सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां व आदरणीय ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां गत 25 नवंबर को शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (उत्तर प्रदेश) से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से ऑनलाइन रूबरू हुए। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने आमजन द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया।
सवाल : गुरु जी आजकल युवा अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहना तो पसंद करते हैं जबकि बुजुर्गों के साथ रहना पसंद नहीं करते। जबकि बुजुर्ग अवस्था में माता-पिता को उनकी जरूरत होती है। कृप्या मार्गदर्शन करें।
पूज्य गुरु जी का जवाब : बिल्कुल, बच्चों और नौजवानों को अपने माँ-बाप के साथ रहना चाहिए। अभी हमने जो डिजिटल फास्टिंग शुरू की है, उससे जुड़ा एक बच्चे का अनुभव आपको बताते हैं। उसने बताया कि गुरु जी मैं हमेशा मोबाइल में व्यस्त रहता था। जबसे आपने सायं 7 से रात 9 बजे तक मोबाइल और टीवी से दूर रहकर परिवार से बातें करने के लिए कहा है तो मैंने परिवार से बातें करना शुरू की तो तब मुझे पता चला कि मेरे घर में तो हीरो भरे पड़े हैं। जो मैं बाहर ढूंढा करता था, वो मुझे मेरे घर में मिल गए। क्योंकि आपके माँ-बाप, बुजुर्ग जो हैं, उनको तज़ुर्बा है जिन्दगी का। बहुत सारी नॉलेज (जानकारी) आप किताबों से ले सकते हैं, बहुत सारी नॉलेज आप अपने यार-दोस्त, मित्रों से ले सकते हैं।
लेकिन एक नॉलेज ऐसी होती है, जो उम्र सिखाती है, जैसे उम्र बढ़ती है आदमी वो सीखता चला जाता है। तो इसलिए आपके माता-पिता, बुजुर्ग आपके लिए बहुत-बहुत प्रेरणास्रोत हो सकते हैं। उनके पास ज्ञान का भंडार होता है। आप उनका साथ दें और ये हमारी संस्कृति भी है। बचपन में माँ-बाप बच्चे का टट्टी-पेशाब उठाते हैं और बुढ़ापे में अगर माँ-बाप कमजोर हो जाते हैं तो बच्चे सहारा बनते हैं। ये हमारी ऐसी संस्कृति है, जो पूरे वर्ल्ड में नंबर वन है। तो हम सभी से हाथ जोड़कर विनती करेंगे कि आप अपने माँ-बाप के साथ प्यार से पेश आया करें और उनका सत्कार करें, उनके साथ रहा करें, क्योंकि इकट्ठे रहेंगे तो बहुत सारी चीजें जो आप बाहर ढूंढते हैं, हो सकता है वो घर से ही मिल जाएं।
सवाल : गुरु जी दिमाग रूह का सबसे अच्छा मित्र है या सबसे बड़ा दुश्मन?
पूज्य गुरु जी का जवाब : ये बात कहीं न कहीं सही बैठती हैं जब दिमाग मन की बात सुनने लग जाता है, जो कि ज्यादातर सुन रहा है, नेगेटिविटी, तो वो आत्मा के लिए घातक हो जाता है। और जब दिमाग आत्मा की आवाज सुनने लगता है तो आत्मिक शांति ही नहीं बल्कि आत्मबल भी देता है, जिससे इन्सान ऊँचाइयों को छू सकता है। खुशियाँ ले सकता है।
सवाल : गुरु जी पेपरों की तैयारी कैसे करें?
