-गांव जलौली में निमार्णाधीन सामुदायिक केन्द्र का नामकरण
शहीद कैप्टन रोहित कौशल के नाम पर किया जाएगा
पंचकूला(चरण सिंह)। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद कैप्टन रोहित कौशल (Martyr Captain Rohit Kaushal) के 27वें शहीदी दिवस के अवसर पर आज उनके पैत्रिक गांव जलौली में शहीदी स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा करी कि गांव जलौली में निमार्णाधीन सामुदायिक केन्द्र का कार्य पूरा होने के उपरांत इसका नामकरण शहीद कैप्टन रोहित कौशल के नाम पर किया जाएगा। इस मौके पर शहीद कैप्टन रोहित कौशल के पिता एसएस कौशल, माता श्रीमती वीना कौशल, नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल, आयुक्त नगर निगम वीरेंद्र लाठर, एसडीएम डॉ. ऋचा राठी ने भी शहीद के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन् किया।
नगर निगम द्वारा 6 लाख की लागत से विकसित शहीद पार्क का किया उद्घाटन
गुप्ता ने गांव जलौली में नगर निगम पंचकूला द्वारा 6 लाख रूपए की लागत से विकसित शहीद कैप्टन रोहित कौशल पार्क का उदघाटन किया। इसके अलावा उन्होंने स्मारक स्थल पर आयोजित रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं को बैज लगाया और प्रमाण पत्र वितरित कर सम्मानित किया। उन्होंने शहीद के परिवार की ओर से जरूतरमंद लोगों की मदद के लिए दान की गई एंबुलेंस का भी विधिवत श ुभारंभ किया।
मुठभेड़ में उग्रवादियों से लड़ते हुए वीरगति को हुए प्राप्त: गुप्ता
इस अवसर पर संबोधित करते हुए गुप्ता ने कहा कि कैप्टन रोहित कौशल आज ही के दिन 11 नवंबर 1995 को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। इससे पहले भी कई मौके आए जब उन्होंने दुश्मनों और आतंकवादियों से लोहा लिया और देश की रक्षा के लिए उन्हें मौत के घाट उतार दिया। भारत सरकार द्वारा राष्ट्र के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान करने में उनके वीरतापूर्ण कार्य, नेतृत्व, साहस और समर्पण के उत्कृष्ट उदाहरण के लिए उन्हें मरणोपरांत वीरता पुरस्कार (सेना पदक) से सम्मानित किया गया।
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सामुदायिक केन्द्रों का नामकरण शहीदों के नाम पर किया जा रहा है
गुप्ता ने कहा कि पंचकूला में सभी सामुदायिक केन्द्रों का नामकरण उन वीर शहीदों के नाम पर किया जा रहा है जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ताकि हमारी युवा पीढी देश के लिए अपनी शहादत देने वालों को याद रख सके। उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रत्येक शहीद स्मारक की देख-रेख के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसमें शहीद के परिजनों के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र के पार्षद और नगर निगम के कार्यकारी अभियंता को शामिल किया गया है। स्मारकों की मरम्मत और देख-रेख पर आने वाला खर्च नगर निगम द्वारा वहन किया जाता है।
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