सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मस्ताना शाह जो भी वचन करते रहे वो ज्योे के त्यो पूरे हो चुके हैं, शाह सतनाम जी दाता रहबर जो वचन करते रहे ज्यो के त्यो पूरे हो चुके है और होते रहेंगे। सेवादारों को बोला सिमरन किया करो, टेंशन छोड़ दो। सतब्रहमचारी सेवादार भाई-बहन आया करते थे साईं शाह मस्ताना जी के समय, रहते, आना, जाना, सेवा करना, 24 घंटे में खाना नहीं मिलता था, सेवा करो जोर से, वाह भाई, वरी बल्ले, बनाओ मकान, शाबास, आपको कोक खिलाएंगे, बड़ा खुश होते कोक खिलाएंगे, बाद में क्या करते सारा मोटा सा आटा लाके जैसे रोट बनाते है उसमें गुड मिलाके फेको भाई तो उसको जैसे पाथियां होती है थेपड़ी उसमें डाल देते और वो पक जाता, आओ भाई आओ आपको कोक खिलाते है, कोक खिलाते है, आधा कच्चा है, आधा पक्का है सब कुछ बीच में अब जो श्रद्धा होती है, सतगुरु भी तो देखता है ना, वो जिसे प्यार करता है उसे अजमाता है और अजमाने के बहाने खजाने दो जहां के लुटाता है।
पूज्य गुरु जी ने मस्ताना जी महाराज का एक वाक्या बताया
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि तो सारे लाइनों में बैठ जाते ले भई कोक, ले भई कोक, खाओ भई खाओ, क्या सेवा की। कर्इं खाते गले में अटक जाता, भाग जाते और कुत्तों को दे आते, वो कुत्ते भी तर गये और कई होते कि नहीं साईं जी ने वचन किए हैं वाह क्या स्वाद है, तो फिर उस बाले की आग की टुकड़ी भी आम का पौधा बन जाती है, आम बन जाता है आम, ये तभी नहीं अब भी होता रहा है, एक बार चने काट रहे थे तो हमने कहा कि सारे चने काट लो वो जड़ को छोड़कर सारे काट लिए कहते कि पिता जी क्या करना है, हमने कहा कि ऐसा करो अब टाट वैगराह तो तुमने तोड़ ली, अब इसको ना कुतरा काटने वाली मशीन में से निकाल लो, वो निकाल लिए अब क्या करना है, हमने कहा साग बना लो, साग बना लिया, अब इतने बड़े-बड़े तिनके मोटे-मोटे छोलों के वो गलते ही नहीं मतलब ही नहीं, गल ही नहीं सकते चाहे दस दिन उसको उबालते रहो, तो वो बना लिए और आप में से कइ बैठे होंगे जिन्होंने सेवादारों ने खाए थे, अब जिन्होंने नखरे किए उनको छोड़के जिन्होंने श्रद्धा से खाए वो ही साईं शाह मस्ताना जी वाली बात वो तिनको को भी चबा-चबा के खा गए और उनमें से कितने ही लोगों ने बताया कि पिता जी मेरे तेजाब बनता था, मेरे गैस बनती थी, मेरे फलां… सब कुछ ठीक हो गया खाते ही इसको।
साईं शाह मस्ताना जी के वचन कि भाई ये अनामिका आपको लेकर आये है खाओ तो सही वचन किए टैंशन ना लिया करो, सिमरन किया करो, कोई भी सेवादार आते उनको बोल देते कि तू परवाह ना कर घर परिवार की, तू परवाह कर कि मैंने सेवा कितनी करनी है, ज्यादा से ज्यादा कर, एक दिन भी फिक्र ना कर, अगर तू ऐसा कर लेगा, तेरा सतगुरु यार तेरा घर में जाके बैठ जाएगा, सारा वो संभालेगा तेरे को संभालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जो सेवादार पूरे साल सेवा करते रहते थे, जो सबकुछ त्याग के लगे रहते थे सेवा में उनके घरों में वारे न्यारे हो गए पर बात ये है कि आप अगर करना है तो आप करो या फिर सतगुरु पर छोड़ो वो करेगा दोनों में से कोई भी कर लो, करना तो पड़ेगा ही। किसी न किसी को तो ये साईं शाह मस्ताना जी महाराज के वचन हैं।
सच्चे दिल से बताना
सच्चे दिल से बताना, झूठा हाथ न खड़ा करना, भंडारे का दिन है, जिन्होंने इनको माना है क्या उनके घरों मे बल्ले-बल्ले नहीं हुई, आप देख सकते हैं। हम तो दोनों हाथ खड़े करते हैं भई हां 100 प्रतिशत से ही लाखों प्रतिशत बल्ले-बल्ले हुई, क्योंकि हमने खुद आजामाया इन चीजों को, हांजी हाथ नीचे कर लें, यहां लगभग सभी सेवादारों के साथ ऐसा हुआ है लेकिन अगर इन्सान कहे तेरा ना तो कमी नहीं रहती इन्सान को और अगर इन्सान कहे मेरा है फिर हर समय कमी रहती है इन्सान को क्योंकि मैं-मैं, मैं-मैं, मैं ये कर दूं, मैं वो कर दूं, मैं यहां जाऊं, मैं वहां जाऊं, तू जाता रह फिर तुने सतगुरू पर तो छोड़ी नहीं।
तो इसलिए पंजाबी में एक कहावत है, ‘डूले बेरां दां कुझ नहीं बिगड़ेया’, इतनी चिंता अगर आप भगवान के लिए कर लें तो वो आपके सामने आकर खड़ा हो जाएगा। बोल बेटा क्या चाहिए, जितनी चिंता आप बच्चों के लिए, जमीन-जायदाद के लिए, बिजनेस व्यापार के लिए या अपने कारोबार के लिए करते रहते हो काश! इसमें से थोड़ी चिंता सतगुरू को पाने के लिए कर लो, चिंता नहीं, तड़प, लगन हमें लगता नहीं कि भगवान जी आपके सामने नहीं खड़े होंगे, जरूर खड़े होंगे।
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