पूज्य गुरु जी का जवाब : फोकस करके आप पढ़ाई करें। हमारे अनुसार ये सबसे बढ़िया तरीका है, जो हम भी करते रहे। रात को जल्दी सो जाएं और अर्ली मोर्निंग उठकर पढ़ाई करें, क्योंकि जब बिल्कुल थकावट नहीं होगी, माइंड फ्रैश होगा तो आप पढ़ाई करें, यानी आप उठें, पानी पिएं, फ्रैश हो लें, नहाना है तो नहा लें, नहीं तो मुँह धो लें और फिर आप जो पढ़ेंगे आपकी मेमोरी में बढ़िया फिट बैठेगा। पर नींद पूरी ले लें आप। इस हिसाब से सैटिंग कर लें। और दूसरा बोलकर याद करें, लिखकर याद करें और उसको एक इमेज बनाकर अपने माइंड (दिमाग) में फिट करें तो इन तीनों तरीकों से अगर आप पढ़ाई करोगे तो यकीनन वो सवाल और उनके जवाब अच्छी तरह से आपके दिमाग में बैठ जाएंगे।
सवाल : ‘रूह दी’ जब भी आप सोचती हैं तो दिल की मानना पसंद करती हैं या दिमाग की?
रूह दी का जवाब : मैं मेडिटेशन करके जो मेरा पहला विचार आता है उस पर चलना पसंद करती हूँ। मुझे लगता है कि शायद वो आत्मा की आवाज होती है। तो दिमाग और दिल शायद गलत हो सकते हैं।
सवाल: गुरु जी एफडीडी की रूचि किसमें है?
पूज्य गुरु जी का जवाब : हमारी दोनों की रूचि वेल्फेयर में ही हंै, और जितना भी भला कर सकें, दीन-दुखियों की मदद कर सकें। हम भी दिन-रात मानवता भलाई के कामों में लगे रहते हैं और बिटिया भी उन्हीं चीजों को फॉलो करती है कि पापा ये काम करना रहे हैं तो मैंने भी पापा वाले अच्छे कार्य करने हैं और करवाने हैं, साथ देना है। हमारा सिर्फ और सिर्फ मानवता भलाई का ही कार्य है और सबका भला करना। यही सोच रहे थे कि उसको और ज्यादा कैसे करें। इस पर हम बाप-बेटी चर्चा भी करते हैं।
सवाल : गुरु जी बच्चों को शुरू से ही मानवता और आध्यात्म से संबंधित जानकारी कैसे दें, ताकि वे बुरी आदतों में ना पड़ें?
पूज्य गुरु जी का जवाब : शुरुआत से ऐसा करना चाहते हैं तो माँ बच्चे को दूध पिलाने के साथ सुमिरन करे, भक्ति करे और प्रार्थना करे कि हे प्रभु! हे राम! ऐसा कुछ कीजिये कि मेरा बेटा आने वाले समय में जैसे-जैसे बड़ा हो, इन्सानियत का पुजारी हो, नेक इन्सान बने, तरक्की करे। तो क्योंकि ये कहावत है हमारे धर्मों में जो सच्चाई लिखी हुई है, जैसा खाओ अन्न, वैसा होए मन। तो साइंस भी इन चीजों को मानने लगी है। और इस तरह से जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है तो सुमिरन करके ही खाना बनाइये, प्रार्थना करके बनाइये कि वो अच्छा इन्सान बने और तरक्की करे, और उसको बताते भी रहिये। तो यकीन मानो वो जरूर अच्छा बनेगा और जरूर तरक्की करेगा।
सवाल : गुरु जी आपने इस बार आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से डिजिटल फास्टिंग जैसे अनेक अद्भुत प्रण करवाए, तो ऐसे यूनिक आइडिया कहां से आते हैं आपके पास?
