मात्र साढ़े 3 मिनट में एक एकड़ फसल में छिड़काव करता है ड्रोन
ओढां (सच कहूँ न्यूज)। कहावत है कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है। लोगों ने नए-नए सिस्टम की खोज कर न केवल समय की बचत कर ली है बल्कि कार्य को और भी आसान बना दिया है। गांव पन्नीवाला मोटा में ड्रोन लेकर खेती कार्य करने पहुंचे किसान पुत्र को देखकर ग्रामीणों ने अचम्भा जाहिर करते हुए इसे किसानों के लिए बेहद कारगर सिस्टम बताया। इस ड्रोन ने घंटों में होने वाले कार्य को चंद मिनटोंं में ही पूरा कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इस किसान से सच कहूँ संवाददाता राजू ओढां ने विशेष बातचीत की।
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हरियाणा सीमा के साथ सटे राजस्थान के गांव नाईवाला निवासी किसान के बेटे आशीष चौधरी ने बताया कि बी.टेक करने के बाद उसने चंडीगढ़ में रहकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग शुरू कर दी। जहां उसने वर्ष 2019 से इजराइल व ताइवान तकनीक पर आधारित ड्रोन सिस्टम सर्च करना शुरू किया, जिससे किसानों का कृषि कार्य आसान हो जाए। लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए परमिशन नहीं दी गई थी। 23 मार्च 2022 कोे सरकार ने इसके नियम निर्धारित करते हुए परमिशन दे दी। आशीष ने बताया कि उसने दिल्ली में डायरेक्टर जनरल आॅफ सिविल एवीएशन विभाग में प्रशिक्षण प्राप्त कर मान्यता प्राप्त की। जिसके बाद आशीष ने करीब 10 लाख रुपये की लागत से एक ड्रोन खरीदा। 15 किलो वजनी ये ड्रोन 10 लीटर पानी लेकर उड़ सकता है।
किसान बोले: आसान हो गया खेती कार्य
ये ड्रोन कीटनाशकों का छिड़काव करने के साथ-साथ यूरिया का छिड़काव करने में भी सक्षम है। मौके पर मौजूद किसान नरेश डूडी, सुल्तान, मुकेश कुमार, राजेंद्र डूडी, महावीर, प्रवीण कुमार व सुरजीत कस्वां ने कहा कि इस सिस्टम से किसानों को पूरा फायदा मिलेगा। क्योंकि ठंड के मौसम में फसल में घुसकर छिड़काव नहीं करना पड़ेगा, फसल नहीं टूटेगी, समय व पैसे की बचत होगी व मजदूरों की आवश्यकता नहीं होगी। किसानों ने इसे कारगर सिस्टम बताया।
घंटों का कार्य चंद मिनटों में किया
ये ड्रोन 10 लीटर पानी लेकर उड़ता है और महज साढ़े 3 मिनट में एक एकड़ फसल में कीटनाशक का छिड़काव कर देता है। इसकी विशेषता ये है कि एक तो इसमें मजदूरों की जरूरत नहीं होती और दूसरा एक जगह बैठकर कार्य किया जा सकता है। इसके अलावा धुंध या रात के समय में भी ये अपना काम बखूबी करता है। छिड़काव करते समय पूरी वीडियो ये मोबाइल फोन में दिखाता है। अगर एक साथ कई एकड़ फसल है तो ये ड्रोन उसके चारों ओर खाली चक्कर लगाकर उसका नक्शा फीड कर लेता है। जिसके बाद उस जगह पर दोबारा छिड़काव करना हो तो वह बखूबी बता देगा। ये ड्रोन जिस जगह एक बार छिड़काव कर चुका होगा वहां दोबारा से चक्कर नहीं लगाएगा।
फसल बड़ी होने के बाद अगर उसमें छिड़काव करते हैं तो फसल टूटने से किसानों का नुकसान होता है। इस स्थिति में ड्रोन से छिड़काव करना सुविधाजनक है। इसके अलावा किसान का अतिरिक्त खर्च व समय भी बचेगा। भविष्य में इस तरह की तकनीक खेती के लिए कारगर साबित होगी।
– रमेश सहु, सहायक तकनीक अधिकारी (कृषि विभाग ओढां)।
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