बरनावा। (सच कहूँ न्यूज) पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि आप जब आप अपने घर डेरा सच्चा सौदा आश्रम में आते हैं या अपने उस घर में जिसमें आप रहते हैं, परिवार रहता है, बिल्कुल चकाचक साफ रखा करें। कई बार आप लोग हमसे हमारी दिनचर्या के बारे में पूछते हैं, तो हम सुबह अर्ली-मोर्निंग उठते हैं और सबसे पहला काम होता है, जिस बिस्तर से उठे हैं उसकी सलवट निकालना। उसको तह करते हैं, सही तरीके से उसको रखते हैं और अपना हर कार्य स्वयं करते हैं। तो आपको भी इन चीजों को फॉलो करना चाहिए।
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ये नहीं कि कोई भाई ये सोचे कि मैं तो उठ गया अब पत्नी संभालेगी या पत्नी सोचे कि मैं तो अब उठ गई अब पति संभालेगा, जी नहीं, अपना बिस्तर है तो आप उसे अच्छे से संभालें, जिसके पास भी टाइम है। एक अगर कोई कार्य के लिए गया तो दूसरा संभाल ले। तो अगर आप बिस्तर से शुरुआत करें तो पूरा घर कितना साफ होना चाहिए ये भी ध्यान दिया करो। ये नहीं कि कहीं जूता पड़ा है, कहीं जुराब लटक रही है, कहीं परना पड़ा है, कहीं बनियान पड़ी है। खिलाड़ी भी बैठे हैं तो आप सभी को साफ-सुथरा रहना चाहिए।
उतनी ही अंदर दिमाग ताजगी हासिल करेगा और अगर दिमाग ताजा है, ताजगी हासिल करता है तो गेम्स में आप अपने ही तरक्की करते जाएंगे। तो इसलिए घर में सफाई रखना, पूरे घर को चमकता रखना है, हो सकता है उसकी वजह से भी बहुत सारे लोग राम-नाम से जुड़ जाएं, बुराई छोड़ दें, नशे छोड़ दें। आपको मालिक से दुआ प्रार्थना करके आशीर्वाद देते हैं कि बदले में समुन्द्रों के समुन्द्र खुशियां आपको लुटाएं।
सभी अपनी सेवा पर दृढ़ता से डटे रहें
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि किसी ने भी अपनी सेवा नहीं छोड़नी है और अपनी सेवा पर पक्का रहना है। ये दर शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता रहबर का सच्चा सौदा है। सतगुरु से प्रीत लगाई है और ये किसी आदमी के कहने से टूट गई तो कैसी यारी है? सतगुरु, पीर-फकीर कभी किसी का बुरा नहीं सोचते, कभी किसी का बुरा नहीं करते, सबके लिए दुआ में हाथ उठाते हैं, बद्दुआ नहीं देते। हाँ, अगर कोई आपको ये कह देता है, मान लो कोई सेवादार खड़ा नजर आ गया, आप सोचते हैं कि ये वहां पास खड़ा था, अब हमारा तो आप साध-संगत में ध्यान है।
कोई भी अपनी मर्यादा के उलट चलकर अगर आपको कुछ गलत कहता है और हमारा नाम लेता है तो समझ लो वो आदमी गलत हो सकता है, क्योंकि हम कभी भी किसी को गलत रास्ता नहीं दिखाते। हमारा काम तो नि:स्वार्थ भावना से प्रेम करना, सबको बेग़र्ज प्यार करने की शिक्षा देना, धर्म-जात का भेदभाव ना करके सबको एक समझना और सबका 100 पर्सेंट सत्कार करना, ये हमारे उसूल हैं, 1948 से लेकर अब हैं और चलते रहने हैं। इसलिए ये पूरा ध्यान रखना सेवादारों।
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