बरनावा (सोनू)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के बरनावा आश्रम में पधारने पर जहां पूरे विश्व भर में दिवाली सा माहौल बना हुआ है। पूज्य गुरु जी हर रोज यूटयूब चैनल पर लाइव आकर साध-संगत को दर्शन दे रहे हैं। वहीं साध-संगत अपने-अपने ब्लॉकों में नामचर्चा घरों में व अपने घरों में रंगोली से वैलकम एम एस जी लिखा जो कि दृश्य देखने योग्य था। साध संगत द्वारा आकर्षक रंगोली व निकली जागो निकाली गई। जहां छोटे बच्चे, बूढ़े, नौजवान व महिलाएं तथा बुजुर्ग माताएं नाच-गाकर खुशी मना रहे थे व पूज्य गुरु जी द्वारा गाए गए भजनों पर व ढोल की थाप पर खूब भंगड़ा डाल रहे थे। वहीं डेरा श्रद्धालूओं द्वारा चलाई गई आतिशबाजियों की गड़गड़ाहट से आसमान चमचमा उठा था। उधर पूज्य गुरु जी आज यूटयूब चैनल पर लाइव आकर साध-संगत को दर्शन दिए। आइयें पूज्य गुरु जी के दर्शन व रूहानी वचनों को सुनते हैं….
मंगलवार को आॅनलाइन रूबरू कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरु जी ने फरमाते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि भगवान ने उम्र लिख दी, लेकिन भगवान ने उम्र नहीं लिखी होती, श्वास लिखे होते है। नशे से एक मिनट में 16 से 18 श्वास लेने की जगह 30 से 32 श्वास ले लेते हो और 100 साल की उम्र की जगह 50 में ही मौत हो जाती है। 70 वाले की 35 में और 50 वाले की 25 साल में मौत हो जाती है। तो इस प्रकार से नशे में पड़कर आप अपने आप को बर्बाद कर रहे हो। तो ये जो निशानियां जो आ रही है, बड़ी डरावनी है, बड़ी घातक है। ओम, हरि, अल्लाह,वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब से दुआ, प्रार्थना, अरदास है कि मालिक तू रोके तो रोके, वरना आज ये गंदगी खाने से, ड्रग्स से, बुराई करने से आज का इन्सान बाज नहीं आ रहा। हट ही नहीं रहा। किसी के रोकने से रूक नहीं रहा। मां-बाप रोकते हंै तो खुदखुशी का डरावा देता है। मां-बाप रोकते हंै तो भद्दे लगते है, गंदे लगते है। ये क्यूं रोकते हैं मुझे नशा करने से, तो समाज में भयानक परिवर्तन आ रहे हंै। उसी का एक ये अंग है। आप महसूस करके देख लो। बरसात बिना मौसम के हो रही है। मौसम जो पहले नहीं होता था, वो हो रहा है और जो नहीं होना चाहिए, वो भी हो रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे है, पानी नीचे जा रहा है। कोयला, डीजल, पेट्रोल कब तक चलेगा, फिर क्या करोगे, सुविधाओं के आदि तो हो गए। अब लाइटों के आदि है, पंखों के आदि है, एसी के भी आदि है लोग। बहुत सारी चीजे हंै। पर जब ये चीजे जिनसे ये बनता है, खत्म होगी, तो कैसे चलेगा काम। पुरातन समय में सौर ऊर्जा बिजली की ही रोशनी से सब कुछ लिया जाता था और प्रदूषण भी नहीं फैलता उससे। हमें महसूस हो रहा है, फिलिंग आ रही है कि कहीं साइकिल ही पहले की तरह सवारी ना हो जाए। साइकिल चलाना वैसे नंबर वन है। इससे सेहत ही बनती है और जहां जाना है वहां भी पहुंच जाते है। वैसे गाड़ी में जाने से जेब भी खाली होती है और सेहत भी खाली होती है, लेकिन गाड़ी में जाना पड़ता है, जब तक गाड़ी चल रही है।
बहार भी पतझड़ लगती है जब दिमाक में टैंशन भरी हो
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि आत्मबल, विश्वास से ही बात बनती है। अब आप जिमीदार को ले लिजिए, दुकान पर जाएगा, दुकानदार से बात करेगा, दुकानदार कहता है कि यह गेहूं ले जाओ, 60 मण निकलेगी, 70 मण निकलेगी, 80 मण निकलेगी तो क्या कोई सूंघ कर, खाकर, देखकर बता सकता है कि वो बीज वाकई इतना निकलेगा, नहीं बता सकते। लेकिन हम ये सारा कर्म करते है, करते रहे है, लेकिन यकिन करना पड़ता है। इन्सान को दुनियादारी में जो समस्याए, परेशानियां आती है, उनका समाधान है। वो है राम का नाम। राम के नाम का निरंतर जाप करें, ओम, हरि, अल्लाह, गॉड, खुदा, रब्ब, वाहेगुरु की भक्ति करें। उससे ये जो आप बिजनेस, व्यापार, खेती बाड़ी करते हैं, इनमें भी फायदा होगा और शरीर का भी बहुत फायदा होगा तथा आत्मिक सुख मिलेगा। पूज्य गुरु जी ने कहा कि पतझड़ में भी बहार लगती है। कब लगती है जब शरीर तंदरूस्त हो और दिमाक खुश हो। बहार भी पतझड़ लगती है जब दिमाक में टैंशन भरी हो और शरीर बिमारियों से घिरा हो। कितनी भी बहार आ जाए,ऐसे लगेगा जैसे पतझड़ है। तो जब शरीर में तंदरुस्ती होगी और दिमाक टेंशन फ्री होगा, जब दिमाक में आत्मबल परिपूर्ण होगा तो आपके शरीर में पतझड़ भी बहार लगने लगेगी और जब बहार लगेगी तथा बहार में जो बिज बोया जाता है वो फलता-फूलता है।
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