पीएम मोद ने डेयरी सम्मेलन का शुभारंभ किया | narendra modi news
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (narendra modi news) ने विश्व समुदाय से खेती की वैज्ञानिक एवं पारंपरिक विधियां अपनाकर कृषि क्षेत्र को विविधतापूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा है कि एक ही तरह की पद्धति पर आधारित ‘मोनोकल्चर’ खेती की समस्याओं का समाधान नहीं है। मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा में आयोजित IDF World Dairy Summit सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि खेती की समस्याओं के लिये ‘मोनोकल्चर’ ही एकमात्र समाधान नहीं है, बल्कि इसमें विविधता बहुत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह बात पशुपालन पर भी लागू होती है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और अंतरराष्ट्रीय डेयरी संघ के प्रतिनिधि तथा विभिन्न देशों से आये विशेषज्ञ भी मौजूद थे। चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन का भारत में 48 साल बाद आयोजन हो रहा है।
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सम्बोधन की मुख्य बातें
- खेती में मोनोकल्चर ही समाधान नहीं है, बल्कि विविधता बहुत आवश्यकता है।
- ये पशुपालन पर भी लागू होता है।
- इसलिए आज भारत में देसी नस्लों और हाइब्रिड नस्लों, दोनों पर ध्यान दिया जा रहा है।
- गुजरात के कच्छ इलाके की बन्नी भैंस की खूबियों का उल्लेख किया।
- वैश्विक स्तर पर डेयरी सेक्टर, न सिर्फ विश्व अर्थतंत्र को मजबूती देता है।
- बल्कि करोड़ों परिवारों की आजीविका को भी बल देता है।
भारत का डेयरी क्षेत्र सहकारी मॉडल पर आधारित
मोदी ने कहा कि भारत के डेयरी क्षेत्र की पहचान अत्यधिक दुग्ध उत्पादन (मास प्रोडक्शन) करने से ज्यादा, बहुतायत में लोगों द्वारा दुग्ध उत्पादन करने (प्रोडक्शन बाइ मासिस) वाले देश की है। इसीलिये भारत का डेयरी क्षेत्र सहकारी मॉडल पर आधारित है, जिसकी मिसाल दुनिया में कहीं और नहीं मिलती है। इस कारण बिचौलियों के अभाव में भारत के दुग्ध उत्पादकों को अधिकतम लाभ मिल पाता है।
नारी शक्ति के योगदान को दुनिया भर में उचित पहचान दिलाने की जरूरत | narendra modi news
- पशुपालन क्षेत्र में नारी शक्ति के अग्रणी योगदान को विश्व फलक पर ले जाने की जरूरत पर बल दिया।
- ‘भारत के डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व है।
- भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलायें हैं।
- भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं।
- इस क्षेत्र में नारी शक्ति के योगदान को दुनिया भर में उचित पहचान दिलाने की जरूरत है।
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