Live: मेरठ की मार्शल पिच पर डेरा सच्चा सौदा का उमड़ा जनसैलाब

बड़ी-बड़ी स्क्रीन का प्रबंध किया गया

  • देश-दुनिया में श्रद्धा भावना, नई उमंग, जोश व मानवता भलाई कार्य कर मनाया गया साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज का 131 वां जन्मदिवस
  •  घर में रोजाना दियें जलाने और दो घंटे मोबाइल-टीवी से दूर रहकर परिवार में समय बिताने के दो नए कार्य किए शुरू
     पावन भंडारे पर पूज्य गुरु जी ने जागो दुनिया दे लोको नया वीडियो भजन किया लॉन्च
  •  आज इंसान मोबाइल की दुनिया में व्यस्त, खत्म हो रही संस्कृति: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
  • पूज्य गुरु जी के आॅफिशियल यूट्यूब चैनल पर हुआ लाइव भंडारे का प्रसारण, फिर भी शाह सतनाम जी धाम में नहीं मिली तिल रखने की जगह

कंकर खेड़ा (रकम सिंह\सोनू)। सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक सार्इं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के 131वें जन्मदिवस का पावन भंडारा मंगलवार शाम देश-विदेश में साध-संगत द्वारा बड़ी श्रद्धा भावना, उल्लास, उमंग, जोश व मानवता भलाई कार्य करके मनाया गया। इस कार्यक्रम में पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत से रूबरू हुए और साध-संगत को साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पाक-पवित्र अवतार दिवस की बधाई दी और खुशियों से सराबोर किया। भंडारे के पावन अवसर पर दो नए मानवता भलाई कार्यो का आगाज हुआ। जिससे मानवता भलाई कार्यो का कारवां बढ़कर 146 पर पहुंच गया हैं। इन कार्यो में 145वें कार्य के रूप में देश की पुरातन विरासत यानी हवन सामग्री या घी द्वारा वातावरण को शुद्ध करने के तहत सुबह-शाम अपने-अपने घरों में एक या एक साथ 17 घी या तेल के दिये जलाएंगे, का नया कार्य शुरू किया गया। जिसको करने की समस्त साध-संगत ने एक साथ हाथ खड़े करके व धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर प्रण लिया। इस कार्य की सर्वप्रथम शुरूआत पूज्य गुरु जी ने बरनावा स्थित शाह सतनाम जी आश्रम में 9 दिए प्रज्वलित करके की। इन 9 दियों को बाद में शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, शाह सतनाम जी धाम सिरसा व शाह मस्ताना जी धाम सिरसा में लगाए जाएंगे और ये दिये अखंड ज्योत की भांति हमेशा जलते रहेंगे। पावन भंडारे का पूज्य गुरु जी के आॅफिशियल यूट्यूब चैनल सेंट एमएसजी पर लाइव प्रसारण किया गया। इसके अलावा राजस्थान में बीकानेर, जयपुर, हिमाचल प्रदेश में चचिया नगरी, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में मेरठ, मध्य प्रदेश में बुधनी, मुम्बई आश्रम, महाराष्ट्र में फलटण स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम, गुजरात में लाकड़िया आश्रम, बिहार में सहारसा, छतीसगढ़ में बैंकुंठपुर और नेपाल में भी पावन भंडारा वहां की साध-संगत द्वारा मनाया गया। लेकिन फिर भी साध-संगत के जोश, जुनून व दृढ़ विश्वास के आगे मेरठ में तिल रखने की जगह नहीं थी। 146वें कार्य सीड कैंपेन यानी सोशल एंड स्पिरिचुअल सेल्फ लाइफ एंड रिच मेंट एंड एनहांसमेंट विद डिजिटल फास्ट। इस मुहिम के तहत प्रतिदिन दो घंटे, शाम को 7 से 9 बजे तक मोबाइल व टीवी से दूर रहकर इस दौरान घर-परिवार को समय देंगे, रिश्तों की संभाल करेंगे कार्य की शुरूआत हुई। इसका भी सभी ने हाथ खड़े इसमें शामिल होने का वायदा किया।

