नेहरू स्टेडियम, ताऊ देवीलाल स्टेडियम में खिलाड़ी करते हैं अभ्यास
गुरुग्राम। (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा) बचपन से ही खेतों में खेलों की शुरूआत करने वाले हरियाणा के खिलाड़ी मैट तक पहुंचकर जो पसीना बहाते हैं, इन खिलाड़ियों लिए उस पसीने की कीमत अपने देश के लिए सिर्फ और सिर्फ मेडल जीतना है। गुरुग्राम शहर में नेहरू स्टेडियम और ताऊ देवीलाल स्टेडियम दो प्रमुख खेल परिसर हैं। इनमें रोजाना खिलाड़ी अपनी शारीरिक क्षमता, खेलों की तकनीक का बेहतरीन प्रशिक्षण लेते हैं। इन्हीं जगहों पर खेलों में दक्षता हासिल करके खिलाड़ियों ने दुनिया में अपने हरियाणा और भारत देश का नाम रोशन किया है। दिन का तीसरा पहर शुरू होते ही यहां दोनों स्टेडियम में खिलाड़ियों का प्रवेश शुरू होता है। देखते ही देखते स्टेडियम खिलाड़ियों से खचाखच भर जाते हैं। ताऊ देवीलाल स्टेडियम में बनाए गए ट्रैक पर समूह में दौड़ते खिलाड़ियों का उत्साह और जज्बा उनके स्वर्णिम भविष्य को तेज गति देता है।
बात करें यहां अभ्यासरत खिलाड़ियों की तो यहां पर नवीन तेवतिया 100-200 मीटर स्प्रिंग दौड़ में अभी तक खेलो इंडिया, खेलो हरियाणा में भाग ले चुके हैं। खेलो इंडिया में वे चोटिल हो गए। हालांकि खेलो हरियाणा में कांस्य पदक जीता। इसके ट्रायल में वे गोल्ड मेडल जीते थे। उनका कहना है कि सरकार खेलों में बहुत ध्यान दे रही है। यह खिलाड़ियों के भविष्य के लिए अच्छी बात है।
खिलाड़ी चंचल का कहना है कि वह तीन साल से यहां 3000 मीटर रेस का अभ्यास कर रहा है। राज्य स्तर पर उसने सिल्वर मेडल जीता है। सरकार की खेल नीतियों को तो चंचल ने बेहतर बताया, लेकिन खेलों में मेडल जीतने के बाद होने वाली धनवर्षा को लेकर उसने कहा कि खिलाड़ियों पर मेडल से पहले भी सरकार को खर्चा करना चाहिए। क्योंकि बहुत से खिलाड़ी सुविधाओं के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाते।
वर्ष 2019 में राज्य स्तर पर जैवलिन-थ्रो में कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी अमन सिंह कहते हैं कि खेलों में आगे बढ़ने के लिए सुविधाओं के साथ आत्मविश्वास जरूरी है। इसी से खिलाड़ी मजबूत होता है। उन्हें चोट भी लगी, लेकिन आत्मविश्वास से वह आगे भी खेलने के लिए यहां प्रशिक्षण ले रहा है।
सोहना से गुरुग्राम आकर रोजाना खेल का प्रशिक्षण लेने आ रहे जसवंत का कहना है कि हमारे यहां पर विदेशी तकनीक खेलों में अपनाई जानी चाहिए। तकनीक के साथ खेलों का सामान भी उसी स्तर का होना चाहिए। खिलाड़ी पूरा समय भारत के खेलों की तकनीक के हिसाब से खेलते हैं। इंटरनेशनल स्तर पर जाकर कई चीजें बदल जाती हैं। इसलिए खेलों की अंतरराष्ट्रीय स्तर के हिसाब से प्रैक्टिस होनी चाहिए।
तीरंदाज रिषभ का ओलंपिक में गोल्ड पर है निशाना
तीरंदाजी में बचपन से ही बेहतरीन प्रतिभा के धनी रिषभ यादव ने गुरुग्राम का नाम विदेशों में चमकाया है। रिषभ यादव इन दिनों को सोनीपत में कैंप में प्रशिक्षण ले रहे हैं। वहां पर 12 कम्पाउंड के तीरंदाजों का चयन होगा। उसके बाद ये खिलाड़ी स्वीट्जरलैंड और कोरिया कैंप में जाएंगे। रिषभ का वहां पर बेहतरीन प्रशिक्षण लेकर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना लक्ष्य है। रिषभ यादव ने बताया कि उसने इसी साल (2022 में) तीरंदाजी एशिया कप में इराक में एक गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीता है। एशिया कप थाईलैंड में दो सिल्वर मेडल जीते। महाराष्ट्र के अमरावती में सीनियर नेशनल रेंकिंग तीरंदाजी टूर्नामेंट में रिषभ ने गोल्ड मेडल जीता। वर्ष 2021 में ढाका में सीनियर एशियन तीरंदाजी चैंपियनशिप में एक सिल्वर व एक ब्रॉन्ज मेडल, वर्ष 2021 में ही यूएसए में सीनियर वर्ल्ड तीरंदाजी चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
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