नागपुर (एजेंसी)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने और उन्हें इस तरह से सशक्त बनाने की जरूरत है कि वे अपने निर्णय स्वंय लें। यहां रेशमबाग में स्थित आरएसएस मुख्यालय पर वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘शक्ति शांति का आधार है और हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने और उन्हें इस तरह सशक्त बनाने की जरूरत है कि वे अपने फैसले खुद कर सकें क्योंकि महिलाओं के बिना समाज समृद्ध नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘हमारे सनातन धर्म में बाधाएं उन ताकतों द्वारा निर्मित हैं जो भारत की एकता और प्रगति के विरोधी हैं। वे अराजकता को प्रोत्साहित करते हैं, आपराधिक कृत्यों में लिप्त होते हैं, आतंक, संघर्ष और सामाजिक अशांति को बढ़ावा देते हैं। आरएसएस के प्रमुख ने कहा कि परिवर्तन का नियम है प्रकृति, सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए और साथ ही भारत को व्यापक विचार के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है यह लोगों का भ्रम है। विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को अपनाकर उच्च संस्कारी, अच्छे इंसान बनें, जो देशभक्ति से भी प्रेरित हों। हमें इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की आवश्यकता है। भागवत ने बेरोजगारी और रोजगार सृजन पर विपक्ष के रोने का भी जवाब दिया और कहा, नौकरियों और रोजगार के लिए सरकार को अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। समाज और लोगों को भी इसके लिए काम करना चाहिए। अल्पसंख्यकों के लिए खतरा होने के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए भागवत ने कहा कि इस तरह की हरकतें न तो संघ और न ही हिंदुओं से जुड़ी है। हिंदू की प्रकृति भाईचारे और शांति के पक्ष में खड़ा होने की है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पर्वतारोही संतोष यादव थे।
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