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पूरे विश्व में सोयाबीन और ऑयल पंप के बाद सरसों की तीसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल
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हरियाणा में सरसों की खेती का रकबा 2019-20 में 5 .62 हेक्टेयर से बढ़कर 2020-21 में हुआ 6 .10 लाख हेक्टेयर
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा विकसित की गई बीजों की उन्नत किस्में
उकलाना (सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र) सरसों की फसल पूरे हरियाणा में (Sarso ki Kheti) मुख्य रूप से बोई जाने वाली फसल है । सितंबर माह में सरसों की बुवाई शुरू हो जाती है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में किसान सरसों की फसल की खेती करते हैं । सरसों की फसल को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। आजकल हरियाणा में किसान सरसों की खेती बहुत कम मात्रा में करने लगे थे सरकार ने सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों के बीज तैयार । कुछ वर्षों पहले सरसों खेती का रकबा घटा था लेकिन सरकार द्वारा अच्छे प्रयास व किसानों की मेहनत के बल पर एक बार फिर सरसों की खेती का रकबा 2019 – 20 व 2020 – 21 में बढ़ा है । जो किसानों के लिए बहुत ही अच्छी खबर है । जिन स्थानों पर सरसों की खेती नहीं की जाती वहां किसान सरसों की फसल की तरफ ध्यान देकर बड़े पैमाने पर अच्छा मुनाफा कमा सकता है ।
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सरसों की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और समय
सरसों की खेती सर्दियों की ऋतु में की जाती हैं। इसके लिए ज्यादा गर्मी में तापमान की आवश्यकता नहीं पड़ती। किसान 15 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में सरसों की खेती कर सकता है। सभी प्रकार के मिट्टी में किसान सरसो की खेती कर सकता है। हरियाणा में ज्यादातर स्थानों पर रेतीली मिट्टी पाई जाती है लेकिन वहां भी सरसों की खेती बड़े पैमाने पर अच्छी पैदावार हो सकती है। लेकिन सबसे अच्छी और उपजाऊ मिट्टी की बात की जाए तो इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है ।
उन्नत किस्मों के बीज | Sarso ki Kheti
सरसों की फसल के लिए कई प्रकार के हाइब्रिड व उन्नत किस्मों के बीज बाजार में उपलब्ध हैं। सरसों की फसल के बीज वैसे तो बहुत महंगे दामों में मिलते हैं । एक या दो एकड़ वाला किसान आसानी से नहीं खरीद सकता । लेकिन किसान यदि फिर भी किसान मेहनत करके सरसों की खेती करता है तो अच्छा मुनाफा कमा सकता है । सरसों की फसल के लिए उन्नत किस्म के बीज विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं। किसान इस प्रकार के हाइब्रिड बीजों का प्रयोग करके अच्छी पैदावार में मुनाफा ले सकता है। आर एच 30 यह बहुत ही अच्छी किस्म का बीज है। जिसे किसान शुष्क क्षेत्रों में भी बो सकता हो सकता है। जहां पर पानी की बहुत कमी है वहां पर भी किसान इसे भोकर अच्छी पैदावार ले सकता है। और जहां पर पानी बहुत ज्यादा है वहां भी इस प्रकार के बीज की बुवाई कर के किसान अच्छी पैदावार दे सकता है। इस बीज का प्रयोग दोनों स्थितियों में किया जा सकता है। टी 59 इसकी उपज असिंचित अवस्था में की जाती है।
इसके ऊपर 15 से 18 किवंटल प्रति एकड़ होती है। इसमें तेल की मात्रा 36% होती है। अरावली आर ऍन 393 यह सफेद रोली के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। एनआरसीएच बी -101 । यह सिंचित क्षेत्र के लिए बहुत ही उपयोगी किचन मानी जाती है। इसका उत्पादन 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ दर्ज किया गया है । ऍन आर सी डी आर 2 इसका उत्पादन अपेक्षाकृत बहुत अच्छा है । इसका उत्पादन 20 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ तक माना जाता है । आर एच 749 इसका उत्पादन 24 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ तक दर्ज किया जा चुका है । बुवाई के लिए शुष्क क्षेत्रों में बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम तक और सिंचित क्षेत्र में 304 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयुक्त माना जाता है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा विकसित की गई बीजों की उन्नत किस्में
हरियाणा के हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई उन्नत किस्में आरे 1424 आरे 1706 विकसित की है अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता के कारण इन किसानों को कृषि के अनुसंधान संस्थान दुर्गापुर राजस्थान में अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजना सरसों की हुई बैठक में हरियाणा पंजाब दिल्ली उत्तरी राजस्थान और जम्मू में खेती के लिए अनुमोदित किया गया है आर एच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुआई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि 1706 जो कि 1 मूल्य वर्धित किसम है । इन राज्यों के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त किसम पाई गई है बारानी परीक्षणों में नव विकसित कि सारे 1424 में लोकप्रिय किसम आरएच 725 की तुलना में 14% की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत बीज ऊपर दर्ज की गई है यह किस्म 139 दिनों में पक जाती है और इसके बीजों में तेल की मात्रा 40 .5 प्रतिशत होती है।
सरसों की दूसरी किस्म आर एच 1706 में 2 पॉइंट 0% से कम यूरिक एसिड होने के साथ इसके तेल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है । जिसका उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को लाभ होगा यह किस्म पकने में 140 दिन का समय लेती है और उसकी औसत बीजों पर 27 किवंटल हेक्टर है इसके बीजों में 38% तेल की मात्रा होती है । चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई ने किस्मे है आरएच 761 , आर एच 725 , आरएच 0749 , आर एच 0406 , आर एच 0 119 आर बी 50 , स्वर्ण ज्योति , वसुंधरा , लक्ष्मी , आरएच 781 , आर एच 719 , सौरभ , आर एच – 30 व प्रकाश । राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में सरसों की खेती का रकबा काफी बढ़ा है जो यह 2019-20 में 5 .62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2020 – 2021 में लगभग 6 .10 लाख हो गया ।
तकनीकी जानकारी के लिए संपर्क
गर्मी और बारिश से खरीफ फसलों में हुए नुक़सान को देखते हुए, इस साल भी सरसों की खेती के रकबे में बढ़ोत्तरी की संभावना है। अब किसानों की उम्मीद रबी फसलों पर टिकी हुई है। सरसों की खेती के बारे में तकनीकी जानकारी के लिए किसान अपने पास के कृषि विज्ञान केंद्र या हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में संपर्क कर सकते हैं। – डॉ. विनीता राजपूत ज़िला विस्तार विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र (सिरसा)
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