‘गांव का नाम चुघ्घां, नाम लेकर कर दो उघ्घा, फिर बनेगा उघ्घा, फिर हो जाएगा चुघ्घा’
सच कहूँ/मनजीत नरूआणा
चुघ्घे कलां/बठिंडा। कहते हैं जिस धरती पर पूर्ण मुर्शिद के पावन चरण कमल पड़ जाएं, वह धरती भागों वाली हो जाती है। गांव और ब्लॉक चुघ्घे कलां जिला बठिंडा में डेरा सच्चा सौदा सरसा की दूसरी (spirituality) पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने सात बार अपने पावन चरण कमल इस गांव में टिकाकर रूहानी सत्संग फरमाकर हजारों लोगों को नाम की अनमोल दात बख्शी। पूजनीय परम पिता जी ने इस गांव में पहला रूहानी सत्संग 1965 में फरमाया, जहां नाम की अनमोल दात देकर गांववासियों का उद्धार किया, उसके बाद आप जी ने 1966 में रूहानी सत्संग फरमाया, फिर उसके बाद 1967, 1968, 1969 और 1971 में रूहानी सत्संग फरमाए। 1971 में हिंद-पाक युद्ध छिड़ने के कारण डेरा सच्चा सौदा सरसा में पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का पावन जन्म भंडारा नहीं मनाया गया। जो बाद में पूजनीय परम पिता जी ने यही भंडारा दिसंबर महीने में गांव चुघ्घे कलां आकर मनाया।
यह भी पढ़ें: मेमनों के बहाने पोते बख्शे
पुराने सत्संगी डॉ. बलदेव सिंह इन्सां ने जानकारी देते हुए बताया एक बार पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने रूहानी सत्संग दौरान कव्वाली ‘मस्तां तूं किहड़ी पीनी है’ बुलवाई तो सत्संग में बैठी साध-संगत खड़ी होकर झूमने लगी, उस समय पूजनीय परम पिता जी ने वचन फरमाए कि बेटा अभी तो ढ़क्कन ही खोला है, पिलाई तो है ही नहीं। इसके बाद पूजनीय परम पिता जी, डॉक्टर बलदेव सिंह इन्सां के घर पावन चरण कमल टिकाने के लिए पधारे, जहां उनकी माता जंगीर कौर ने पूजनीय परम पिता जी से अर्ज की कि पिता जी भूत-प्रेत परेशान करते हैं तब इस पर पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया कि जिसने नाम-शब्द ले लिया है उसके भूत-पे्रत नजदीक भी नहीं आता। जितने बार पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने इस गांव में सत्संग फरमाए उतने बार आप जी का उतारा नाजर सिंह मिस्त्री, प्रीतम सिंह, अजायब सिंह और तेज सिंह मिस्त्री के घर रहा।
एक बार पूजनीय परम पिता जी ने सेवा समिति मैंबर बलजिन्द्र सिंह इन्सां के घर अपने पावन चरण कमल टिकाए। आखिरी बार जब पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज 15 जनवरी 1978 को रूहानी सत्संग फरमाने के लिए इस गांव में पधारे तो पूजनीय परम पिता जी ने वचन फरमाए कि गांव का नाम है ‘चुघ्घा, लेकर नाम कर दो उघ्घा, फिर बनेगा उघ्घा, फिर हो जाएगा चुघ्घा।’ आप की दया मेहर रहमत से ही 1994 में इस गांव का नाम और ब्लॉक चुघ्घे कलां बना।
पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए ब्लॉक चुघ्घे कलां की साध-संगत मानवता भलाई के 142 कार्यों में लगातार हिस्सा ले रही है। अब तक ब्लॉक के सेवादारों द्वारा मरणोंपरांत दर्जनों शरीरदान मेडीकल रिसर्च के लिए दान किए जा चुके हैं, दर्जनों जरूरतमंद परिवारों को घर बनाकर दिए जा चुके हैं। पूजनीय परम पिता जी की दया मेहर रहमत से समूह ब्लॉक के डेरा श्रद्धालु सब सुखों भरी जिंदगी व्यत्तीत कर रहे हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।