‘जागो दुनिया दे लोको लॉन्च

इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने बढ़ते नशे को रोकने की कारगर पहल करते लोगों को जागरूक करने हेतु एक और वीडियो भजन ‘जागो दुनिया दे लोकोझ् को लॉन्च किया। भजन लॉन्च होते ही साथ के साथ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो गया और हर किसी की जुबान पर चढ़ गया। इस सॉन्ग के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने गांव-शहर के लोगों को नशे रूपी दैत्य को जड़ से खत्म करने के लिए गांव में ठीकरी पहरा लगाने का सशक्त संदेश दिया गया है। 6 मिनट 42 सेकंड के इस भजन में बताया गया है कि जो सरेआम मौत का व्यापार करते है, उनकी राह यानी रास्ता बदलना होगा। इसके अलावा बताया है कि गांव-शहर में गुरबाणी की चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन हो रही है नशे की चर्चा, इसलिए इन नशों को गांव से भगाकर वहां राम-नाम की वर्षा की गंगा बहा दो। नए भजन को देश-दुनिया में खूब वाहवाही मिल रही है।

दो नए मानवता भलाई कार्य

पूज्य गुरु जी ने दियें जलाने की मुहिम पर बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार ये अखंड दियें जलते रहेंगे तो मालिक आप के घरों में खुशियां जरूर भेजेंगे और उन दियों की खुशबू से आपकी बुराइयां भाग जाएगी। शुद्ध वातावरण से बैक्टीरिया वायरस भाग जाएंगे। पूज्य गुरु जी ने कहा कि गुरुकुल में दिन की शुरूआत घी व तेल के दियें जलाकर या यज्ञ की आहूति देकर की जाती थी। यह भी एक प्रकार से यज्ञ की आहूति है। अगर आप दिया जलाकर मालिक के नाम का जाप करेंगे तो और अच्छा महसूस होगा और मालिक की खुशियां मिलेगी। पूज्य गुरु जी सीड कैंपेन मुहिम के बारे में बताते हुए फरमाया कि यह एक प्रकार से डिजिटल व्रत होगा। अगर आप दो घंटे मोबाइल व टीवी से दूर रहेंगे तो कोई आफत नहीं आने वाली और इन दो घंटे को आप अपने परिवार को दोगे तो परिवार में बहार जरूर आएगी। क्योंकि आज के समय में सभी मोबाइल में इतना व्यस्त हो गए, जिससे हमारा संस्कृति खत्म हो गई। इसलिए परिवार को समय देना बहुत जरूरी है।

21 आदिवासी युवाओं की दिल जोड़ माला पहनाकर शादियां कराई

इस दौरान कुल का क्राउन व भगत योद्धा मुहिम के तहत एक-एक शादी हुई। इसके अलावा 21 आदिवासी युवाओं की दिल जोड़ माला पहनाकर शादियां कराई गई। पावन भंडारे के अवसर पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान प्रांतों का कल्चरल व संस्कृति का अनुपम झलक देखने को मिली। इस अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में 131-131 जरूरतमंद लोगों को कंबल व राशन दिया गया। वहीं इस दौरान पूज्य गुरु जी ने साईं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द लेने वाले पुराने सत्संगी बहन-भाईयों को प्रेम निशानी देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर आई हुई समस्त साध-संगत को मूंग का हलवा, गुलदाना सहित तीन प्रकार के प्रसाद भी दिए गए।
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पाक-पवित्र अवतार दिवस की साध-संगत को बधाई देते हुए कहा कि मालिक आप सबको खुशियों से नवाजे। पूज्य गुरु जी ने कहा कि अलग-अलग राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता का अनूठा संगम देखने को मिला जोकि गजब है। यह कार्यक्रम इंसान के अंदर एक नई उमंग व तरंग भर देती है और गिरे हुए लोगों को पंतग कर देती है। यह सब गजब है और इस गजब पर चार चांद लगाने के लिए साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने अवतार धारण किया। साईं जी का जन्म गांव कोटड़ा तहसील गंधेय रियासत कलायत बिलोचिस्तान (जो अब पाकिस्तान में है) में पूजनीय पिता श्री पिल्ला मल जी और पूजनीय माता तुलसां बाई जी के घर अवतार धारण किया।

आत्मबल के बिना इंसान को नही मिल सकती आत्मिक शांति

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि खुशी ढूंढने के लिए संसार का हरेक इंसान दुनिया में घूमता है। बहुत से लोग कलह, क्लेश व टेंशन से सताए हुए जगह-जगह घूमते रहते है। लेकिन उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आता और ना ही उन्हें टेंशन परेशानी से मुक्ति मिलती। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जिंदगी में बदलाव तभी आएगा जब दिमाग में सुख-शांति होगी और अंदर आत्मबल होगा। क्योंकि आत्मबल के बिना चाहे इंसान कही भी घूमता फिरे उसे शांति नहीं मिल सकती। आत्मबल को पाने का साईं दाता रहबर साईं शाह मस्तान जी, शाह सतनाम जी ने घर परिवार व अपने धर्म को मानते हुए नाम शब्द, गुरु मंत्र, कलमा, मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन का आसान तरीका बताया। जिसका अभ्यास करने से आत्मिक शांति इंसान को उसके अंदर से मिलती है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि लोग आत्मिक शांति को हासिल करने के लिए बहुत पैसा लगाते है, अलग-अलग तरह का खाना खाते है, दवाइयां लेते है, लेकिन इनसे आत्मिक शांति नहीं मिलती। अब तक संसार में ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जिससे आत्मिक शांति मिलती हो। हालांकि आत्मिक शांति गई कही भी नही है। वो तो आत्मा के साथ जुड़ी हुई है और आत्मा मनुष्य के अंदर रहती है। आत्मिक शांति को हासिल करने व आत्मबल को बढ़ाने के लिए जो टॉनिक है वो परमात्मा है।

