उत्तरप्रदेश के कई मंत्रियों ने किया गुरुकुल कुरुक्षेत्र का भ्रमण
कुरुक्षेत्र(सच कहूँ/देवीलाल बारना)। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) फार्म की तर्ज पर अब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी कृषि विभाग अपने रिसर्च सेंटर और कृषि विज्ञान केन्द्र की जमीनों पर प्राकृतिक खेती करेगा। इसमें सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि तकनीक पर आधारित देशी गाय के गोबर और गोमूत्र से जीवामृत व घनजीवामृत निर्माण से लेकर बहुफसल तकनीक से फसलें उगाई जाएंगी और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग देकर प्रदेश के किसानों को खेती की इस पारम्परिक तकनीक से जोड़ा जाएगा।
इसको लेकर उत्तरप्रदेश के कृषि, शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के मॉडल का अवलोकन करने पहुंचे। गुरुकुल में पहुंचने पर हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुज्जर ने भव्य स्वागत किया।
उत्तर प्रदेश में 47 स्थानों को किया गया चिन्हित
कृषि मंत्री शाही ने कहा कि वर्ष 2018 में गुरुकुल कुरुक्षेत्र का दौरा करने के बाद से लगातार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार कृषि विभाग के आला अधिकारियों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहे हंै जिसके तहत बुंदेलखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत अब प्राकृतिक खेती की जाएगी। इसके लिए 47 स्थानों को चिन्हित किया गया है।
बरसात के बाद भी गन्ना खड़ा देख हुए अचंभित
गुरुकुल फार्म का दौरा करने के उपरान्त उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हुई लगातार बरसात से उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी गन्ना और 50 फीसदी धान की फसल गिरकर खराब हुई है मगर गुरुकुल के फार्म पर गन्ना और धान की फसल मजबूती से खड़ी है और उनमें पानी भी नहीं है, इससे स्पष्ट होता है कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिए कितनी कारगर साबित हो सकती है। उन्होंने गुरुकुल प्रबंधक समिति से आग्रह किया कि यूपी के किसानों को प्राकृतिक खेती की तथ्यपरक जानकारी देने के लिए डॉ. हरिओम और डॉ. बलजीत सहारण की दो-दो दिन की कार्यशालाओं का आयोजन यूपी में अलग-अलग स्थानों पर करवाए।
गुरुकुल में प्रशिक्षण लेंगे कृषि वैज्ञानिक
इसके अलावा कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि विभाग व वन विभाग के कृषि वैज्ञानिकों, अधिकारी और कर्मचारियों को गुरुकुल के ट्रेनिंग सेंटर में भेजकर पूरी ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी ताकि वे मास्टर ट्रेनर के रूप में सीधे किसानों से मिलकर उन्हें प्राकृतिक खेती से जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर धरातल पर कार्य करने की जरूरत है।
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