स्कूल के पास मौजूद हैं अपनी दो बसें, खेल पार्क, एजूकेशन पार्क और प्रयोगशालाएं
संगरूर(सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह)। आज के दिन हम एक ऐसे अध्यापक का जिक्र कर रहे हैं, जिन्होंने सरकारी अध्यापक होने के बावजूद अपने क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बेहद ऊंचा किया है और इस अध्यापक की कोशिशों के चलते यह सरकारी स्कूल बच्चों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया करवा रहा है, जिस कारण यह अध्यापक आसपास के कई गांवों के लोगों में काफी लोकप्रिय बन चुके हैं। हम बात कर रहे हैं मालेरकोटला के गांव हथन के सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल के पंजाबी अध्यापक कुलदीप सिंह मडाहड़ की, जिनकी कोशिशों ने सरकारी स्कूल की पढ़ाई को बेहद्द असरदार बनाया हुआ है।
सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल हथन के पंजाबी अध्यापक कुलदीप सिंह के नाम एक अनोखा विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ है, मास्टर जी ने लगातार 1100 दिन स्कूल में उपस्थित रहकर सिर्फ और सिर्फ शिक्षा और बच्चों के बौद्धिक स्तर को ऊंचा रखने में अपना पूरा सहयोग दिया है। आंकड़ों के मुताबिक बात करें तो जनवरी 2019 से लेकर 4 जनवरी 2022 तक मास्टर जी ने सभी रविवार, शनिवार यहां तक की सरकारी छुट्टियों सहित लाकडाऊन का समय, हड़तालें, धरनों दौरान सारा समय स्कूल में ही बच्चों की शिक्षा को लेकर ही बिताया है और स्कूल की नुहार बदली है। इस समय दौरान मास्टर कुलदीप सिंह ने विद्यार्थियों की भलाई के लिए दानी सज्जनों, समाज सेवियों से 10 लाख रूपये एकत्रित कर स्कूल में बड़े स्तर पर सुविधाएं मुहैया करवाई हैं।
कुलदीप सिंह मडाहड़ की कोशिशों से स्कूल में दो बसें भी लगाई गई हैं, जो दूर-नजदीक से आने वाले बच्चों को लेकर आती हैं और छोड़कर आती हैं। यह भी कम ही देखने को मिलता है कि किसी सरकारी स्कूल के पास अपनी खुद की बसें हों लेनिक हथन के स्कूल को यह गौरव हासिल है। इसके अलावा स्कूल में झूलों का पार्क, एजूकेशन पार्क, एसएसटी पार्क, बैडमिंटन कोर्ट, स्कूल में सभी विषयों की प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं, जो कि सरकारी स्कूलों में कम ही देखने को मिलती हैं।
मास्टर कुलदीप सिंह मडाहड़ ने लगाए गांव की सांझी जगहों पर हजारों पौधे
कुलदीप सिंह मडाहड़ के प्रकृति के साथ प्रेम होने के चलते उनकी तरफ से सिर्फ सरकारी स्कूल में ही सैंकड़ों पौधे नहीं लगवाए गए बल्कि गांव की सांझी जगहों पर भी हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। अब अगर स्कूल के विद्यार्थियों की पढ़ाई के स्तर की बात करें तो स्कूल के बोर्ड के परिणामों में कभी भी बच्चों ने अध्यापकों को निराश नहीं किया, बोर्ड की हर कक्षा का परिणाम हर वर्ष 100 फीसदी रहता है, जिस कारण आसपास के गांवों में स्कूल के बड़े स्तर पर चर्च हैं।
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