कैथल (सुनील वर्मा)।
कैथल (सुनील वर्मा)। शहर के सैक्टर 18 स्थित हुड्डा ग्राउंड, समीप सिविल अस्पाल में वीरवार को डेरा सच्चा सौदा की ओर से कैथल जोन की विशाल रूहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें कैथल सहित आस-पास के ब्लॉकों से बड़ी तादाद में साध-संगत ने भाग लिया। नामचर्चा में साध-संगत के जोश, जुनून, दृढ़ विश्वास के आगे करीब 12 बजे तक नामचर्चा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया औैर नामचर्चा की समाप्ति तक साध-संगत का आना अनवरत जारी रहा। पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए स्थानीय साध-संगत की ओर से 147 मानवता भलाई कार्यो को गति दी गई। इस दौरान नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग ने शिरकत की और डेरा सच्चा सौदा द्वारा किये जा रहे 147 मानवता भलाई कार्यों की सराहना की। इस दौरान चेयरपर्सन सुरभि गर्ग ने स्थानीय साध संगत द्वारा सर्दी के मौसम के मद्देनजर जरूरतमंद गरीब बच्चों को गर्म वस्त्र बांटने के कार्य की शुरूआत की।
नामचर्चा पंडाल को पूज्य गुरु जी के पावन सुंदर स्वरूपों, होर्डिंग्स से मनमोहक तरीके से सजाया गया। सुबह 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर नामचर्चा की शुरूआत की गई। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने सुंदर-सुंदर भजन बोलकर साध-संगत को लाभान्वित किया। नामचर्चा के दौरान अनेक डेरा श्रद्धालुओं ने पूज्य गुरुजी के वचनों पर अमल करते हुए उनके जीवन में आए परिवर्तन व अपने साथ हुए साक्षात चमत्कार साध-संगत के साथ साझा करते हुए सतगुरु पर दृढ़ विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। इसके पश्चात पंडाल में लगाई गई पांच बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन रिकॉर्डेड अनमोल वचनों को श्रवण किया।
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहा कि प्यार, मोहब्बत की चर्चा जब-जब भी होती है उसका मतलब बेगर्ज, निस्वार्थ भावना से आत्मा का आत्मा से और आत्मा का परमात्मा से प्यार। यही सिखाया सतगुरु ने। आपस में प्रेम करो, लेकिन गर्ज नहीं होनी चाहिए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि यहां गर्ज आती है वहां प्यार कमजोर पड़ जाता है। पर इस दुनिया में तो गर्ज के बिना कोई प्यार जानता ही नहीं करना। शुरू से निगाह मारिए, माँ-बेटे का प्यार। बच्चा समझदार नहीं, समझ नहीं और माँ प्यार में डूबी है। लेकिन बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो उसे समझ आने लगती है। माँ-बाप को ये होता है कि बड़ा होकर हमारा नाम रोशन करेगा। बड़ा होकर ये तरक्की करेगा, बड़ा होकर हमें बुलंदियों पर ले जाएगा। पर क्या ऐसी शिक्षा आपने उसके अंदर भरी? क्या ऐसे संस्कार आपने उनके अंदर दिए? उसकी तरफ ध्यान नहीं है। लेकिन एक गर्ज, एक स्वार्थ मात्र है, कि हाँ ये ऐसा होगा, वैसा होगा, ये होगा। तो हम ये नहीं कहते कि ये रिश्ते कोई गलत हैं, सही हैं अपनी जगह। हमारी ये संस्कृति है कि पहले बच्चे की संभाल माँ-बाप करते हैं और बाद में बुजुर्गों की संभाल बच्चे करते हैं।
