बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। शुक्रवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाया और इस दौरान देश-विदेश से आनलाइन जुड़ी साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के दर्शन किए। (Sixth Sense in Human Beings) इस दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि गुरूकुल में इंसान को अपने आप किस प्रकार रिपेयर किया जा सकता है, के बारे में सिखाया जाता था। इसके अलावा अपने आप को पढ़ना यानी विद्यार्थी को डॉक्टर भी बनाया जाता था।
यह हमने 100 परसेंट अनुभव किया है। इंसान सुमिरन, भक्ति के द्वारा अपनी सिक्स्थ सेंस को जगा ले तो उसे सब कुछ अनुभव होने लगता है। यह सब गुरुकुल में सिखाया जाता था। इसकी बकायदा टैÑनिंग दी जाती थी कि अपने शरीर की कैसे सुननी है। गुरुकुल में योगा और एक्सरसाइज के साथ मेडिटेशन और ध्यान में बैठाना सिखाया जाता था। इसके अलावा गुरुकुल में विद्यार्थी को कौन सी जड़ी बुटियां किस काम में आती है, के बारे में भी पूरी जानकारी दी जाती थी। यह भी बताया जाता था कि जंगल में ये पत्तिया फ्ला पेड़ की है और यह किस जख्म पर काम करती है। इसी ज्ञान से स्नेहलेप बना था। स्नेहलेप जहां लगा दिया जाता था वहां सुबह तक जख्म ही भर जाते थे।
संत पीर फकीरों का जबरदस्त दिमाग था, जिंहोंने गुरुकुल चलाया
आप जी ने फरमाया कि संत पीर फकीरों का जबरदस्त दिमाग था, जिंहोंने गुरुकुल को चलाया। अगर किसी की हड्डी टूट जाती थी तो शाम को दवाई देते थे तो सुबह तक वह जुड़ जाती थी। लेकिन डॉक्टर 15 दिन तक प्लास्टर में पैर लगा के रखते हंै। यह हकीकत है, यह सच्चाई है। हम डॉक्टर साहिबानों को यह नहीं कहते हंै आप गलत कर रहे हैं। आप भी 100 परसेंट सही कर रहे हैं। लेकिन डॉक्टर अभी तक उस विधि तक पहुंचे ही नहीं है, इसलिए उन्हें यह कहानियां लगती है, किस्से लगती है। उस तक पहुंचने के लिए मेडिटेशन करना पड़ेगा, ध्यान एकाग्र करना पड़ेगा। मेडिटेशन के द्वारा इंसान अपने फ्यूचर, पास्ट व परचेंट के बारे में जान सकता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि डॉक्टर व वैज्ञानिक अभी तक इंसान के शरीर को सिर्फ 5 से 7 परसेंट ही पढ़ पाए है। अगर कोई ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा पढ़ पाया है तो 10 से 15 परसेंट है। इससे आगे कोई नही गया। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आदमी का दिमाग ही अभी तक वैज्ञानिकों से नहीं पढ़ा जा रहा। माइंड ऐसी-ऐसी क्रिएशन कर सकता है, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। पूज्य गुरु जी ने कहा कि ऐसी शिक्षा 12 हजार साल पुराने वेदों व गुरुकुल में बच्चों को दी जाती थी।
विल पावर से बढ़ाई जा सकती है शरीर की शक्ति
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कैसे ध्यान के द्वारा धरती से ऊपर उठा जाता है, कैसे ऊपर उठ के आगे बढ़ा जाता है, कैसे अपने आप को गति देते है, कमांड देते है तथा माइंड कैसे बॉडी को कमांड देता, यह सिखाया जाता था गुरुकुल में। तो सोचिए वो विद्यार्थी कैसे होंगे। उन विद्यार्थियों को पता होता था कि मैं चाहूं तो उड़ भी सकता हूँ। मेरे अंदर की पावर को और ज्यादा कर सकता हंूँ। इसके अलावा अपने शरीर की शक्ति को विल पावर के द्वारा व कॉन्फिडेंस के द्वारा कैसे बढ़ाया जाता है, के बारे में भी पढ़ाया जाता था।
-बच्चों को समय देना जरूरी
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मनुष्य को अपने बच्चों को टाइम जरूर देना चाहिए। ब्रह्मचर्य आश्रम में जब बच्चों को पढ़ाया जाता था तो उन्हें प्रेक्टिकली स्टडी कराई जाती थी। जो उनके दिला-दिमाग में बैठ जाती थी। जिससे वो कभी उसे भूलते भी नहीं थे। आज के टाइम में उस तरह की पढ़ाई बहुत मुश्किल है।पवित्र वेदों में जो लिखा है, जो ब्रह्मचर्य में सिखाया जाता है वो 100 परसेंट सच था, सच है और आगे भी सच ही रहेगा। डीएन ही असली पावर है आदमी के अंदर। आदमी के अंदर पावर को बढ़ाया जा सकता है और उसमें गड़बड़ होने पर आदमी में बीमारियां हो जाती है। उसको सुधार दें तो सारी बिमारियां ठीक हो जाती है। यह हमारे पवित्र ग्रंथों में लिखा गया है।
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