विभिन्न समाजसेवियों ने ब्लॅड बैंक के समक्ष धरना लगाकर जताया रोष
अबोहर। (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा) एकतरफ सरकार सेहत सुविधाओं को बेहतर बनाने के दावे कर रही है। तो दूसरी ओर सिविल अस्पताल में 5 दिन से ब्लॅड बैंक बंद होने से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसको विभिन्न समाज सेवी संस्थाओं व जागरुक लोगों द्वारा ब्लड बैंक के समक्ष धरना लगाकर स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ रोष जताया गया। एनजीओ सदस्यों, किसान नेताओं व आशा वर्करों ने स्वास्थ्य विभाग से ब्लॅड बैंक शुरु करवाने की मांग की है। रोष जता रहे लोगों ने कहा कि अबोहर के सरकारी अस्पताल में बने ब्लड़ बैंक में बीटीओ डॉ. सोनिमा तैनात थी। जिनकी स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाजिल्का अस्पताल ड्यूटी लगाई गई थी।
लेकिन बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा पत्र जारी कर डॉ. सोनिमा को स्थाई तौर पर फाजिल्का ब्लॅड बैंक की बीटीओ तैनात कर दिया है। जिसके बाद अबोहर सिविल अस्पताल के ब्लॅड बैंक खाली हो गया है। उन्होंने कहा कि अबोहर में पैथोलॉजी मेडिकल डॉ. दीक्षि बब्बर भी हैं। लेकिन डॉ. दीक्षि पिछले काफी समय से मैटरनिटी लीव पर चल रही हैं, जबकि डॉ. सोनिमा की भी फाजिल्का में तैनाती करने से अबोहर ब्लॅड बैंक खाली हो गया है। जिसके कारण सिविल अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों और रक्त लेने के लिए पहुंचने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा फाजिल्का रैफर कर दिया जाता है।
रोष जताते आशा वर्करों ने कहा कि सिविल सर्जन फाजिल्का द्वारा बयान जारी कर अस्पताल में रक्त उपलब्ध करवाने को कहा गया था, लेकिन एसएमओ डॉ. सुरेश कंबोज द्वारा उनके फरमान को जब तक लिखित में नहीं मिलेगा, तब तक वह अस्पताल में न रक्त लेंगे और न किसी को देंगे कहा गया है। जिसके चलते मरीजों को परेशानी हो रही है। आशा वर्करों ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय रक्त की जरुरत होती है। लेकिन ब्लॅड बैंक से रक्त न मिलने से उन्हें भटकना पड़ रहा है। उन्होंने एसएमओ को मांगपत्र सौंपते हुए कहा कि यदि सोमवार तक ब्लॅड बैंक की समस्या हल न हुई तो वह बड़े स्तर पर अस्पताल बंद कर रोष प्रदर्शन करेंगे। उधर लोग शहर के राजनेताओं को अपनी खोखली लीडरशिप चमकाने को लेकर उनके प्रति भारी रोष जताया है।
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