बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत के सवालों का रूहानी जवाब दे रहे थे तभी एक सवाल आया जिसमें पूछा गया कि प्रणायाम के साथ किए गए सुमिरन में, अलोम व विलोम की अवधि पर प्रकाश डालें जी?
पूज्य गुरु जी का जवाब: ये अपनी-अपनी कैपेसिटी होती है, अपनी-अपनी शक्ति होती है। धीरे-धीरे बढ़ सकती है। आप जब श्वास को अंदर भरते हैं, तो कोई ज्यादा भी भर सकता है, योगी जो योग करना जानता है। और जो नए-नए होते हैं वो थोड़ा टाइम कम। लेकिन करने में फायदा होता है।
सवाल: गुरु जी, क्या हम धुंध के समय दौड़ लगा सकते हैं?
जवाब: रोड़ पर लगाओगे तो बिल्कुल गलत है। और अगर आपका खेत है, स्टेडियम है तो वहां घूम सकते हैं। खाली जगह पर कोई हर्ज नहीं। लेकिन रोड़ पर धूंध के समय नहीं करना चाहिये। वैसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आप ऊपर गर्म कोट रखिये और थोड़ा भागिये, जैसे ही पसीना आने लगे तो उसे कमर पर बांध सकते हैं। और जब पूरा भाग लिये, कंप्लीट हो गया, पसीने से लथपथ हो गया तो वो ही कपड़ा पहन लीजिये। क्योंकि पसीने में सर्दी लगने का डर ज्यादा रहता है। तो अगर आप ऊपर से कवर कर लेंगे तो आपकी बॉडी संतुलन बना लेगी।
सवाल: गुरु जी, क्या भगवान डरावने रूप में दर्शन दे सकते हैं?
जवाब: भगवान डरावना, दोनों बातें अलग-अलग हैं बेटा। न देवी-देवता डरावने हैं, न भगवान डरावने हैं। राक्षस प्रवृृति जो माना जाता था वही डरावनी चीज हो सकती थी। लेकिन अगर आपको ऐसा कुछ अनुभव हुआ है तो कर्मों का फल डरावना हो सकता है। क्योंकि धर्म में हमने एक जगह सर्च किया तो, पता चला कि हां किसी भक्त को ऐसा सपना आया तो वो उसके कर्म कट रहे हैं। तो आपका फायदा हो रहा है।
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