चंडीगढ़ (एम के शायना)। सच्चे संत पूरी कायनात के लिए दुआएं करते हैं, उनके दिल में प्रभु की संतान के लिए अथाह प्यार व सम्मान होता है। हर व्यक्ति की सफलता के पीछे गुरु का हाथ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। गुरु को उजाले का दीप माना जाता है। गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है। गुरु के सहयोग से ही हर व्यक्ति सफल बनता है। गुरु का होना अंधकार में दीप के जैसे होते है। जो खुद जलकर दूसरो को उजागर करते है। माता के बाद दूसरा शिक्षक गुरु ही होते हैं। गुरु से ली गई शिक्षा संस्कार हमारे जीवन को आसान बना देती है। गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो खुद एक स्थान पर रहकर दूसरों को अपनी मंजिल तक पहुंचाता है। गुरु हमेशा सभी को अच्छा ज्ञान देता है। गुरु सच्चे पथ प्रदर्शक होता है। हमारे जीवन में गुरु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस सृष्टि की सलामती व खुशहाली को सर्वोपरि रखते हुए सच्चे संत पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अनेक प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। वह अपने शिष्यों को दुनियादारी के साथ-साथ रुहानियत में आगे कैसे बढ़ना है, यह समय समय पर गाइड करते रहते हैं।
अभी कंपटीशन का दौर चल रहा है हर इंसान आगे बढ़ना चाह रहा है पर उन्हें समझ नहीं आता कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है। ऐसे में लोग दूसरों की राय लेकर ऐसे बिजनेस काम धंधे करने में चल पड़ते हैं जिनकी उन्हें कोई जानकारी ही नहीं होती। और जब उन्हें कामयाबी हासिल नहीं होती फिर वह हताश हो जाते हैं। एक सत्संग में पूज्य गुरु जी ने दुविधा में पड़े ऐसे लोगों को राह दिखाते हुए समझाया कि आप को कैसे किसी फील्ड का चुनाव करना चाहिए और कैसे जिंदगी में तरक्की हासिल करनी चाहिए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया, “आप मार खा जाते हैं। जिस फील्ड का आपको तजुर्बा है, उसी फील्ड में ज्यादा रहिये तो ज्यादा अच्छा है। जिसका तजुर्बा नहीं है, इंसान जब उसमें ज्यादा कदम बढ़ाता है तो कई बार गिर जाता है। कई बार आपको उदाहरण दी। एक छोटा सा उदाहरण ख्याल में आया। ऑफिसर अपने अपने महकमे में ट्रेंड होते है। अब नहरी महकमे के ऐसे एक काफी अच्छे ऑफिसर आए और एक जमींदार को कहने लगे जी आपके तो फल सब्जियाँ सब घरों में हो जाती होंगी। वो कहते हैं हाँ जी खेतों में सब हो जाता है। आॅफिसर ने उनसे पूछा कि आपके खेत में क्या है? जिमीदार भाई कहते जी आलू लगे हुए हैं।
कहते मैं ले आऊँ, जिमीदार भाई ने कहा कि ले आओ सर मैं तो जा रहा हूँ घर । आॅफिसर खेत में गया, घूम-घुमा के वापस जमींदार के घर आ गया । कहते यार तूने झूठ क्यों बोला? जमींदार कहता क्यों जी, ऑफिसर कहता मैं आपके खेत में गया सारे पेड़ देख लिए सारे पौधे देख लिए, कहीं आलू नहीं लटके हुए थे । जमींदार को हंसी आ गई । कहता जी आप तो पढ़े लिखे हैं बहुत ऑफिसर है, बड़े है। कहता हाँ, मैं बहुत पढ़ा लिखा हूँ। कहता आओ चलते हैं फिर। उन्हीं की गाड़ी में उसी बाइक पे बैठा जिमीदार उसके साथ खेत में चला गया। फावड़े जमींदारो के खेतो में ही पड़े होते है, उठाया और कहता यार दिखा कहाँ है आलू । वो कहता हाँ जी आलू दिख तो नहीं रहे कहीं । जमींदार भी थोड़े ऐसे ही होते है कई बार जब छिड़ जाए तो, कहता फिर भी फावड़ा मार के देखते है क्या पता निकल आए। जो जमींदार हैं वो जानते है कि आलू कभी बाहर नहीं लगते ,नीचे धरती में लगते हैं ।
तो उसने वो फावड़ा मारा और आलू ही आलू निकल आए। वो ऑफिसर कहता यार कमाल हो गयी। जमींदार कहता जी ऐसी कमाल तो हम करते ही रहते हैं। सो मतलब जिसको पता ही नहीं जिस काम का, उसमें जानबूझ के सिर अड़ाओगे तो गड़बड़ होगी ही होगी ना । या तो पहले पूरी तरह से संतुष्ट हो जाइये, पहले उस कार्य को अच्छी तरह अपने हाथ में कर लीजिए फिर उसके बारे में बखान कीजिये । नाच ना जाने आंगन टेढ़ा कभी तो ठुमके लगाए नहीं कहता नहीं आपका आँगन टेढ़ा है इसलिए नाचना नहीं आ रहा। तो ये थोडा ध्यान रखिये । जिस फील्ड का आपको पता ना हो हमें लगता नहीं कि उसमें ज्यादा किसी से सुन सुना के तुर्रमबाजी करनी चाहिए और जब करते हो आप चाहे जिंदगी में आजमा लेना बिना सोचे समझे बिना ऐसा कुछ किये जब भी आप करेंगे तभी आप मुँह की खाएंगे । ये सच्चाई ये हकीकत है जो आपकी पूरी लाइफ में काम आएगी । फकीर का तो बताना होता है आगे मानना ना मानना वो आपकी मर्जी होती है। तो जिंदगी में गुरु की जरूरत कदम कदम पे पडती है और जो गुरु के वचन मान लेते हैं वो दोनों जहाँ में हमेशा सुखी रहते हैं”।
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