‘सृष्टि को बढ़ाने में, पेड़ पौधे लगाने में, पानी बचाने में अगर आप पैसा खर्च करें तो आने वाला समय सारे समाज के लिए सेव होगा’
सवाल: गुरु जी, मैंने पांच साल से दुकान की हुई है, लेकिन चल नहीं रही, गांव वाले कहते हैं कि इस जगह पर टोने टोटके हुए हैं, ये जगह बंधी हुई है, यहां काम नहीं चलेगा, क्या ऐसा होता है?
जवाब: बेटा, टोने-टोटके से कोई चीज बंधती होती, तो दुश्मन देश को बांध दो ना। सेना रखने की जरूरत ही नहीं, चक्कर ही नहीं पड़ेगा। तो ये सब पाखंडवाद है, ढोंग है। आप मेहनत करो, दिमाग में टेंशन बैठा ली है, कि ये बंधी हुई है, इसलिए आधा दिमाग तो वैसे ही फ्यूज हो गया। काम का तजुर्बा लेकर मेहनत करोगे तो जरूर चलेगी। मत पड़ो इन चक्करों में।
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सवाल: पापा जी, जो बाहर पढ़ते हैं बच्चे, या फैमिली से दूर रहते हैं वो क्या सायं 7 से 9 बजे तक फोन पर परिवार से बात कर सकते हैं?
जवाब: अच्छा, आगे पीछे टाइम नहीं मिलता आपको। चलो ऐसा है आपको लगता है कि वो मां-बाप से दूर हैं तो सिर्फ और सिर्फ मां-बाप से बात करनी है। बहाना हम से लेकर कहीं और ही न शुरू हो जाना, कि फोन तो खुल गया अब तो कर दो जो करना है, ठीक है सिर्फ मां और बाप से बात करना।
सवाल: गुरु जी, ध्यान केन्द्रित करते समय मुझे पसीना आने लगता है और शरीर सुन्न होने लगता है और मैं डर जाता हूँ। मार्ग दर्शन कीजिए?
जवाब: डरिए मत, ये लक्षण होते हैं जब हम सुन्न समाधि में जाते हैं। जो हमारे पवित्र धर्मों में लिखा है, उसमें जब हम जाते हैं राम का नाम लेते हुए तो ये पसीने आता है। और कई-कई बार शरीर सुन्न होने लगता है। किसी को फील होता है किसी को नहीं होता। तो ये अच्छे लक्षण भी हैं आप टेंशन मत लीजिए। अगर चलते-फिरते पसीना आने लगता हैं तो अच्छे लक्षण नहीं हैं, आप डॉक्टर को दिखाइये।
सवाल: गुरु जी, जहां आप एक तरफ अर्थ प्लेनेट को बचाने के लिए ट्री प्लांटेशन, सफाई अभियान, वाटर कंजर्वेशन, पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए दिलो जान से लगे हुए हैं और दूसरी तरफ कुछ स्पेस एंजेसी अर्थ में इनवेस्ट न करके, ग्रहों पर लाइफ खोजने में बिलियंस डॉलर खर्च कर रही हैं। इस बारे में आपका क्या विचार है?
जवाब: हर किसी की अपनी-अपनी मर्जी है और हर कोई अपनी मर्जी का मालिक है। हम किसी को रोक नहीं सकते, लेकिन हम प्रार्थना कर सकते हैं, और ये प्रार्थना जरूर करेंगे कि अगर आप इतना पैसा और जगहों पर लगा रहे हैं तो काश आप सृष्टि को बढ़ाने में, पेड़ पौधे लगाने में, पानी बचाने में कर दें तो आने वाला समय कम से कम सारे समाज के लिए सेव हो जाए।
सवाल: गुरु जी, मेरी नॉन सत्संगी में शादी हो गई, वहां मुुझे नॉनवेज सब्जी का मसाला बनाना पड़ता है। मना करती हूँ तो झगड़ा हो जाता है?
जवाब: बेटा, सुमिरन करके बनाओ, हो सकता है, उनका भी छूट जाए।
सवाल: प्रणायाम के साथ किए गए सुमिरन में, अलोम व विलोम की अवधि पर प्रकाश डालें जी?
जवाब: ये अपनी-अपनी कैपेसिटी होती है, अपनी-अपनी शक्ति होती है। धीरे-धीरे बढ़ सकती है। आप जब श्वास को अंदर भरते हैं, तो कोई ज्यादा भी भर सकता है, योगी जो योग करना जानता है। और जो नए-नए होते हैं वो थोड़ा टाइम कम। लेकिन करने में फायदा होता है।
सवाल: गुरु जी, क्या हम धुंध के समय दौड़ लगा सकते हैं?
जवाब: रोड़ पर लगाओगे तो बिल्कुल गलत है। और अगर आपका खेत है, स्टेडियम है तो वहां घूम सकते हैं। खाली जगह पर कोई हर्ज नहीं। लेकिन रोड़ पर धूंध के समय नहीं करना चाहिये। वैसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आप ऊपर गर्म कोट रखिये और थोड़ा भागिये, जैसे ही पसीना आने लगे तो उसे कमर पर बांध सकते हैं। और जब पूरा भाग लिये, कंप्लीट हो गया, पसीने से लथपथ हो गया तो वो ही कपड़ा पहन लीजिये। क्योंकि पसीने में सर्दी लगने का डर ज्यादा रहता है। तो अगर आप ऊपर से कवर कर लेंगे तो आपकी बॉडी संतुलन बना लेगी।
सवाल: गुरु जी, क्या भगवान डरावने रूप में दर्शन दे सकते हैं?
जवाब: भगवान डरावना, दोनों बातें अलग-अलग हैं बेटा। न देवी-देवता डरावने हैं, न भगवान डरावने हैं। राक्षस प्रवृृति जो माना जाता था वही डरावनी चीज हो सकती थी। लेकिन अगर आपको ऐसा कुछ अनुभव हुआ है तो कर्मों का फल डरावना हो सकता है। क्योंकि धर्म में हमने एक जगह सर्च किया तो, पता चला कि हां किसी भक्त को ऐसा सपना आया तो वो उसके कर्म कट रहे हैं। तो आपका फायदा हो रहा है।
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