नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का ऑनलाइन शुभारंभ करते हुए कहा कि देश से क्षयरोग का उन्मूलन करने के लिए जनभागीदारी आवश्यक है। श्रीमती मुर्मू ने इस अभियान की शुरूआत करते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ को उच्च प्राथमिकता देना और इस अभियान को जन आंदोलन बनाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि टीबी भारत में अन्य सभी संक्रामक रोगों में सबसे अधिक मौतों का कारण बनती है। भारत में दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत से थोड़ा कम है, लेकिन दुनिया के कुल टीबी रोगियों का 25 प्रतिशत से अधिक है। यही चिंता की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि टीबी से प्रभावित ज्यादातर लोग समाज के गरीब वर्ग से आते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ की सोच और कार्यप्रणाली भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाना है। विश्वास के साथ आगे बढ़ने की ‘न्यू इंडिया’ की नीति टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार, सभी राष्ट्रों ने वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इसे पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
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सरकार इस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराती है
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी। इस बीमारी से बचाव संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है और सरकार इस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराती है। उसने कहा कि कुछ रोगियों या समुदायों में, इस बीमारी से जुड़ी एक हीन भावना है, और वे इस बीमारी को एक कलंक के रूप में देखते हैं। इस भ्रम को भी मिटाना है। सभी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु अक्सर सबके शरीर में मौजूद होते हैं। जब किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी कारणवश कम हो जाती है तो यह रोग व्यक्ति में प्रकट होता है।
इलाज से निश्चित तौर पर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचायी जानी चाहिए। कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालों, राज्य और जिला स्वास्थ्य के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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