पूज्य गुरु जी का जवाब : ये हमें भी हैरानी होती है कि ये आइडिया आते कहां से हैं, कई बार सोचते हैं। तो आइडियाज देने वाले हमारे दाता, रहबर शाह सतनाम जी, शाह मस्तान जी हैं, ओउम, हरि, अल्लाह, राम जी हैं, जो ख्याल देते हैं हमेशा, वो भगवान, परमात्मा। क्योंकि हमारी रूचि ही मानवता भलाई में है। तो वो ख्याल सतगुरु उसी को देता है, जो इस बारे में सोचता है। तो मालिक से यही मांगते रहते हैं कि मालिक! कैसे तेरी रियाया, प्रजा का भला करें? कैसे तेरे बच्चों का भला करें? कैसे उनकी बुराइयां छुड़वाएं। तो सतगुरु ख्याल देते रहते हैं।
सवाल : गुरु जी आजकल टैक्नोलॉजी के मामले में बच्चे काफी एडवांस हो रहे हैं और माता-पिता को इस बारे में इतना ज्यादा पता नहीं होता। तो ऐसे में बच्चे सोचते हैं कि उनके माता-पिता को तो कुछ पता ही नहीं है तो इस गैप को कैसे दूर करें?
पूज्य गुरु जी का जवाब : काफी बच्चों ने हमें ये बताया कि उन्होंने सायं 7 से रात 9 बजे तक का वक्त अपने माता-पिता के साथ बिताया। तो उन्होंने बताया कि जिस घर में उन्हें खाने को दौड़ता हुआ सा और अकेलापन महसूस होता था, या यूं लगता था कि टैंशन आ रही है, उसी घर में खुशियां आने लग गई, शांति आने लग गई। तो आप परिवार से मिलकर देखो और इकट्ठे बैठा करो तो यकीन मानों आपको जरूर खुशियां मिलेंगी।
सवाल : गुरु जी आपने जो सॉन्ग निकाला है ‘चैट पे चैट’, वो बिल्कुल सही है। लेकिन अब कैसे रिकवर करें जो बन गए हैं रैट, हो गए हैं फैट और जिनके चढ़ गए हैं कैप?
पूज्य गुरु जी का जवाब : एक ही तरीका है मेडिटेशन करो। ये बॉडी इतनी पावरफुल बनाई है भगवान ने, अगर लगातार मेडिटेशन और एक्सरसाइज, दोनों को इकट्ठा कर लें। तो यकीन मानो आप रिवर्स कर सकते हो। चश्मे उतर जाते हैं, पतले से थोड़ा मोटे हो जाएंगे और अगर आप ज्यादा एक्सरसाइज करेंगे तो मोटापा भी खत्म हो जाएगा। और खाने पर थोड़ा कंट्रोल रखें। तली हुई चीजें ज्यादा ना खाएं और फास्ट फूड आप जो ज्यादा खाते हैं वो मोटापे का घर है। देसी खाना खाकर देखिये। अपने देश की संस्कृति इसलिए भी नंबर वन है। तो उससे फैट उतना नहीं आता। हरी सब्जियां खाइये, सलाद खा लीजिये, फ्रूट खा लीजिये। तो मोटापा खाना छोड़कर नहीं बल्कि खाकर घटाएं जैसे सलाद खाएं, फ्रूट खाएं, हरी सब्जियां खाएं, दालें ले लें थोड़ी तो यकीन मानों फैट कम हो जाएगा। एक्सरसाइज जरूरी है।
सवाल। ‘रूह दी’ ऐसा कोई काम जो आप सोचती हैं कि ये रह गया है और मैंने पापा जी से सीखना है
रूह दी का जवाब : मैं तो हर दिन पापा जी से एक चीज सीखती हूँ। अगर पापा जी के टैलेंट की बात करें तो वो इतना सारा है कि मैं तो उसके मुकाबले तिनके जितना भी नहीं सीखी हूँ। जैसे-जैसे पापा जी गाइड करेंगे मैं सीखूंगी।
सवाल : गुरु जी आपके सॉन्गस हमने देखे, उनमें एक बड़ी कमाल की बात हमने देखी। उसमें राइटर भी आप हैं, सिंगर भी आप हैं, एडिटर भी आप हैं, म्यूजिक कंपोजर भी आप हैं, गुरु जी सभी चीजें आप कैसे कर लेते हैं?
