बरनावा आश्रम से ऑनलाइन रूबरू होते हुए पूज्य गुरु जी ने अनमोल वचनों से किया निहाल
बरनावा। उत्तर प्रदेश बागपत स्थित डेरा सच्चा सौदा, शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा में सोमवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने देश-विदेश की साध-संगत से ऑनलाइन रूबरू होकर दर्श-दीदार दिए। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित डेरा सच्चा सौदा के आश्रमों, नामचर्चा घरों और विदेशों में बैठी साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को पूरी श्रद्धाभाव से श्रवण किया। बरनावा आश्रम से आॅनलाइन रूबरू होते हुए पूज्य गुरु जी ने कीमती है ये समां इसे लगाता कहां, सत्संग में आ जा फायदा उठा जा देखे जो सब नाशवां…बोला।
जिस पर साध-संगत ने नाचगाकर खुशियां मनाई। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से ऑनलाइन रूबरू होते हुए फरमाया कि भारत का कल्चर पूरे विश्व से अलग है और हमारी संस्कृति नंबर वन है। हमने पूरी दुनिया को अपना कल्चर सिखाना है। उनके कल्चर में पड़कर गंद नहीं बनना। कभी ऐसा जमाना भी था जब लोग हमारे देश में पढ़ने आया करते थे। नालंदा यूनिवर्सिटी में विदेशों के बच्चे पढ़ने के लिए आते थे। हमारा रूपया सबसे आगे था। इसलिए भारत को सोने की चिड़ियां कहा जाता था। हमारे देश को सोने की चिड़ियां बनाने वाले हमारे वंशज ही है। फिर क्यों हम अपनी संस्कृति को छोड़कर दूसरों की संस्कृति को फॉलो कर रहे हंै। क्यों अपनी संस्कृति छोड़कर दूसरों की संस्कृति की तरफ बढ़ते जा रहे हंै। एक दिन पूरा विश्व हमारी संस्कृति का कायल होकर रहेगा।
विदेशी लोग गुरुमंत्र की तरफ आ रहे है और आप लोग उनकी गंदगी की तरफ जा रहे हैं
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि विदेशी लोग अंशात होते जा रहे है और उनको शांति चाहिए और आप लोग उनको फॉलो करते जा रहे हंै। विदेशी लोग ढूंढ रहे हैं, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन यानि हमारा गुरुमंत्रा। जिसे कलमा, नामशब्द कहा जाता है। अलग-अलग धर्मों में इसके अलग-अलग नाम है। वो लोग गुरुमंत्र की तरफ आ रहे है और आप लोग उनकी गंदगी की तरफ जा रहे हो। हमारे बहुत सारे बच्चे उनकी तरफ जा रहे है। यह बहुत दर्दनाक है। पूरा विश्व कायल है हमारी संस्कृति का। आप मानो या ना मानो एक दिन ऐसा आने वाला है। क्योंकि शांति मिलेगी तो हमारे संत-पीर पैगंबरों के बताए गए मार्ग से मिलेगी और वो कहीं लटकता हुआ आम-अमरूद का पेड़ नहीं है जो तोड़कर खा लेंगे और उससे शांति आ जाएगी। वो गुरुमंत्रा, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन ही है जो आत्मा को शांति दे सकता है, दिमाग को शांति दे सकता है।
हमारे पवित्र ग्रंथों में ज्ञान का समुन्द्र है
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि समय को संभालों। क्योंकि हमारी संस्कृति महान है। स्वस्थ परंपरा हमारी थी। सबसे पहले पवित्र वेद बने। यह हर दुनिया का बंदा मानता है। सबसे पुरातन ग्रंथ है तो वह पवित्र वेद है। उनमें सब कुछ लिखा हुआ है। लेकिन पढ़ने वाले का नजरिया चाहिए। हमारे पवित्र ग्रंथों में समुन्द्र है ज्ञान का। हम अपने राजाओं से प्रार्थना करेंगे कि दोबारा से ऐसा हो जाए कि विदेशी हमारे यहां पढ़ने आए। कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता।
हम सच बोलते थे, सच बोल रहे है और सच बोलते रहेंगे
