- आनलाइन गुरूकुल: पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया रूहानी सत्संग
- पानी की बूंद-बूंद बचाई जाए : पूज्य गुरू जी
- लाखों लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाई
करनाल/चुरू/सरसा। आज का ऐसा समय है कि इन्सान प्रकृति का नाश कर रहा है। संस्कृति का नाश कर रहा है। इन्सानियत को रसताल में ले जा रहा है। किसी भी दृष्टिकोण से देख लो इन्सान दिन-ब-दिन अपने विनाश को खुद बुलाने को आतुर है। ये (Saint Dr. MSG appealed to save water) वचन पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बरनावा से आनलाइन गुरूकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग में फरमाए।
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इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने ताल स्टेडियम बिजड़ी, हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), मधुबाबा प्रांगण नाथननगर, भागलपुर (बिहार), बुलंदशहर नामचर्चा घर (यूपी), कृष्णा गार्डन, बदरपुर (दिल्ली), ढालमाण नामचर्चा घर सरदारशहर, चुरू (राजस्थान), शाह सतनाम जी धाम, सरसा (हरियाणा) और करनाल नामचर्चा घर (हरियाणा) में भारी तादाद में लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाकर गुरूमंत्र देकर राम, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब के नाम से जोड़ा। इस अवसर पर आयोजन स्थलों पर साध-संगत के भारी उत्साह के सामने पंडालों सहित सभी इंतजामात छोटे पड़ गए और साध-संगत ने पंडालों से बाहर खड़े होकर भी पूज्य गुरू जी के वचन श्रवण किए।
पानी कम होता जा रहा है | Saint Dr. MSG appealed to save water
आनलाइन गुरूकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग में पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि पानी की बात करें, तो पानी इतनी नीचे जा रहा है, खास कर साइंटिस्टों को बड़ा फ़िक्र है और यहां तक उन्होंने हमारे पास बोला गुरू जी, हो सकता है आने वाला समय पानी के लिए युद्ध ना हो जाए। क्योंकि पानी दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है और जरूरत है पानी की। 70 से 90 पर्सेंट, जितना भी डॉक्टर साहिबान जानते हैं, हमारी बॉडी में पानी होता है। और साजो-सामान के बिना काम चल जाएगा, पानी के बिना कैसे चलेगा? पानी तो जरूरी है। तो क्या पानी को बचाना नहीं चाहिए? बचाया जा सकता है और बचाना चाहिए। छोटी-छोटी बातें अगर आप नोट करें तो आप काफी पानी बचा सकते हैं। आप कहेंगे कि जी, मेरे एक अकेले के पानी बचाने से क्या फायदा होगा।
हमारे धर्मानुसार कहावत है बूंद-बूंद से तालाब भर
हमारे धर्मानुसार कहावत है बूंद-बूंद से तालाब भर जाता है। कभी लीकेज होती देखो आप, बूंद-बूंद टपक रही है, बाल्टी रख दो नीचे कुछ देर में भरी नज़र आएगी। इसलिए आप शुरूआत तो करो। आप ब्रश करते हैं सुबह सवेरे तो वॉशमेसन में एक गिलास रख लीजिये, उसको भर लीजिये। टूंटी खुली छोड़ कर ब्रश और उधर से पानी बहे जा रहा है। फ्लश जो होती है, वॉशरूम वगैराह आप जाते हैं, टॉयलेट जाते हैं तो अलग-अलग उसमें फंक्शन होते हैं कई, कोई महंगा नहीं होता, पहले पुराने समय से चला आ रहा है, कि एक थोड़े पानी के लिए और एक ज्यादा पानी के लिए है।
छोटी-छोटी चीजों से बचाया जा सकता है पानी
तो आपको छोटी बात लगती है, लेकिन अगर वो लगवाते हैं आप तो सस्ता भी है और आप वॉशरूम जाएं, यूरल त्यागते हैं तो वो छोटा और टॉयलेट जाते हैं तो बड़ा फ्लश करें, पर इतना ध्यान किसके पास है, समय किसके पास है। तो ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिनसे पानी बचा सकते हैं। रूहानी सत्संग की समाप्ति पर साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन और प्रशाद वितरित कर दिया गया।
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