समरकंद (एजेंसी)। यूक्रेन-रूस संघर्ष और ताइवान जलडमरूमध्य संकट सहित विभिन्न वैश्विक घटनाक्रमों के बीच शंघाई सहयोग (Shanghai Cooperation ) संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों के परिषद की 22वीं बैठक आज यहां शुरू होगी। मेजबान उज्बेकिस्तान ने शिखर सम्मेलन से पहले समरकंद में एक पार्टी का आयोजन किया। पार्टी में जिसमें भारतीय फिल्मों के गीत ‘जिमी जिमी आजा आजा आजा’ और ‘आई एम ए डिस्को डांसर’ की प्रस्तुति दी गयी जिसने उपस्थित प्रतिनिधियों का हर्षित किया। एससीओ शिखर सम्मेलन पर एक विशेष ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की भागीदारी उस महत्व का प्रतिबिंब है जो एससीओ और उसके लक्ष्यों के प्रति भारत की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा ‘यह समग्र रूप से एससीओ के साथ हमारे दृष्टिकोण से भी जुड़ा हुआ है। जैसा कि आप जानते हैं, हमने इस साल की शुरूआत में पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी और इससे पहले विदेश मंत्री स्तर की बैठक हुई थी। हम अपने संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित हैं।
Landed in Samarkand to take part in the SCO Summit. pic.twitter.com/xaZ0pkjHD1
— Narendra Modi (@narendramodi) September 15, 2022
एससीओ की स्थापना जून-2001 में हुई थी
शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा में सामयिक, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, एससीओ के स्वरूप और विस्तार, कनेक्टिविटी को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने की उम्मीद है। एससीओ की स्थापना जून-2001 में हुई थी और भारत 2017 में पूर्ण सदस्य बना । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 2017 में भारत के पूर्ण सदस्य बनने के बाद से हर साल एससीओ शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। वर्ष 2020 और 2021 में पिछले दो शिखर सम्मेलनों के दौरान मोदी ने वर्चुअल भागीदारी की थी। एससीओ एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है जिसमें आठ सदस्य देश भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान हैं। उज्बेकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का वर्तमान अध्यक्ष है।
अमेरिका की परेशानी
- दरअसल, अमेरिका के लिए भारत का साथ लेना आज के समय की जरूरत बन गई है।
- रूस और यूक्रेन के युद्ध में भारत ने रूस का साथ दिया था।
- इसलिए अमेरिका की मजबूरी है कि चीन का सामना करने के लिए भारत की जरूरत है।
भारत ने दिया रूस का साथ
- रूस-युक्रेन के युद्ध में भारत ने रूस की निंदा करने से इंकार कर दिया था।
- संयुक्त राष्टÑ में भारत ने रूस के खिलाफ वोट करने से मना कर दिया था।
- अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन भारत ने कच्चा तेल खरीदा
- रूस ने भारत को सस्ते दामों पर तेल दिया।
- जून में रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया था।
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