परमात्मा के नाम से मिलती है आत्मा को शक्ति

आत्मा और परमात्मा के बारे में समझाते हुए पूज्य गुरु जी ने कहा कि परमात्मा का कोई नाम लेता है, उसकी भक्ति इबादत करता है तो आत्मा में शक्ति आती है। जब आत्मा में शक्ति आती है तो इंसान के गम, दुख, दर्द, चिंता, परेशानी, टेंशन दूर हो जाती है। जैसे ही यह सब परेशानियां दूर हो जाती है तो दबी हुई आत्मिक शांति फिर से इंसान में छा जाती है और सारा संसार इंसान को बहार की तरह लगने लगता है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर किसी इंसान का सिर दर्द हो रहा हो या कोई बेचैन हो, चिंता ग्रस्त हो, उस दौरान कोई कितना भी अच्छा नाच गान चल रहा हो, कितने भी अच्छे संगीत गा रहा हो। लेकिन उस इंसान को ऐसा लगता है जैसे कोई पतझड़ आ गई हो। जब इंसान का शरीर तंदुरुस्त हो, आत्मिक शांति हो तो उजाड़ों में भी लगता है जैसे बहार आ गई हो। आत्मिक शांति आत्मबल से आती है और आत्मबल ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब के नाम से आता है।

अज्ञानता रूपी अंधकार में जो ज्ञान का दीपक जला दें, वही सच्चा गुरु

पूज्य गुरु जी ने कहा कि हैरानीजनक बात है कि नाम को लेने के लिए कोई पैसा नही लगता। इस नाम को हिंदु धर्म में गुरु मंत्र या गुरु मंत्र, सिख धर्म में नाम शब्द, इस्लाम धर्म में कलमा, इंग्लिश फकीर या ईसाई धर्म में इसे मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन कहते है। सभी का एक ही अर्थ है। इन शब्दों के अर्थो के बारे में समझाते हुए कहा कि गुरु और मंत्रा दो शब्दों के जोड़ से बना है। गुरु में गु का मतलब अंधकार और रू का मतलब प्रकाश यानी दोनों को जोड़ दें तो इसका अर्थ बनता है जो अज्ञानता रूपी अंधकार में ज्ञान का दीपक जला दें, वह सच्चा गुरु होता है। मंत्रा का अर्थ है शब्द, युक्ति, मैथ्ड, तरीका। इस प्रकार यह गुरुमंत्र या गुरुमंत्रा का अर्थ हुआ। पूज्य गुरु जी ने बताया कि गुरुमंत्र गुरु का मंत्र नहीं होता, वह शब्द जो गुरु पहले खुद अभ्यास करता है, फिर वह अपने शिष्य को बताता है, समाज को बताता है और यह कहें कि हम भी इंसान है और आप सभी लोग भी इंसान है। अगर भगवान के वो शब्द, परमात्मा के शब्द हमें आत्मिक शांति के साथ-साथ मालिक के दर्श-दीदार, उसके रहमो कर्म, कृपा दृष्टि से मालामाल कर सकते है, तो वो शब्द आप लोग पर असर क्यूं नहीं करेंगे। संत और आम इंसान में फर्क बताते हुए कहा कि संत भगवान के नाम यानी गुरुमंत्र का अभ्यास दिन-रात अवचेतन मन से 24 घंटे करते है और इंसान ने उसका अभ्यास शुरू करना है। इंसान भगवान के नाम का जाप करेगा, तभी उसे परमात्मा की प्राप्ति होगी, तभी आत्मिक शांति आएगी। ऐसे ही नाम शब्द का अर्थ है, जिसमें नाम यानी परमात्मा का नाम। जो अंदर चल रहे शब्द से जोड़ दें। जिसको अनहद वाणी, धुर की वाणी, बांगे इलाही, कलमा ए पाक, द गॉड्स वाइट एंड लाइट कहा गया है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।