पूज्य गुरु जी का जवाब : हमारे गुरु शाह सतनाम जी दाता रहबर ने वचन किए थे एक बार, कि भई हम लिखा करेंगे, हम गाया करेंगे, हम बजाया करेंगे, हम बनाया करेंगे तो उन वचनों ने ही सब कुछ किया है। वो राम जी की कृपा है, ओउ्म, हरि, दाता, रहबर, परमात्मा की कृपा है कि वो ऐसा करवा रहे हैं। करवाने वाले वो हैं। हमारे पास कोई अलग से ट्रेनिंग नहीं, कोई इंजीनियर नहीं, लेकिन हाँ उनसे अच्छा कर लेते हैं ये राम जी की कृपा है, गुरु जी की कृपा है, उनके वचन हैं।
सवाल : गुरु जी व्यापार में नुक्सान हो गया है, बहुत टैंशन चल रही है, क्या करें?
पूज्य गुरु जी का जवाब : अगर कोई टैंशन है, व्यापार में नुक्सान हो रहा है तो हमें नहीं लगता कि टैंशन से आप किसी व्यापार में आगे बढ़ पाएंगे। सबसे पहले टैंशन को ही दूर करो, कि मैंने मेहनत की है, लेकिन मेरे भाग्य में नहीं था, कोई बात नहीं। भाग्य बनाया जा सकता है, मनुष्य बना सकता है अगर राम का नाम जपे।
सवाल : गुरु जी क्या मेडिटेशन करके अपने पति को वश में किया जा सकता है?
पूज्य गुरु जी का जवाब : मेडिटेशन से आप भगवान को तो वश में कर सकते हैं। पर ये पति को वश में करने वाला कोई काला जादू या पाखंडवाद नहीं है, कि आप सोचें कि उससे ऐसा हो जाएगा। मेडिटेशन से आप भगवान को हासिल कर सकते हैं, उसकी खुशियाँ ले सकते हैं। अगर पति गुलाम वाली बात होगी तो हमारे बेटे कहेंगे कि गुरु जी ये क्या दे दिया।
वो भी शुरू हो जाएंगे कि हमने पत्नी को वश में करना है। तो इस तरह से ये क्लेश होता रहेगा और होना किसी का कुछ नहीं। भक्ति ऐसे ही चली जाएगी। तो इसलिए आप भक्ति को राम को खुश करने में लगाएं, पति को वश करने में नहीं।
सवाल : गुरु जी कई बार हम कहना कुछ चाहते हैं, पर वो बात रिप्रजेंट गलत हो जाती है, जिससे सामने वाला हर्ट हो जाता है तो ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
पूज्य गुरु जी का जवाब : पहले तोलो फिर बोलो, जल्दबाजी में कुछ नहीं बोलना चाहिए। पहले आराम से सामने वाले की सुनो। पूरी बात सुनकर फिर बोलोगे और थोड़ा सोचोगे कि मैंने क्या बोलना है तो यकीनन गलत नहीं बोलोगे। जल्दबाजी में जब आप कुछ करते हैं तो गलत बोल जाते हैं।
सवाल : गुरु जी हम भी आपके डैप्थ कैंपेन का हिस्सा बनना चाहते हैं, उसके लिए क्या करना होगा?
पूज्य गुरु जी का जवाब : डैप्थ कैंपेन का अगर आप हिस्सा बनना चाहते हैं तो आप अपने आसपास देखिए कि कोई भी नशा करने वाला मिलता है तो प्यार से, समझा कर, दवाई दिलवाकर जैसे भी संभव है, और अगर कभी सत्संग होता है, तो आप उसे सत्संग में ले जाइए, क्योंकि राम नाम से उनका नशा बहुत जल्दी छूट जाता है। क्योंकि ओउ्म, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, राम की भक्ति में जो नशा है वो बहुत ज्यादा है और जब बच्चों को वो नशा मिलने लगता है तो जो छोटे गंदगी भरे नशे हैं वो अपने आप ही छूट जाते हैं। ये हमने करोड़ों लोगों पर आजमाया है और ये सच है।
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