवारों को पीले राशन कार्डों का सीधा लाभ मिल पायेगा। सबसे पहले मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों के बीपीएल सर्वे को रद्द कर नए सिरे से सर्वे के आदेश दिए। उसके बाद अलग से नागरिक सूचना संसाधन विभाग का गठन किया और बीपीएल परिवार के आंकड़ों का मिलान खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से करवाया।
‘एक देश-एक राशन कार्ड योजना’ को हरियाणा देने जा रहा है मूर्तरूप
मनोहर लाल के लगातार सतत प्रयासों के चलते प्रधानमंत्री की हर योजना को पिछले 8 वर्षों से हरियाणा ने देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे पहले लागू करने की पहल की है। इन योजनाओं में स्वामित्व, पढ़ी- लिखी पंचायतें, आॅनलाइन अध्यापक स्थानांतरण पॉलिसी, परिवार पहचान पत्र आदि शामिल हैं जिन्हें देश के स्तर पर पहचान मिली है। स्वामित्व योजना को तो स्वयं प्रधानमंत्री ने अन्य राज्यों से अपनाने की अपील तक की है।
अंत्योदय ही मुख्यमंत्री का मूल मंत्र
मुख्यमंत्री ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय के मूल मंत्र को सही मायने में चरितार्थ किया है। चाहे वह सरकारी नौकरियां देने की बात हो या किसी भी योजना का लाभ, मुख्यमंत्री ने अंत्योदय को ही सर्वोपरि रखा है। हाल ही में हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के माध्यम से की जा रही पीजीटी-टीजीटी की भर्ती में भी प्राथमिकता देते हुए 1 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले अंत्योदय परिवारों के आवेदनकर्ताओं को 50 अंक तथा 1.80 लाख वार्षिक आय वालों को 40 अंक और उसके बाद वार्षिक आय के अनुसार 30, 20 व 10 अंक देने का प्रावधान किया है।
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