नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। गुलाम नबी आजाद के समर्थन में आज कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी आ गए है। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को लेकर कुछ को अच्छा या बुरा नहीं कहेंगे। उन्होंने अपने तरीके से समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि दो साल पहले कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था और कहा कि स्थिति चिंताजनक है। लेकिन इसको हाईकमान ने गंभीरता से नहीं लिया। उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई।
जानिए, गुलाम नबी आजाद छोड़ने पर किसने क्या कहा..
वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कहा, ‘’गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने संगठन व सरकार में अनेकों बार कई पदों से नवाजा। दो बार लोकसभा सांसद बनाया, जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया। चुनाव की हार जीत से बचाकर 5 बार राज्?यसभा सांसद बनाया उसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी मुझे इस बात का बड़ा दुख है। उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम कहीं नहीं जा सकते लेकिन हम नहीं जाएंगे बल्कि पार्टी के साथ रहेंगे। हम पार्टी के साथ इस देश का भविष्य देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि पार्टी मजबूत होगी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा ‘गुलाम नबी आजाद और मैने 1975 में एक साथ राजनीति शुरू की थी। वह युवा कांग्रेस जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष बने और मुझे बिहार का अध्यक्ष बनाया गया। मुझे आश्चर्य और अफसोस है कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और जो उन्होंने अपने पत्र में लिखा है वह तो और भी आश्चर्यजनक है।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने कहा ‘गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने जीरो से हीरो बनाया। उन्हें जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री दो बार बनाया और केंद्रीय मंत्री बनाया। राज्यसभा का विपक्ष का नेता बनाया। उन्हें संघर्ष के समय पार्टी नहीं छोड़नी चाहिए थी।
राज्यसभा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गांधी पर श्री आजाद के हमले को गलत बताया और कहा कि जिस परिवार से उनके गहरे ताल्लुक रहे हैं उसकी अगली पीढ़ी के नेता को भला बुरा कहने का औचित्य नहीं होता है। उन्होंने कहा कि’ कांग्रेस जब मुश्किल में है और जो लोग अल्पसंख्यक, दलित, प्रेस तथा लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं उस भजपा -आरएसएस से मिलकर लड़ना है। अगर आप लड़ाई से भागते हैं तो पार्टी को धोखा दे रहे हैं।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा ‘एक व्यक्ति जिसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सबसे बड़ा सम्मान दिया गया। उसने अपने शातिर हमलों से पार्टी को धोखा दिया है। यह सब उस व्यक्ति के असली चरित्र को प्रकट करता है। उन्होंने आगे कहा ‘अगर गुलाम नबी आजाद और उनके रिमोट कंट्रोल को लगता है कि उनके इस्तीफे से 4 सितंबर को होने जा रही कांग्रेस पार्टी की महंगाई पर हल्ला बोल रैली और 7 सितंबर को शुरू होने वाली भारत जोड़ो यात्रा अस्थिर हो जाएगी, तो वे बिल्कुल गलत हैं। इस्तीफे ने हमारे संकल्प को और मजबूत किया है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आजाद का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा देना दुर्भाग्यपूर्ण है।जब कोई वरिष्ठ नेता ऐसा कदम उठाता है, तो इसका पार्टी संगठन पर असर पड़ता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आजाद द्वारा जो टिप्पणियां की गई हैं वो उचित नहीं है। मैं खुद सदमे में हूं कि एक 42 साल का व्यक्ति जिसे जिंदगी में सब कुछ मिला हो वो आज ऐसे संदेश दे रहें जो मेरे समझ के परे हैं।’
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