ओढां(सच कहूँ/राजू)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा साध-संगत के नाम लिखी गई 12वीं चिट्ठी 23 सितंबर को पावन महापरोपकार दिवस पर आयोजित भंडारे पर साध-संगत के बीच पहुंची। पूर्ण मुर्शिद के चिट्ठी में फरमाए गए वचन एवं आशीर्वाद पाकर साध-संगत खुशी से फूले नहीं समाई। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने समस्त साध-संगत व मैनेजमेंट सहित सभी को अपना पावन आशीर्वाद भेजा। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को एकजुट रहने के अलावा सेवा-सुमिरन पर जोर देने की बात कही है। साध-संगत ने हाथ खड़े कर अन्य मानवता भलाई कार्यांे की भांति इस कार्य को भी जोर-शोर से गति देने की बात कही है।
पूज्य गुरु जी ने चिट्ठी के माध्यम से साध-संगत पर अपार स्नेह एवं आशीर्वाद की जो बरसात की है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। पूज्य गुरु जी दूर बैठे भी साध-संगत का कितना ख्याल रखते हैं वो उन्होंंने इस चिट्ठी में बता भी दिया। गुरु जी ने चिट्ठी में सभी को अपना आशीर्वाद व पावन भंडारे की बधाई दी है। पूज्य पिताजी ने चिट्ठी में साध-संगत की सबसे बड़ी मांग पूरी होने के भी संकेत दिए हैं।
– बहादुर इन्सां (नागोकी)।
पावन भंडारे पर चिट्ठी सुनकर तड़पती रूह शांत हो गई। पूज्य गुरु जी द्वारा चिट्ठी में फरमाए गए सारे वचनों का हम दृढ़ता से पालन करेंगे। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को आशीर्वाद के साथ-साथ मानवता भलाई कार्यांे को गति देने की बात कही है। पूज्य पिताजी के इस संदेश के बाद साध-संगत में एक नया उत्साह है। हमें उस दिन का इंतजार है जब हमारे मुर्शिद देह स्वरूप में हमारे बीच आएंगे। सतगुरु की इस प्रेमपाति को हमनें दिल में उतार लिया।
– रणजीत इन्सां (भीवां)।
हमारा विश्वास डेरा सच्चा सौदा में दृढ़ था और हमेशा दृढ़ रहेगा। हमारे सतगुुरु जैसा कोई नहीं। हम उनके पावन वचनों पर चलते थे और हमेशा दृढ़ता के साथ चलते रहेंगे। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को चिट्ठी मेें जो स्नेह भेजा है वो कहने सुनने से परे है। हमारे पिताजी दूर बैठकर भी साध-संगत का कितना ख्याल करते हैं।
रामकुमार (बनवाला)।
मेरे मुर्शिद की चिट्ठी बेशकीमती है। हम अपने गुरु का ऋण कई जन्म लेकर भी नहीं उतार सकते। चिट्ठी में गुरु जी ने आशीर्वाद व मानवता भलाई कार्यांे को गति देने के वचन फरमाए हैं। हम उनके वचनों पर शत-प्रतिशत अमल कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे।
-रानी इन्सां (अलीकां)।
पूज्य गुरु जी ने 12वीं चिट्ठी में अपने बच्चों को दोनों हाथों से आशीर्वाद भेजा है। अब तो बस एक ही मांग है कि पूज्य गुरु जी हमारे बीच परमानेंट आकर हमारा मार्गदर्शन करें। कई बार पढ़ने के बावजूद भी चिट्ठी से मन नहीं भरा। सच-कहूँ के माध्यम से चिट्ठी मेरे घर पहुंची। मैं पूज्य गुरु जी की सभी चिट्ठियों की भांति इस चिट्ठी को भी सहजकर रखूंगी।
– आशा इन्सां (नागोकी)।
प्यारे पिताजी ने करोड़ों लोगों की बुराइयां छुड़वाकर उन्हें राम-नाम से जोड़ दिया। हम उनका ऋण कभी नहीं उतार सकते। हमें गर्व है कि हम पूज्य गुरु जी के अनुयायी हैं। गुरु जी ने हमें जो मानवता भलाई कार्यांे का रास्ता दिखाया है हम उन पर अडोल चलते हुए एकजुटता रखेंगे।
– मनप्रीत इन्सां (नागोकी)।
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