- घोर कलियुग में चहुंओर बुराइयों यौवन पर: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
- फरमाया, धर्मों में पहले से लिखा है कि ऐसा समय आएगा जब हाथ को हाथ खाएगा और रिश्ते नाते खत्म हो जाएंगे
बरनावा। बुधवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से देश के कोने-कोने व विदेशों से जुड़ी साध-संगत को बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार महीने की बधाई दी। इस दौरान ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से पूज्य गुरू जी ने हरियाणा के रोहतक, राजस्थान के तारानगर, हिमाचल प्रदेश के जवाली, मध्य प्रदेश के आमला व बिजुरी अनूपपुर, महाराष्ट्र के किसान नगर, गुजरात के गांधीधाम, और बिहार के सासाराम में पहुंचे लाखों लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाकर गुरूमंत्र, नाम शब्द दिया। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने नशे व बुरी आदतों से कैसे बचा जाए, आत्मबल जो सफलता की कुंजी है, इसे कैसे बढ़ाया जाए, भगवान जो सर्वशक्तिमान है, उसके दर्शनों के काबिल कैसे बना जा सकता है, का तरीका भी समझाया। वहीं इस दौरान पूज्य गुरुजी ने पूरे देश को नशा मुक्त बनाने के लिए मुहिम शुरू की है, जिसे डेप्थ (डीईपीटीएच) नाम दिया है। जिसमें डी अर्थात ड्रग, ई यानि इजेक्ट, पी यानी पीसफुली टी यानि थ्रूआउट और एच यानी हिंदुस्तान से शांतिपूर्वक तरीके से नशे को खत्म करना है।
साध-संगत ने 122 जरूरतमंद बच्चों को बांटी जर्सियां
पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग फरमाते हुए सर्वप्रथम साध-संगत को साईं शाह मस्ताना जी महाराज के अवतार माह की मुबारकबाद देते हुए कहा कि सच्चे सौदे के संस्थापक सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने जो शिक्षा दी, शाह सतनाम जी ने जो हमें शिक्षा दी, उसकी चर्चा दिन रात करते रहते हैं। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज समाज में चहुंओर जैसा वातावरण है, जैसा समय चल रहा है। बेहद ही घातक है, बेहद दर्दनाक है, बहुत ही घोर कलयुग का समय है। दूसरे शब्दों में बुराइयों योवन पर हैं। आज समाज में नशों की वजह से त्राहिमाम और जिधर देखों उधर लोग नशे की चर्चा करते नजर आते हैं, चुगली निंदा करते नजर आते हैं। पहले युग में, पहले समय में हम लोग बैठते थे तो ये बातें होती थी, कि अपने आप को मजबूत कैसे बनाना है। गेमों में हिस्सा लेना हैं, सामने वाली टीम को हराना कैसे हैं, पढऩा कैसे है, कौन सा वो समय है जो सबसे अच्छा है, उसमें पढ़ें ताकि वो हमारे दिलों दिमाग में वो हर चीज बैठ जाए। इसके अलावा खेती बाड़ी की बात की जाती थी। पूज्य गुरु जी ने कहा कि बड़ा ही स्वच्छ और सुंदर वातावरण होता है। लेकिन आज आप ये देखों नशा करने वाला कौन सा नहीं हैं। बड़ा मुश्किल हुआ पड़ा है जीना, रहना, बात करना, बात करने से पहले 100 बारी आदमी सोचता है कि सामने वाला रियेक्ट क्या करेगा। क्योंकि पता नहीं किस को कौन सी बात चुभ जाए, पता नहीं कौन सी बात को तोड़-मरोड़ कर कोई क्या कह दे। आज के दौर में कुछ पता नहीं। तो आज के समय में या चहुंओर बुराइयों का राज है, बुराइयां छा रही हैं। हमारे सभी धर्मों के सभी पवित्र ग्रंथों में सबसे पहले लिखा गया कि ऐसा दौर आएगा जब हाथ को हाथ खाएगा। ऐसा समय आएगा रिश्ते नाते मिट जाएंगे, इंसान सिर्फ और सिर्फ गर्ज और स्वार्थ का पुतला बन जाएगा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया 1990 में एक बार परम पिता जी के साथ घूम रहे थे और परम पिता जी एक जगह बैठ गए, कहने लगे कि जो दिन गुजर गया वो अच्छा है और शुक्र मनाओ। आने वाला हर दिन पिछले दिन से ज्यादा बुराइयां लेकर आता है तथा बुरा होता चला जाता है। फिर फरमाया कि किसको कहें, कौन अच्छा है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि इस कलियुग के दौर में वो इन्सान बचे हैं जो ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड के नाम से जुड़े हैं या वो बचे हैं जो संत-पीर फकीर की बातों को सुनकर जिन्दगी में अमलीजामा पहना लेते हैं। वरना इन बुराइयों से बचना बड़ा ही मुश्किल है।
भोजन को चबा-चबा के खाना चाहिए
