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पदा प्रबंधन ने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह
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निजी कंपनियों से आपदा प्रबंधन की ओर से की गई है अपील
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बरसात के बीच दो दिन से गुरुग्राम हुआ पानी-पानी
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शहर में कई जगह पर बनी रही जाम की स्थिति
गुरुग्राम। (संजय कुमार मेहरा) बेमौसमी बरसात फिर से गुरुग्रामवासियों के लिए आफत बनकर बरसी है। दो दिन से लगातार हो रही बरसात ने फिर से शासन-प्रशासन के दावों को खोखला साबित कर दिया है। फिर से मिलेनियम सिटी पानी-पानी हो गई है। फिर से वही यातायात जाम से लोग जूझे। ऐसे में फिर से आपदा प्रबंधन ने निजी कंपनियों के कर्मचारियों को घरों से ही काम करने की अपील की है। यानी नया कुछ नहीं देखने को मिला। हर बार की तरह हाइवे और दूसरी सड़कों पर जलभराव हुआ। इसके साथ ही सड़कों में गड्ढे भी बन गए हैं।
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गुरुवार को शुरू हुई बरसात कुछ समय के लिए थमीं और फिर से शुरू हो गई। शुक्रवार की सुबह से ही बरसात जारी रही। बरसात के बीच जलभराव से वाहनों की रफ्तार धीमी होनी स्वाभाविक है। नए-पुराने गुरुग्राम के बीचों-बीच गुजर रहे दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-48 का तो बुरा हाल ही रहा। हरियाणा ही नहीं देश और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण शहर गुरुग्राम की ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर शासन की कोई सख्ती नहीं होती। अधिकारी बदलते रहते हैं। समस्याएं वही की वही रहती है।
बाकी विकास खूब हुए पर पानी निकासी के प्रबंध फेल
केंद्र और हरियाणा सरकार ने कई परियोजनाओं को सिरे चढ़ाकर यहां विकास के खूब काम किए हैं। फ्लाईओवर, अंडरपास, यू-टर्न जैसी तमाम सुविधाएं दे दी हैं। यानी सामान्य दिनों में यातायात जाम लगने वाले प्वाइंट पर यातायात सिगनल खत्म करके नॉन स्टॉप वाहनों का संचालन किया है। अगर इलाज नहीं हो पाया है तो वह है जलभराव। अनेक अधिकारियों की यहां नियुक्ति हुई है। हर बार अधिकारी बरसात से पूर्व शहर का दौरा करके बरसाती पानी निकासी की जायजा लेते हैं। अपने अधीनस्थ अधिकारियों को समयसीमा में नालों की सफाई करवाकर जलभराव नहीं होने के दावे करते हुए अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। लेकिन जब बरसात आती है तो सब दावे झूठे साबित होते हैं, सब काम अधूरे नजर आते हैं। सबसे बड़ी बात है कि सरकार की ओर से किसी का जवाबदेही तक तय नहीं की जाती।
लोग नालों में डालते हैं घरों से निकली गंदगी
एनएच-48 की सर्विस लेन की बात करें तो आम तौर पर यहां नालों से निकलकर पानी सड़क पर भरा रहता है। क्योंकि नालों की सफाई नहीं की जाती। नाले बंद पड़े रहते हैं। इसमें हाइवे किनारे के गांवों के लोगों की भी गलती साफ नजर आती है। क्योंकि लोग अपने घरों का कूड़ा-करकट सीधे इन नालों में ही डालकर घर की सफाई कर लेते हैं। नालों में डाला गया वही कूड़ा उनके घरों के आगे भरने वाले गंदे पानी का कारण बनता है। इसके बावजूद भी लोग समझदार नहीं हो रहे। हीरो होंडा चौक से जयपुर की तरफ जाते समय सीधी तरफ के गांव के लोग अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे।
मेयर मैडम, निगम कमिश्नर..जरा विचार करें, न्याय करें
- जलभराव पर भाजपा नेता ने भ्रष्टाचार के लगाए आरोप
- कुछ समय पूर्व बनाए नाले, फिर भी सेक्टर-10 पानी-पानी
शहर की कालोनियों में जलभराव से आजीज लोग लगातार सोशल मीडिया पर तस्वीरें और कमेंट लिखकर अधिकारियों को कोस रहे हैं। लोगों ने हर सोशल प्लेटफार्म पर गुरुग्राम के जलभराव को प्रशासन की विफलता बताया है। भाजपा नेता कमांडर उदयवीर यादव ने जलभराव पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि पार्षद, निगम के इंजीनियर स्वयं में कंसलटेंट भी हैं और तकनीक के जानने वाले भी हैं। इनके अजूबे विश्व में आठवें अजूबे के नाम से जाने जाएंगे। सेक्टर-10 में सीवर का और बाहर का पानी खांडसा मंडी की तरफ जाकर भरता है। सुझाव दिया था कि यदि नाले सेक्टर के बाहर बनाए जाते हैं तो यह पानी सेक्टर में नहीं आता। उन्होंने कहा है कि करीब 8 करोड़ रुपये खर्च करके सेक्टर-10 में बरसाती पानी निकासी के लिए नाले पर और आरसीसी सड़क बनाकर लेवल ऊंचा किया था। हालात अब भी पहले जैसे ही हैं। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा है कि-खेल खत्म पैसा हजम। कौन जिम्मेदार। कौन करदाताओं की जेब पर डाका डाल रहा है। मेयर मैडम, निगम कमिश्नर जरा विचार करें, गौर करें और हो सके तो कुछ न्याय करें।
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