लेकिन हमारा कहने का मतलब, अगर आप अपने बच्चों को बहुत ही अच्छा बनाना चाहते हैं तो उसके अंदर संस्कार भरिए। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आगे फरमाया कि बेपरवाह जी ने जो प्यार, मोहब्बत की प्रथा चलाई, सत्संगी को प्रेमी कहा जाता है। तो किसका प्रेमी? ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, राम का, सतगुरु का। जो मालिक की बनाई सृष्टि से बेगर्ज, नि:स्वार्थ भावना से प्यार करे, मालिक की बनाई औलाद के लिए भला सोचे और भले के साथ-साथ इंसानियत को कभी मरने ना दे। प्यार का रास्ता, जो राम वाला रास्ता है, प्रेम का रास्ता, जो प्रभु का रास्ता है, इस कलियुग में कठिन है, मुश्किल है। लोग बड़े, ताने, उलाहने देते हैं। लोग रोकते हैं, टोकते हैं पर आपने तो उधर ध्यान नहीं ना देना। कौन क्या कहता है, क्या नहीं कहता ये उन पर छोड़ दीजिये। हर इन्सान मर्जी का मालिक है और हमेशा हम आपको पहले भी कहते रहे हैं कि इन्सान को पकड़कर रोक लेते हैं कि भाई इधर नहीं जाना, पर ये ढाई-तीन र्इंच की जुबान है ना, इसको रोक पाना बड़ा मुश्किल है। तो कोई क्या कहता है? कोई क्या बोल रहा है? उस तरफ ध्यान नहीं देना, आपने ध्यान देना है कि हमें हमारे गुरु, पीर-फकीर ने सिखाया क्या है? और हमें चलना किधर है, ध्यान सिर्फ उधर होना चाहिए। प्यार-मोहब्बत के रास्ते पर दृढ़ता से चलते जाइए।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ना अहंकार करो, ना आपके शब्दों में कोई ऐसा अहंकार झलकना चाहिए, क्योंकि ये तो शिक्षा ही नहीं, ना किसी को बुरा बोलो, ना किसी को बुरा कहो। हाँ, अपने प्यार, मोहब्बत के रास्ते पर आप हौंसले के साथ, आप दृढ़ता के साथ आगे बढ़ते जाइये। यही बेपरवाह शाह सतनाम जी दाता ने सिखाया है। और आपको पहले की तरह हमेशा कहते हैं तैनू यार नाल की तैनू चोर नाल की, तू अपनी निबेड़ तैनूं होर नाल की। तत्पश्चात सुमिरन कर और प्रसाद बांटकर नामचर्चा का समापन किया गया। अंत में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा 147 मानवता भलाई कार्यो को गति देते हुए जरूरतमंद बच्चों को गर्म वस्त्र वितरित किए। नामचर्चा के दौरान एमएसजी आईटी विंग के सेवादार ने उपस्थित साध-संगत को पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां व डेरा सच्चा सौदा के आॅफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
नामचर्चा के दौरान कविराज भाईयों ने दिन रात दिल से सेवा कमाए…, कोई कोई जाने कैसा नशा है नाम का…., बार-बार सजदे करा मैं…, नाम छूटे ना प्रेम टूटे ना, नाम छुट्टे ना जी, प्रेम टुटे ना चरणों से तेरे…, जे सुख चौहंदा जिंगदी च…, जिसने जपा नाम ना,वो जन्म गवां गया,जिसने जपा नाम वो लाभ है उठा … बोले गए जिस पर साध-संगत ने नाच गाकर अपनी खुशी का इजहार किया।
नामचर्चा में पहुंची साध-संगत के लिए स्थानीय साध-संगत द्वारा व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए। साध-संगत के लिए लंगर-भोजन, पीने के लिए पानी व प्रसाद की व्यवस्था की गई।
नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा सप्ताह में एक दिन उपवास रखकर बचा हुआ अनाज जरूरतमंदों में बांटने के लिए शुरू की गई फूड बैंक मुहिम संबंधी एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। जिसमें दिखाया गया कि किस प्रकार डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु जरूरमतमंद लोगों की मदद करते है। डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से समाज के अन्य लोगों को भी जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया गया। ताकि कोई भूखा पेट ना सोए।
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