सरकारी अस्पताल में सुविधाएं कम, आम आदमी क्लीनिक बने नंबर-वन

ग्राउंड रिपोर्ट। सच कहूँ टीम ने दौरा कर जानी स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत

  • आम आदमी क्लीनिकों में मरीजों को समय पर मिल रहा ईलाज, दवाईयों की कोई कमी नहीं

संगरूर। (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह/नरेश कुमार) पंजाब सरकार द्वारा राज्य के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने के मनोरथ से पंजाब के कई जिलों में आम आदमी क्लीनिक खोले गए हैं, जिनके ख्ुालने से बड़ी संख्या में लोगों को अपना ईलाज करवाने के लिए बड़े अस्पताल में घंटों बद्धी समय खराब करने की जरूरत नहीं रही और आम आदमी क्लीनिकों में लोगों को समय पर ईलाज मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ लम्बे समय से पंजाब के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहे सरकारी अस्पताल और पीएचसी की हालत में कोई खास सुधार होता नजर नहीं आ रहा। सरकारी अस्पतालों में आज भी लगभग उसी तरह की ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं जो कि आज से दस साल पहले मिल रही थीं।

जिला संगरूर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल संगरूर में बुधवार को ‘सच कहूँ’ की टीम द्वारा दौरा किया गया और लोगों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी हासिल की। संगरूर के सरकारी अस्पताल की दशा पूर्व सरकारों के समय काफी सुधरी हुई थी और सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग में टाटा कैंसर केयर अस्पताल खुल गया था, जिसके बाद इस अस्पताल में और भी विस्तार किया गया था। सरकारी अस्पताल में बड़ी बात यह देखने को मिली कि सीटी स्कैन के शुरू होने से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है। सरकारी अस्पताल में 24 घंटों में 30 से 40 सीटी स्कैन होते हैं, जो कि बाहर के अस्पतालों से यहां बहुत सस्ते रेटों पर हो रहे हैं, इसके अलावा सरकारी अस्पताल में अल्ट्रा साऊंड केन्द्र में भी एक दिन में 40 से 50 मरीजों के अल्ट्रा साऊंड किए जा रहे हैं। यह सुविधाएं काफी समय से सरकारी अस्पताल में मिल रही हैं। कोविड के समय ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग में आॅक्सीजन प्लांट लगाया गया था, जोकि काफी समय बाद अब चलने की स्थिति में आया है, जिसका फायदा मरीजों को मिलने लगा है।

सरकारी अस्पतालों के ओपीडी विंग की तरह काम कर रहे आम आदमी क्लीनिक

आम आदमी क्लीनिकों में सिर्फ छोटी बीमारियों की जांच के बाद उनकी दवाई दी जा रही है, सीरियस मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में दाखल करवाकर ही किया जा रहा है। आम आदमी क्लीनिक तो महज सरकारी अस्पतालों के ओपीडी विंग की तरह ही काम कर रहे हैं जबकि इन क्लीनिकों में मरीजों के खून के सैंपल भी चैक करवाने के लिए सरकारी अस्पतालों में जा रहे हैं।

सरकारी अस्पताल के होम्योपैथी और आर्युवैदिक विभाग कर रहे अच्छा काम

सरकारी अस्पताल संगरूर के होम्योपैथी और आर्युवैदिक विभाग अच्छा काम कर रहे हैं। होम्योपैथी विभाग के हैड डॉ. अमरिन्दर कौर ने बताया कि हमारे पास हर रोज 80 से 90 मरीज दवाई लेने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज से कुछ समय पहले मरीजों का रुझान होम्योपैथी की तरफ नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे अब मरीजों का विश्वास होम्योपैथी की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि वह सप्ताह में 6 दिन संगरूर में ड्यूटी करते हैं और एक दिन उनको धनौल में अपनी ड्यूटी देनी पड़ती है, जहां भी मरीज काफी बड़ी संख्या में दवाई लेने आते हैं वहीं दूसरी तरफ आर्युवैदिक विभाग के उप वैद हरप्रीत भंडारी ने बताया कि कि उनके पास महीने में 300 से अधिक मरीज आते हैं, जिनको दवाई देने के साथ साथ योग करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। इसके अलावा योग से पंच कर्मा विधी से भी मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

