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मानसिक रोगी अंकुश तिवारी को मिलवाया अपनों से
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अब तक 106 घर से बिछुड़ों को अपनों से मिलवा चुके हैं, राजेंद्र इन्सां
केसरीसिंहपुर (सच कहूँ न्यूज)। रोज-रोज की लोहे की पाइप से पिटाई से आजिज आकर 1 महीने पहले मुंबई से भागा अंकुश तिवारी मानसिक रोगी हो गया। और वह गंगानगर जिला परिषद् के आस पास कैसे पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला। यहीं पर फोटोस्टेट का काम करने वाले दुकानदार की सूचना पर कस्बे के राजेंद्र शर्मा इन्सां मौके पर पहुंचे। नगर परिषद् के बाहर मीटिंग के बाद फेंकी गई भोजन की थालियों से अपने पेट की आग वह बुझा रहा था। राजेंद्र इन्सां उसे अपने साथ ले आए। मात्र 1 दिन में ही उसके परिवार का पता लगा लिया। उसे लेने के लिए आए पिता, भाई व गांव के ही दो दोस्त गले लगकर खूब रोए। साथ ही राजेंद्र को दुआएं देते नजर आए। पुलिस प्रशासन के सहयोग से उसे बिहार के लिए रविवार को रवाना कर दिया गया। कस्बे के समाजसेवी और मानसिक विक्षिप्त के मसीहा कहे जाने वाले राजेंद्र इन्सां ने घर से बिछड़े मां के लाडले और दिल के टुकड़े 20 वर्षीय अंकुश तिवारी को परिवार से मिला दिया।
यह उनका परिवार से मिलवाने का 106 वां प्रयास है, जिसमें वे सफल हुए हैं। राजेंद्र इन्सां बताते हैं की मानसिक विक्षिप्त होकर घूम रहे 20 वर्षीय अंकुश तिवारी को यहां आश्रम में लाने के बाद बड़े प्यार से जब पूछताछ हुई तो उसने पता भी बता दिया। बस यही से उसके परिजनों का पता चला मोबाइल पर जब बात वीडियो कॉल से हुई तब इसकी माता के घर पर ड्रिप लगी हुई थी। बेटे को देखते ही अश्रुओं की धारा बह निकली और बेटे को भेज देने की गुहार लगाने लगी। उसे लेने के लिए आए गांव राज जमुआ प्रखंड ढाका पूर्वी चंपारण बिहार से पिता राजेंद्र तिवारी, भाई मुकेश तिवारी गांव के उसके मित्र साजिद व फैयाज शेख ने बताया कि वह अशरफ के साथ मुंबई में बैग की फैक्ट्री में काम करने के लिए गया था। वहां से ही अंकुश लापता हुआ।
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ईश्वर का ही रूप हैं राजेंद्र इन्सां: तिवारी
अंकुश ने बताया कि उसका मालिक उसके साथ रोज मारपीट करता था। लोहे की पाइप से पिटाई भी किया करता था। इससे वह 6 अगस्त को सुबह 5:00 बजे वहां से भाग गया। गंगानगर कैसे पहुंचा। उसे कोई जानकारी नहीं है। राजेंद्र तिवारी कस्बे के समाजसेवी राजेंद्र इन्सां को ईश्वर का ही रूप बता रहे हैं। उनके माता-पिता और पत्नी के द्वारा की गई सेवा को भगवान की सेवा बता रहे हैं। और उनके लंबी आयु की दुआएं करते नहीं थक रहे थे। इलेक्ट्रिशियन का कार्य करने वाले व डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग से जुड़े राजेन्द्र शर्मा इन्सां अब तक 106 मानसिक रोग के चलते घर से बिछुड़ो को मिलवा चुके है। उनकी इस मुहिम में ग्रीन एस विंग के सेवादार भी खूब सहयोग करते है। वही उनके माता-पिता, पत्नी व बच्चे भी उनका साथ देते है।
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