भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में डिजिटल रुपये के नये दौर की शुरूआत की है। प्रायोगिक तौर पर अभी सिर्फ सरकारी प्रतिभूतियों के थोक लेन-देन में ही डिजिटल रुपये के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। आरबीआइ ने नौ सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन के लिए डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दी है। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), बैंक आॅफ बड़ौदा, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आइडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं। आरबीआइ की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है।
गौरतलब है कि अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो दूसरे कई क्षेत्रों में प्रायोगिक तौर पर डिजिटल मुद्रा के इस्तेमाल की शुरूआत की जायेगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी। नि:संदेह देश में डिजिटलीकरण तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस समय देश में 46 करोड़ से अधिक जन-धन खातों (जे), 134 करोड़ से अधिक आधार कार्ड (ए) और 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 75 जिलों में डिजिटल बैंकिंग यूनिटों (डीबीयू) की वर्चुअल शुरूआत करते हुए कहा कि भारत दुनिया का ऐसा देश बन गया है। किसानों के समावेशी विकास में भी डीबीटी की अहम भूमिका है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, 17 अक्टूबर, 2022 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी से सीधे करीब 2.16 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित हुए हैं। इससे छोटे किसानों का वित्तीय सशक्तीकरण हो रहा है। साथ ही, 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए कोरोना काल से अब तक खाद्य सुरक्षा का बेमिसाल अभियान चल रहा है। ऐसे में अब देशभर के गांवों में डिजिटलीकृत ग्रामीण स्वामित्व योजना के लगातार विस्तार से गांवों के विकास और किसानों की अधिक आमदनी का नया अध्याय लिखा जा रहा है।
लेकिन इस समय डिजिटल इंडिया के तहत स्टार्टअप, डिजिटल शिक्षा, डिजिटल बैंकिंग, भुगतान समाधान, स्वास्थ्य तकनीक, एग्रीटेक आदि की डगर में जो बाधाएं और चुनौतियां दिखाई दे रही हैं, उनके समाधान हेतु तत्परतापूर्वक कदम उठाने की जरूरत है. इस परिप्रेक्ष्य में तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डेटा तक सरल पहुंच, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिविटी, बिजली की सरल आपूर्ति पर अधिक ध्यान देना होगा। उम्मीद करें कि एक नवंबर से डिजिटल रुपये की प्रायोगिक शुरूआत के बाद अब डिजिटल रुपये का इस्तेमाल अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ेगा।
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