- कुछ ही घंटों में लाखों लोग देख चुके भजन को
- पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दिवाली पर भजन, ‘साडी नित दिवाली’ को किया लॉन्च
- घी के दिए और फुलझड़ी जलाकर मनाया दीपोत्सव का पर्व
सरसा, सुनील वर्मा। रोशनी के पर्व दीपावली पर सोमवार शाम को पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से दिवाली विशेष सॉन्ग साड़ी नित दिवाली को लैपटाप पर लॉन्च किया। लॉन्चिंग के साथ ही सॉन्ग यूट्यूब व इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया। वहीं इस दौरान ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से देश-विदेश में बैठी साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के साथ दिवाली का पर्व मनाया। पूज्य गुरु जी ने इस अवसर पर घी के दिए और फुलझड़ी जलाई। इसके पश्चात देश-विदेश की साध-संगत ने अपने अपने घरों में घी व तेल के दिए जलाए।
साड़ी नित दिवाली सॉन्ग लॉन्च होते ही यह हाथों हाथ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कुछ ही घंटों में सॉन्ग को लाखों लोग देख चुके हैं। साथ में हर किसी की जुबां पर साड़ी नित दिवाली सॉन्ग चढ़ हुआ है। पूज्य गुरु जी ने इस सॉन्ग के माध्यम से संदेश दिया कि दिवाली के दिन लोग दिए व लड़ियां लगाकर बाहर रोशनी करते है, लेकिन उनके अंदर अंधेरा छाया रहता है। अंदर-बाहर दोनों को चमकाने के लिए साईं जी ने प्रभु के नाम से जोड़ा है। इसके अलावा सॉन्ग में दिपावली पर्व पर बढ़ते नशे के प्रचलन पर कटाक्ष करते हुए बताया कि दिवाली वाले दिन लोग जुआ खेलकर और दारू (शराब) पीकर रावण बनते है, लेकिन जिनके लिए यह त्योहार (दीपावली) मनाया जाता है यानी रामजी के पददिचन्हों पर कोई नहीं चलता , जोकि दुखद है। इसके अलावा पूज्य गुरु जी ने सॉन्ग में बताया कि मनुष्य भगवान, अल्लाह के नाम से जुड़कर जीवन में आने वाले गम और चिंता को दूर कर सकता है।
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पूज्य गुरु जी ने दीप जलाते हुए कहा कि हमारी तरफ से सभी को बहुत बहुत दीपावली की शुभकामनाएं। यह प्रकाश का पर्व आप सबके घरों में खुशियां लेकर आए और आपके गम, दुख, दर्द, चिंता रूपी अंधकार को दूर कर दें और आपके घरों को खुशियों से मालामाल कर दें, प्रकाश से भर दें। भगवान से प्रार्थना करते है और आप सबको आशीर्वाद देते है। परम पिता शाह सतनाम, शाह मस्तान जी दाता रहबर आपकी झोलिया खुशियों से भरें।
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पूज्य गुरु जी ने ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि एक शिष्य को अपने गुरु से भगवान को ही मांगना चाहिए और इसके अलावा गुरु से सबका भला और पूरे संसार का भला मांगना चाहिए तथा खुद के लिए सेवा-सिमरन की भावना रखें, कि मेरी सेवा-सिमरन की भावना कभी मरने ना पाए। हमारे हिसाब से इससे बड़ी कोई दूसरी मांग हो नहीं सकती। एक अन्य सवाल के जवाब में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि गुरुगद्दी पर आने से पहले वे गरीब लोग जो आर्थिक तोर पर कमजोर होते थे, उन्हें बुलाते थे तथा उन्हें मिठाई इत्यादि बांटते थे। आज भी दिवाली पर्व पर 42 जरूरतमंद लोगों के लिए कपड़े, राशन सहित अन्य जरूरी सामान भेजा गया है।
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