21 अक्टूबर यानी आज के दिन सन् 1296 में मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji ) ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी। अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के दूसरे शासक थे और उन्होंने अपना शासन दक्षिण भारत के मदुरै तक फैला दिया था। कहा जाता है कि उनके बाद कोई भी शासक इतना साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाया। अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा और दामाद था। अलाउद्दीन खिलजी ने राज्य को पाने की चाह में सन् 1296 में अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या कर दी और दिल्ली में स्थित बलबन के लाल महल में अपना राज्याभिषेक करवाया। मदुरै तक अपने साम्राज्य को बढ़ाने वाले खिलजी का नाम राजस्थान के इतिहास में भी दर्ज है। चित्तौड़गढ़ को रानी पद्मिनी को पाने के लिए उसने चित्तौड़ पर हमला किया। खिलजी ने महाराणा रतन सिंह के पास संधि का प्रस्ताव भेजकर धोखे से महल में प्रवेश किया और चालाकी से रतनसिंह को बंधक बना लिया। वे पहले मुस्लिम शासक थे, जिन्होंने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य फैलाया था और जीत हासिल की थी। विजय के लिए उनका जुनून ही उन्हें युद्ध में सफलता दिलाता था, जिससे दक्षिण भारत में उनका प्रभाव बढ़ता गया और उनके साम्राज्य का विस्तार बढ़ता गया। खिलजी के साम्राज्य में उनके सबसे अधिक वफादार जनरल थे मलिक काफूर और खुश्रव खान। विस्तार के साथ-साथ खिलजी अपनी दिल्ली की सल्तनत को मंगोल आक्रमणकारियों से बचाने में भी लगा रहा। मंगोल की विशाल सेना को हराकर खिलजी ने सेंट्रल एशिया पर कब्जा कर लिया था, जिसे आज अफगानिस्तान के नाम से जानते है।
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