रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में हुए एक कार्यक्रम में कहा कि हमारी यात्रा उत्तर की दिशा में जारी है। हम पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को भूले नहीं हैं, बल्कि एक दिन उसे वापिस हासिल करके रहेंगे। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद से भारत सरकार कश्मीर में स्थितियों को सामान्य बनाने की दिशा में मुस्तैदी से काम कर रही है। वहां आतंकी घटनाओं को रोकने के प्रयास निरंतर जारी हैं और काफी हद तक आतंक को नकेल भी कसी है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के लिए कई बड़े प्रोजैक्ट अनाउंस किए, वहां के युवाओं को रोजगार के अवसर के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा दे रही है।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कश्मीर से अनुच्छेद 370 की वापिसी हुई थी। रक्षामंत्री के इस बयान में लोकसभा के अगले चुनाव के एजेंडा को भी पढ़ा जा सकता है। राम मंदिर, नागरिकता कानून, ट्रिपल तलाक, हिजाब, सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर वगैरह के साथ कश्मीर और राष्ट्रीय सुरक्षा बड़े मुद्दे बनेंगे। भाजपा के कश्मीर-प्रसंग को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बरक्स भी देखा जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर मसले को अपने तरीके से सुलझाने का प्रयास किया था, जिसके कारण यह मामला काफी पेचीदा हो गया। प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और गृहमंत्री के बयानों को जोड़कर पढ़ें, तो मसले का राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट हो जाता है।
रक्षामंत्री ने शौर्य दिवस कार्यक्रम में कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सर्वांगीण विकास का लक्ष्य पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान तक पहुंचने के बाद ही पूरा होगा। क्या भविष्य में हम कश्मीर को भारत के अटूट अंग के रूप में देख पाएंगे? हमारी संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और इस बात पर जोर दिया कि सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसलिए पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले राज्य के हिस्सों को खाली करना होगा। 1994 का प्रस्ताव पीवी नरसिंहराव के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने ही पास कराया था, पर कांग्रेस कश्मीर के मामले में ढुलमुल रवैया अपनाती रही है।
धारा 370 हटाए जाते समय हालांकि कांग्रेस समेत ज्यादातर विरोधी दलों ने संसद में सरकारी प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, पर बाहर की बयानबाजी और ढुलमुल रुख का लाभ बीजेपी को मिला और भविष्य में भी मिलेगा। कांग्रेस और विरोधी दलों ने अनुच्छेद 370 को हटाने के तरीके और उसके बाद करीब दो साल तक चले लॉकडाउन की आलोचना की। बीजेपी ने इस लॉकडाउन को दृढ़ता से न सिर्फ जारी रखा, बल्कि विदेशी आलोचना का जवाब भी दिया। वोटरों की बड़ी संख्या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी उसकी नीतियों का समर्थन करती है। अब देखने वाली बात होगी कि अगामी लोकसभा चुनाव में पीओके वापसी मुद्दे को सत्ता पक्ष व विपक्ष किस रूप में प्रोजेक्ट करते हैं?
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