सरकारी अस्पताल और आम आदमी क्लीनिकोंं का काम बहुत ही अच्छे तरीके से चल रहा: सीनियर मैडीकल अधिकारी
जब इस संबंधी संगरूर के सीनियर मैडीकल अधिकारी डॉ. बलजीत सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल और आम आदमी क्लीनिकोंं का काम बहुत ही अच्छे तरीके से चल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्सों की कमी है, जिस संबंधी लिखकर भेजा जा चुका है उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में मुफ्त दवाईयां दी जा रही हैं, इसके अलावा सस्ते रेटों की दवाईयों की दुकान जन औषधि की हर महीने लाखों रूपये की दवाईयां बिक रही हैं। उन्होंने बताया कि संगरूर अस्पताल में सीटी स्कैन और अल्टा साऊंड बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहे हैं, जिनका लोगों को फायदा हो रहा है।

सरकारी अस्पताल में दवाईयों की कमी बरकरार लेकिन नये क्लीनिकों में मिल रही पूरी दवाईयां

पिछले लम्बे समय से सरकारी अस्पताल में दवाईयों की कमी बरकरार है। सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त दी जा रही दवाईयों की लिस्ट तो चाहे 150 से भी अधिक है लेकिन जो मिल रही हैं, उनकी संख्या महज दर्जनों में ही है। संगरूर की मरीज सुरजीत कौर ने बताया कि उसे डॉक्टरों ने दवाई लिखकर दी थी लेकिन अस्पताल के अंदर से यह दवाई नहीं मिली, जिस कारण उसे बाहर से खरीदनी पड़ी। केन्द्र सरकार की सस्ती दवाईयों की दुकान ‘जन औषधी’ भी खोली गई है लेकिन उसमें कम ही दवाई मिलती है, जिस कारण मजबूरन मरीजों को बाहर से महंगे रेटों पर लूट करवानी पड़ रही है। इसके अलावा जब आम आदमी क्लीनिक में जाकर पता किया गया तो लगभग 90 फीसदी से अधिक मरीज ऐसे मिले, जिनको क्लीनिक के अन्दर से दवाईयां मिली। संगरूर की हरेड़ी रोड की जसवीर कौर ने बताया कि वह ब्लड प्रैशर की मरीज है, जिस कारण वह यहां चैकअप करवाने के बाद दवाई लेकर गई है।

सरकारी अस्पताल में स्टाफ की बड़ी कमी, वहीं क्लीनिकों में स्टाफ पूरा

टीम ने सरकारी अस्पताल के अधिकारियों से बात की तो वहां से पता चला कि अस्पताल में स्टाफ नर्सों सहित अन्य स्टाफ की बड़ी कमी है, जिस कारण काम सही तरीके से नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि हम कई बार यह कमी लिखकर भी भेज चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कमी पूरी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है, सभी विभागों में डॉक्टर अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं जबकि आम आदमी क्लीनिकों के हर क्लीनिक में एक डॉक्टर सहित चार जनों का स्टाफ मौजूद है, जिला संगरूर के चारों क्लीनिकों में स्टाफ की कोई कमी नहीं है, जिस कारण यहां काम अच्छे तरीके से हो रहा है। जिला संगरूर के किसी भी क्लीनिक में किसी भी स्टाफ के छोड़कर जाने की कोई बात सामने नहीं आई।

आयुष्मान योजना को लेकर भी मरीज दुविधा में

केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई 5 लाख रूपये तक की स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान को लेकर मरीजों में भारी दुविधा नजर आई। संगरूर के सरकारी अस्पताल में कई मरीज हाथों में योजना वाले कार्ड उठाए घूम रहे थे लेकिन उन्होंने बताया कि कार्ड को लेकर उनका यहां इलाज नहीं हो रहा। ज्यादातर मरीज यह कह रहे थे कि बाहर से उनको घुटनों का ईलाज बहुत महंगा बताया जा रहा है लेकिन सरकारी अस्पताल में उनको कोई इस बारे में कुछ नहीं बता रहा। जब इस संबंधी घुटनों की बीमारियों से संबंधित डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि इस बारे वह कुछ नहीं कह सकते, उनकी ड्यूटी सिर्फ मरीज देखने में लगाई गई है, अस्पताल का प्रबंधन उनके हाथों में नहीं है।

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