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जहां भगवान ना हो, वहां चाहे बुरा कर्म कर लेना और जहां भगवान हो वहां अच्छा कर्म ही करना, लेकिन ऐसी कोई जगह ही नहीं जहाँ भगवान नहीं है। वह तो आपके अंदर ही है तो बुरा कर्म कोई कैसे कर सकता है। पीर-फकीर संतों का तो काम ही सच बताना होता है। लेकिन सच कड़वा होता है। वो अब सब दुनिया जान चुकी है। सच बोलने के लिए जिगरा चाहिए और हमें शाह सतनाम, मस्तान साईं जी ने ऐसा जिगरा दिया है कि सच बोलते थे, सच बोल रहे हंै और सच बोलते रहेंगे। इसलिए आज हम राजा, महाराजाओं, आम लोगों सबसे ही आह्वान कर रहे हंै कि वो समय वापिस आ जाए कि विदेशी लोग यह कहने लग जाए कि पढ़ाई करने या कुछ सिखने के लिए हमें भारत में जाना है।
गुरुकुल में पढ़ाया जाता है हर पाठ
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि हिंदु धर्म में ब्रह्मचर्य के लिए 25 साल रखे गए थे। उनमें सिर्फ पढ़ाई, शरीर का बनाना, दिमाग को बढ़ाना, ये चीजे वहां सिखाई जाती थी। इसके अलावा बड़ो का सत्कार करना, इन्सानियत का पाढ़ पढ़ाना, इज्जत सत्कार के साथ जीना और ससम्मान जीने की शिक्षा देना तथा दूसरों का भी सम्मान करना, ये चीजे गुरुकुल में सिखाई जाती थी। अगले 25 साल घर-गृहस्थी के लिए होते थे। गृहस्थ जीवन के बारे में भी पुराने समय में ट्रेनिंग दी जाती थी। क्योंकि इनसे अनजान होने के कारण बहुत से लोग बीमारियों से घिर जाते हंै। यह सब समय का चक्कर है और समय को संभालना मां-बाप का फर्ज है।
जो पल गुजर गया वो दोबारा नहीं आता, समय की अहमियत समझो
पूज्य गुरु जी ने समय की अहमियत बताते हुए फरमाया कि समय हमेशा से कीमती रहा है। किसी को बचपन में अहसास हो जाता है, वह बहुत ही भाग्यशाली है। कोई जवानी में अहसास कर लेता है, वो भी भाग्यशाली है। कोई अधेड़ अवस्था में एहसास कर लेता है, वो भी अच्छा है। कोई बुर्जुग अवस्था में जाकर एहसास करता है, ना से तो वो भी अच्छा है। समय एक ऐसी अनमोल वस्तु है, जो निकल गया वो वापिस आने से रहा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आप कहते है कि ये तारीख फिर नहीं आती, आप तारीख की बात करते हंै।
जो पल गुजर गया वो दोबारा नहीं आता। आज की तारीख, आज का दिन, आज का सन और आज का यह पल। ये जब गुजर गया फिर कब आएगा?। पूज्य गुरु जी ने कहा कि समय कभी भी किसी के लिए ना तो कभी रूका था, ना रूका है और ना ही कभी रूकेगा। यह तो चलता रहता है। टाइम एक ऐसी चीज है, अगर यह रूक गया तो सब कुछ रूक जाता है। लेकिन मनुष्य एक ऐसा जीव है, जो इस टाइम के साथ चल सकता है। चल तो और भी सकते हंै लेकिन उन्हें इतनी अकल ही नहीं है कि वो समय के मुताबिक चल सकें। समय के अनुसार चलना बेहद जरूरी है।
समय के अनुसार पीर-फकीर अपनी बात में थोड़ा-थोड़ा चेंज करते रहते हंै
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि समय के अनुसार पीर-फकीर अपनी बात में थोड़ा-थोड़ा चेंज करते रहते हंै। पूज्य गुरु जी ने बच्चों में बढ़ते मोबाइल के प्रयोग पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कभी भी इन्सान को गंदगी नहीं देखनी चाहिए। अच्छी चीज देखो। अगर कोई सीखना चाहे तो इन्हीं (मोबाइल) डिवाइस पर बहुत कुछ सीखा जा सकता है। बड़ी तरक्की की जा सकती है और बहुत कुछ कमाया भी जा सकता है।
लेकिन आप इनका प्रयोग करके गवाते ज्यादा हो, कमाते कम हो। छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल आदि पर गेम्स खेलते रहते हंै। जिससे उनकी आंखे कमजोर हो जाती है और बड़े-बड़े चश्मे उनकी आंखों पर आ जाते हंै। इस अवसर पर राजस्थान के श्रीगंगानगर, मेरठ, करनाल व डेरा सच्चा सौदा सांझा धाम मलोट में पूज्य गुरु जी ने हजारों लोगों की बुराईयां व नशा छुड़वाया और उन्हें गुरुमंत्र प्रदान किया।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।