पूज्य गुरु जी ने खाने को किस प्रकार खाना चाहिए, के बारे में समझाते हुए फरमाया कि जब आप खाना खाते हैं, पहली कोर मुंह में चबा-चबा कर खाएं। आपने कभी बंदर देखा है,नहीं देखा है तो देखना वो खाना खाएगा तो पहले अपने गलाफ में ले जाता है, अंदर नहीं लेकर जाता कभी भी, वो चैक करता है कि मैंने कोई जहरीली चीज तो नहीं खा ली। क्योंकि जीभा के संपर्क में आने से पूरी बॉडी पर असर जल्द होता है। तो उसी तरह पहली कोर जो आप तोड़कर खाते हैं तो पूरा ध्यान केंन्द्रित रखें। हमारे गुरुकुलों में सिखाया जाता था कि पहली कोर जीव-जंतुओंं के लिए रखो और फिर प्रार्थना करके खाओ, ताकि ध्यान केन्द्रित रहे। पहली कोर जब खा रहे हैं तो पता चल जाता है कि स्वाद कैसा है, कहीं जहरीला तो नहीं, कहीं इसमें कुछ ऐसे तत्व तो नहीं जो सेहत को नुकसान पहुंचा देंगे। लेकिन आप तो देखते ही नहीं, उठाया और आधा चबाया, आधा निगल लिया, ऊंट की तरह अंदर। बाद में कुछ भी होता रहे ध्यान तो देते नहीं। जबकि चबा चबा के खाना जरूरी होता है। तो हमारे कहने का मलतब खान पान में जहर हो गया।
सत्संग में बैठेगा इन्सान तो शुद्ध ही सुनने को मिलेगा
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारी महान संस्कृति गायब होती जा रही है। तो साईं मस्ताना जी महाराज आए, बिलौचितान से चलकर आए, सावण शाह साईं जी ने उन्हें नवाजा, दाता रहबर साईं जी ने और फिर शाह मस्ताना जी दाता भी साईं ही कहलाये। उन्होंने सिखाया कैसे हम ऐसे वातावरण में शुद्ध रहे। खाना-पीना शुद्ध हो, बोलना शुद्ध हो, तो आकर अगर आप जो सत्संग में बैठते हंै, यहां से तो आप शुद्ध ही सुनोगे। यहां से बुराई तो आप लेकर नहीं जाओगे। हां आपके अंदर जो बुराइयां है उनको यहां छोड़ सकते हो, उनको त्याग सकते हो। क्योंकि यहां से वो आत्मबल देते हैं शाह मस्ताना, शाह सतनाम दाता, जिससे हिम्मत आती है, ताकि आप अपनी आदत बादल सकें।
सोच रखे पॉजिटिव
पूज्य गुरु जी ने कहा कि इन्सान के अंदर सोच पॉजीटिव होगी तो छोटी सी दवाई भी काम करेगी और दवाई कितनी भी बड़ी ले लो अगर सोच नेगेटिव है तो आप कभी भी ठीक नहीं हो पाएंगे यानी दवा असर नहीं करेगी। तो विल पावर कैसे ग्रहण करनी है, ये साईं मस्ताना जी, शाह सतनाम जी दाता रहबर ने बताया कि, गुरुमंत्र, नाम, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन, कलमा जिसका अभ्यास कीजिए , इसका जाप कीजिए। जैसे-जैसे आप अभ्यास करेंगे, आपके विकार आपसे दूर होंगे।
साईं जी ने टैंशन फ्री रहने का सिखाया तरीका
पूज्य गुरु जी ने बताया कि शाह मस्तान जी व शाह सतनाम जी दाता ने हमें सिखाया कि टैंशन को रोकना कैसे है। क्योंकि हमारी संस्कृति में रिश्तों के प्रति बड़ा प्यार है। पुराने समय में हम एक-दूसरे से दूर नहीं होते थे। लेकिन आजकल यह प्यार कम होने लगा है। आज के समय में परिवार एक-दूसरे से जुड़े कम है, टूटे ज्यादा है। आज समाज इतना बदल गया है कि मां-बाप भी अपने बच्चों को कुछ नहीं बोल सकते। लेकिन बच्चों को सही रास्ते पर चलाना जरूरी है, सही रास्ता दिखाना जरूरी है। इसलिए बच्चों को अच्छी शिक्षा देते रहिए। सही रास्ते की बात बताते रहिए। तो ही आप इस कलियुग में परमानंद प्राप्त कर पाएंगे और अच्छी खुशियां ले पाएंगे।
आज के दौर में चल रही खुदगर्जी की हवा
पूज्य गुरु जी ने कहा कि समाज में हवा कैसे भी चले, उसी के अनुरूप अपनी ओट कर लो। आज के दौर में खुदगर्जी की हवा चल रही है। आज के दौर स्वार्थीपन बेहद छा गया है। स्वार्थ के बिना कोई बात ही नहीं करना चाहता। जब इन्सान को अपने स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती तो वह उसे प्यार ही नहीं मानता। इन्सान कहता है कि मेरे स्वार्थ की पूर्ति होनी चाहिए, तभी प्यार है। वरना कोई प्यार नहीं है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि सच्चा प्यार आत्मिक प्यार होता है। अगर इन्सान की भावना शुद्ध है और राम-अल्लाह, सतगुरु, मौला से प्यार करते है तो यकीन मानिए इन्सान टैंशन फ्री रहेगा और शरीर में तंदरूस्ती रहेगी तथा इन्सान के दिलो-दिमाग में कभी भी चिंता के बादल नहीं छाएंगे। इसलिए जरूरी है कि इन्सान स्वार्थी ना होकर के बेगर्ज, निस्वार्थ भावना में एक बार जी कर तो देखों। उसका एक अलग ही मजा होता है। पूज्य गुरु जी ने बताया कि साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने घर-परिवार में रहते हुए अपने विचारों का शुद्धिकरण करने का आसान तरीका बताया है। घंटा सुबह-शाम राम के नाम का सुमिरन करने से इन्सान की बुराइयां छूटेगी तथा साथ में इन्सान की बुरी आदतों में बदलाव आएगा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जिस इन्सान के अंदर संतुष्टि आ जाती है, उससे सुखी इन्सान दुनिया में कोई नहीं हो सकता।
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