अमीरी-गरीबी कुछ मायने नहीं रखती बेटा: पूज्य गुरु जी
- पूज्य गुरु जी के दर्शन जमकर नाची साध-संगत
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार माह की खुशी में पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से विजय आईटीआई बीकापुर, गाजीपुर (यूपी) में फरमाए गए पावन भंडारे रूपी रूहानी सत्संग में भारी तादाद में साध-संगत पहुंची। युवाओं ने पूज्य गुरू जी से गुरूमंत्र लेकर सामाजिक बुराईयां, नशा आदि छोड़कर बुराईयों से तौबा की। आॅनलाइन गुरूकल के माध्यम से पूज्य गुरू जी ने विभिन्न राज्यों में बैठी साध संगत को अपने पावन दर्शनों से निहाल किया। इसी दौरान जब गाजीपुर की बारी आई तो पंडाल में मौजूद साध-संगत ने जोर से धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा नारा लगाकर अपनी खुशी का इजहार किया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया, ‘सारी साध-संगत को बहुत-बहुत आशीर्वाद।
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बहुत ही खुशी मना रहे हो आप, लोग नाच गा रहे हैं, मालिक खुशी दे बेटा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया अमीरी-गरीबी कुछ मायने नहीं रखती बेटा, जिनकी भावनाएं शुद्ध हो जाती है, भगवान उस कुली में भी आ जाया करते हैं, तो राम जी करने वाले है कृपा, हम तो एक फकीर है बेटा, आपके लिए दुआएं करते हैं, भगवान और ज्यादा खुशियां दे, आपको तरक्कियां दे और आपको काम धंधे के लिए, तकलीफ ना आए शरीर में या काम धंधे में, भगवान कृपा करे सबको आशीर्वाद।
ऑनलाइन गुरुकुल में डॉ एमएसजी ने दिये, रूहानी जवाब
- ‘आत्मा, ओम-हरि का एक अंश है, कभी नहीं होती खत्म ’
सवाल: पवित्र ग्रंथों में जो ‘राम’ शब्द आता है वह कौन सा राम हैं?
जवाब: राम वैसे तो चार हैं सूफियत के अनुसार, ‘‘एक राम दशरथ घर डोले, एक राम घट-घट बोले, एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिगुण से न्यारा’’। एक राम विष्णु जी के अवतार श्री राम जी हुए हैं। राजा दशरथ जी के पुत्र, एक राम मन है, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। आपने सुना ही होगा कि मेरा मन ही राम नहीं मानता, तो वो हकीकत है। मन को भी धर्मों में कहीं राम का दर्जा दिया गया है। ये बड़ा पावर फुल है। आसानी से नहीं मानता, जिस आदत के स्वामी आप बन गए। उसे आप छोड़ोगे नहीं। और तीसरा राम सकल पसारा, काल। महाकाल, त्रिलोकीनाथ, जिसने सारी त्रिलोकियों को बहारी रूप से बनाया है और चौथा राम त्रिगुण न्यारा राम, रझौ, तमौ, सतौ, तीन गुणों से इंसान की पहचान, और तीनों गुणों से जो महान है, वो ओम, सुप्रिम पावर उसे ‘राम’ कहा गया है।
सवाल: क्या स्वर्ग और नर्क इसी जमीन पर हैं, या कहीं ओर भी हैं?
जवाब: हमें लगता है दोनों जगह हैं। यहां पर भी आदमी गलत कर्म करता हैं तो दु:खी रहता है, परेशान रहता है। सब कुछ होते हुए भी कंगाल रहता है, टेंशन में, दु:ख में, बीमारी में, परेशानी में लाचार रहता है। तो एक तरह से नर्क जैसा वो यहां भोग रहा है। और दूसरा वहां रूहानी मंडलों में, हकीकत है, वहां आत्मिक तौर पर, शरीर नहीं जाया करते, सिर्फ आत्मा के लिए निश्चित है। जैसे कर्म यहां किये, जो आप नहीं भोग पाये, जो माफ नहीं हो पाये, तो वहां आगे भी भोगने पड़ते हैं और अच्छे कामों के लिए यहां भी सुख है, और आगे आत्मा को अच्छे कर्म से स्वर्ग मिलता है, लेकिन मुक्ति सिर्फ राम नाम से मिलती है और कोई तरीका नहीं। अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड का नाम लेना पड़ता ही है।
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