पानी की बिना जांच अंधाधुंध ट्यूबवेल के पानी के प्रयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति हो रही क्षीण
सरसा (सुनील वर्मा)। किसान अंधाधुंध ट्यूबवेल के पानी से (Farmers) फसलों को सींच रहा है। जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति लगातार बिगड़ती जा रही हैं। हालांकि ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करना किसानों की मजबूरी है। क्योंकि उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में नहरी पानी नहीं मिल पाता। जिस कारण उन्हें ट्यूबवेल के पानी से अपनी फसलों को पकाना पड़ता है। ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करने से भूमि की भौतिक व रासायनिक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। भूमिगत जल औसतन 27 फीसद ही कृषि योग्य है। इसलिए किसानों को सिंचाई करने से पहले ट्यूबवेल के पानी की जांच जरूर करानी चाहिए। ताकि उन्हें पता चल सकें की उनके ट्यूबवेल का पानी कृषि योग्य है भी या नहीं।
किसानों को ट्यूवबेल के पानी की जांच जरूर करानी चाहिए। क्योंकि अगर पानी कृषि योग्य नहीं है और उसका लगातार प्रयोग हो रहा है तो इससे भूमि बंजर भी हो सकती है। इसके लिए किसान पानी की जांच करवाने के बाद ही सिंचाई करें।
डा. देवेंद्र जाखड़, सीनियर कोर्डिनेटर, कृषि विज्ञान केंद्र, सरसा।
कृषि वैज्ञानिकों के यह निर्धारित हैं मापदंड
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 18 फीसद सामान्य, 18 फीसद क्षारीय, 11 फीसद लवणीय व 26 फीसद लवणीय क्षारीय है। जिस पानी में विद्युत चालकता 4 हजार से कम, विनियमनशील सोडियम काबोर्नेट 2.5 से अधिक तथा सोडियम अवशोषण अनुपात 10 से अधिक हो इसे क्षारीय जल कहलाता है। इसे भूमि का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर हो जाती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है। अगर इस पानी का लंबे समय से प्रयोग किया जाता तो उत्पादन होना बिल्कुल बंद हो जाता है।
ब्रह्मसरोवर पर पहली बार देखने को मिलेगा 23 प्रदेशों की शिल्पकला का संगम
कृषि विज्ञान केंद्र में नि:शुल्क की जाती है पानी की जांच | Farmers
किसान अभी गेहूं की बिजाई करने में लगे हुए हैं। इसी के साथ सरसों की बिजाई का कार्य पूरा हो चुका है। खेतों में सिंचाई करने से पहले ट्यूबवेल के पानी की जांच करवाना जरूरी है। जबकि किसान पानी की जांच नहीं करवाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में ट्यूबवेल के पानी की लैब के अंदर निशुल्क जांच की जाती है। इसके लिए किसान ट्यूबवेल को कम से कम 2 से 3 घंटे चलाने के बाद चलते पानी को बोतल में भर लें। बोर में जिस-जिस सतह पर पानी पूरा मिले। उसी सतह से पानी का नमूना अलग-अलग बोतल में भरें। ट्यूबवेल का मीठा पानी भी जमीन व फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है, इसके लिए पानी की जांच के बाद ही सिचाई करें।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।