राजेश कुमार कुरूक्षेत्र से अपने बचपन में हुई पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज की कृपा का एक प्रत्यक्ष प्रमाण इस प्रकार वर्णन करता है :-
सन् 1975 की बात है। जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था। एक दिन मुझे बहुत तेज बुखार हो गया। मेरी माता सत्संग पर दरबार में आई हुई थी। सत्संग के बाद साध-संगत के दूसरे ट्रक तो अगले दिन सुबह 8-9 बजे के करीब घर पहुंच गए, परंतु वह ट्रक नहीं पहुंचा। मैं और मेरे पिता बहुत ही परेशान थे। एक तो मुझे बहुत ही तेज बुखार था और दूसरा मुझे अपनी मां की भी बहुत याद आ रही थी। मैं मालिक को याद करके सुमिरन करने लगा और अपनी आंखें बंद कर ली।
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उसी समय पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने मुझे दर्शन दिए और फरमाया, ‘‘बेटा! तूने घबराना नहीं, कोई चिंता की बात नहीं है। कैथल नहर के पास ट्रक का एक्सीडैंट हो गया है। तेरी माता ठीक-ठाक है। वह शाम को चार बजे घर पहुंच जाएगी।’’ उपरोक्त वचन प्रेमी ने स्पष्ट सुने और उसने कुल मालिक पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के दर्शन भी किए, जो कि बिल्कुल उसके सामने खड़े थे। पूजनीय परम पिता जी के आशीर्वाद से मेरा बुखार तुरंत उतर गया। मैं बहुत ही खुश था और मैंने यह सारी बात अपने पिता को भी बता दी।
पूजनीय परम पिता जी की दया मेहर से ठीक चार बजे मेरी मां घर पर पहुंच गई। मैंने अपनी माता के कुछ बताने से पहले ही उन्हें सब कुछ ज्यों का त्यों बता दिया। प्रेमी ने बताया कि पूजनीय परम पिता जी उसे अपने नूरी दर्शन देकर गए हैं। सच्चे पातशाह जी ने यह भी बताया था कि उस एक्सीडैंट में उसकी माता बिल्कुल ठीक है। पूजनीय परम पिता जी की दया मेहर रहमत से मेरा बुखार भी उसी समय उतर गया था। यह सब पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज की महानता है जो अपने बच्चों का हर समय इतना ख्याल रखते हैं।
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