पूज्य गुरु जी ने लाखों लोगों का नशा छूड़वाया
बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार माह की खुशी में आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से फरमाए गए रूहानी सत्संग को देश विदेश की साध-संगत ने एकाग्रचित होकर ध्यान से सुना। युवाओं ने पूज्य गुरू जी से गुरूमंत्र लेकर सामाजिक बुराईयां, नशा आदि छोड़कर बुराईयों से तौबा की। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मालिक का नाम, प्रभु का नाम, सुखो की खान है, पर सही ढंग से, सही तरीके से अगर ले लिया जाए तो इसका असर बेइंतहा ज्यादा है।
डॉक्टर कोई भी मेडिसिन देते हैं, पुरातन समय में भी वैद्य कोई दवा देते थे, कोई भी दवाई दी जाती थी, तो उसके साथ परहेज बताये जाते थे। बिन परहेज के दवा ली जाती थी तो वो फायदा नहीं होता था जो होना चाहिए। इसी तरह ओम, हरि, अल्लाह, गॉड, खुदा रब्ब का नाम है, अगर यह परहेज के साथ जो नियम बताये जाते हैं, सूफी संत, पीर-फकीर समझाते है, भाई राम-नाम की दवा, मालिक के नाम की दवा, आप लें और ये तीन नियम है, तीन परहेज है, ये-ये बुराईयां आपने नहीं करनी। उनको मानते हुए जब आप राम-नाम का जाप करते हैं, प्रभु-परमात्मा की भक्ति-इबादत करते हैं, तो यकीनन आपकी हर जायज मांग की तरफ आप कदम बढ़ाते चले जाते हैं।
भक्ति करो, इबादत करो, सुमिरन करो
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कर्इं बार इन्सान कहता है, कि यह मांग तो मेरी जायज थी, पूरी क्यों नहीं हुई, आप नहीं जानते, जायज क्या है और नाजायज क्या है, ये तो समय के गर्भ में छूपा वो राज है, जिसे परम पिता परमात्मा जानता है। इन्सान इसे नहीं समझ सकता। आप भक्ति करो, इबादत करो, सुमिरन करो, फल परम पिता परमात्मा पर छोड़ दो, हां जो आपकी इच्छा है, जो आप हासिल करना चाहते हैं, उसकी प्रार्थना कर दीजिए और फिर प्रभु के नाम का सुमिरन कीजिए, भक्ति कीजिए, अगर फिर भी वो आपकी मांग पूरी नहीं हो पारी, तो हो सकता है, आपके लिए उसमें कुछ नुक्सानदायक हो, हो सकता है, जिस समय आप उतावला पन कर रहे हैं, वो आपके अनुकुल ना हो, इसलिए वो अपने हिसाब से हर चीज को, जरूर करता है, अगर कोई भक्त उसकी भक्ति -इबादत करता है।
पर समय का प्रतिकुल प्रभाव पड़ेगा, या अनुकूल पड़ेगा, ये तो राम जी को पता है, उदाहरण के तौर पे, छोटे बच्चे, हर चीज में हाथ मारते है, हर चीज मांगते है, मैं ये भी ले लूं, मैं वो भी ले लूं क्या दहकता अंगार आप अपने बच्चों के हाथ में दे देंगे, क्योंकि छोटे बच्चे को कुछ भी दिखाई देता है, तब उसकी बुद्धि विवेक एक बात ही कहती है कि यह खाने वाली चीज है, मुंह में डाल ले।
जिस समय पर वो जायज मांग पूरी करनी है, उसी समय पर वो करेगा
आपने बच्चे जिन्होंने पाले पोसे है वो जानते है। अगर वहां से कोबरा गुजर रहा है तो वो चमकीला है, तो क्या बच्चे को, बच्चा जिद्द करता है कि मैंने पकड़ना है तो आप उसको पकड़ा देंगे हाथ में, कभी नहीं, उसी तरह हे मालिक के प्यारों, हे मालिक के भक्तों, आप मालिक से लड़ाई जितनी मर्जी करते रहो, पर समय जो आपके अनुकूल होगा, जिस समय पर वो जायज मांग पूरी करनी है, उसी समय पर वो करेगा। अगर और किसी टाइम पे करेगा तो हो सकता है आपका नुक्सान ज्यादा हो जाए।
आप बिना वजय लड़ाई करते रहते हैं, मेरी तो ये जायज मांग है, इसमे गलत बात क्या है, आप क्या जानते हैं गलत अच्छे का, आपको क्या मालूम है समय के गर्भ में क्या छूपा है, तो ये सोच आपकी तंगदिली है, नैरोमाइंडिड है आप, भक्त को हमेशा, खुले दिमाग से रहना चाहिए। रजा में राजी, सौ मर्द गाजी। प्रभु की, इच्छा का जो सत्कार करते हैं, वो ही अपनी झोलियां, उसकी रहमत से भरमार करते हैं। उसकी इच्छा के अनुसार रहना पड़ता है, खुद की इच्छा को दबाना पड़ता है, आपका मन हावी हो सकता है, आपको गलत बात बता सकता है, क्योंकि माइंड में दो बाते आती है, नेगेटिव और पॉजिटव, हमारे पाक पवित्र सारे धर्मों में खासकर पवित्र वेदो में भी साफ लिखा है, जो नेगिटिव विचार विचार देता है, गलत विचार देता है, वो मन की आवाज होती है और जो अच्छे विचार देता है, वो आत्मा की आवाज होती है।
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