बेटियों को अबला नहीं सबला बनाओ
चंडीगढ़ (एमके शायना)। आज Women Equality Day है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) को बढ़ावा देना है, महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, एसिड अटैक्स, भूर्ण हत्या जैसे कई मुद्दों पर बात करना व जागरूकता फैलाना है।
अबला नहीं उसे सबला बनाओ,
मज़बूत इरादे दो और खूब पढ़ाओ,
बेटियों से होगा नाम रोशन तुम्हारा,
देश भी आगे बढ़ेगा ये हमारा।
This #WomenEqualityDay, let's pledge to promote gender equality. pic.twitter.com/7OVCmfbkkg— Honeypreet Insan (@insan_honey) August 26, 2022
इस खास दिन पर साहिबज़ादी बहन हनीप्रीत इन्सां ने ट्वीट में बड़ी खूबसूरत लाइनें पोस्ट करके लोगों को बेटा-बेटी में भेदभाव ना करने की सलाह दी। उन्होंने समय की मांग को देखते हुए बेटियों का मनोबल बढ़ाते हुए ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा,
अबला नहीं उसे सबला बनाओ,
मज़बूत इरादे दो और खूब पढ़ाओ,
बेटियों से होगा नाम रोशन तुम्हारा,
देश भी आगे बढ़ेगा ये हमारा।
इस #WomenEqualityDay पर, आइए बेटा-बेटी को एक समान रखने का संकल्प लेते हैं।
पूज्य गुरू जी के मार्ग दर्शन पर चलते हुए बहन हनीप्रीत इन्सां हर फील्ड में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। चाहे वह फिल्मों में एक्टिंग हो डायरेक्ट करना हो या वीएफएक्स एडिटिंग का काम हो। बहन हर क्षेत्र में आगे हैं। आपको बता दें कि बहन हनीप्रीत इन्सां ने अदाकारी और फिल्म निर्माण में 21 भूमिकाएं अदा कर जैकी चैन के 16 भूमिकाओं वाले रिकॉर्ड को तोड़ ‘मोसट क्रेडिट्स इन वन मुवी’ का खिताब अपने नाम किया है जिसे देखकर हर कोई कहता है कि हमें अपनी बेटी को हनीप्रीत इन्सां जैसा बनाना है जो मानवता भलाई के कार्यों के साथ-साथ रुहानियत में भी आगे है।
रूहानियत के साथ-साथ डेरा सच्चा सौदा वर्तमान में पूज्य गुरु जी के दिशा निर्देशन से महिला उत्थान में अहम भूमिका निभा रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत से आह्वान किया कि अगर बेटियों को भी बेटों के समान अच्छे संस्कार दिए जाएं तो वो भी अपने माता-पिता और परिवार का नाम रोशन कर सकती है। वह मेहनत, बुद्धि, ज्ञान से किसी भी क्षेत्र में लड़कों से जरा भी पीछे नहीं है। समाज को अपनी सोच बदलनी होगी, बेटियों को भी जीने का अधिकार मिलना चााहिए उन्हें कोख में नहीं मारना चााहिए।
पूज्य गुरु जी द्वारा महिला उत्थान के लिए बहुत सारी मुहिम चलाई जा रही हैं जैसे कि-
बेटियों से भी चलेगा वंश
कुल का क्रॉऊन मुहिम के तहत जिनके 2 या 2 से अधिक बेटे हैं उनमें से एक बेटा ऐसे परिवार में शादी करे, जिनके बेटी के रूप में केवल एक ही संतान है। इस मुहिम के तहत लड़का यानि दूल्हा शादी के बाद ससुराल जाएगा और ससुराल को ही अपना घर बनाएगा। शादी करने वाली ऐसी लड़की को पूज्य गुरु जी ने ‘कुल का क्रॉऊन’ व लड़के को ‘भक्त मर्द गाजी’ का खिताब दिया। यह पहल रूढ़िवादी सोच को खत्म करने के लिए बहुत कारगर साबित हो रही है।
बेटियां देती अर्थी को कंधा
पूज्य गुरुजी ने सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए बेटों के समान बेटियों को अधिकार दिलवाने की दिशा में एक ओर मील पत्थर स्थापित करते हुए अनोखी मुहिम चलाई, जिसमें बेटियों को अपने माता पिता की अर्थी को कंधा देने व मुखाग्नि देने का अधिकार दिया गया। पूज्य गुरुजी के आह्वान पर अब तक हजारों लड़कियां अपने परिवारजनों को कहीं बेटी बनकर तो कहीं पुत्रवधू,पोती व भतीजी इत्यादि के रूप में कंधा देकर फर्ज निभा रही है।
शाही बेटियां बसेरा
भू्रण हत्या व लिंग भेद पर रोक लगाने के उद्देश्य से पूज्य गुरू जी ने ऐसी लड़कियां जिनको गर्भ में मार देना था, उनको अपनाया व माँ-बाप की जगह खुद का नाम दिया। इनकी परवरिश से लेकर शादी का जिम्मा पूज्य गुरु जी ने खुद उठाया है अब तक पांच शाही बेटियों की अच्छे घरों में शादियां हो चुकी हैं। पूज्य गुरु जी के नेतृत्व में आज यह शाही बेटियां नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर गेमों में मेडल लेकर आ रही हैं और देश का नाम पूरी दुनिया में चमक आ रही हैं।
शुभदेवी –
वेश्यावृत्ति में फंसी युवतियों को पूज्य गुरू जी बेटी बनाते हैं ईलाज करवाकर, उनकी शादी करके समाज की मुख्य धारा में लाते हैं।
इसके अलावा नारी सशक्तिकरण के लिए और भी बहुत सारी मुहिम चलाई जा रही हैं जैसे कि –
- आशीर्वाद: गरीब लड़कियों की शादी में आर्थिक मदद करना।
- आत्मसम्मान: महिलाओं के लिए सिलाई, कढ़ाई व अन्य व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलना।
- अभिशाप मुक्ति: दहेज प्रथा रोकना।
- ज्ञान कली: लड़कियों की शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना।
- जीवन आशा: कम उम्र की विधवाओं की शादी करवाना।
- नई सुबह: तलाकशुदा युवतियों की शादी करवाना इत्यादि।
- लज्जा रक्षा: बेसहारा औरतों को सहारा देना।
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सशक्त नारी: लड़कियों को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण देना।
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जननी सत्कार: गरीब गर्भवती महिलाआें को पौष्टिक आहार देना व ईलाज करवाना।
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जननी-शिशु सुरक्षा: गरीब जच्चा-बच्चा का भरण-पोषण करना।
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बचाओ संस्कृति: वेश्यावृत्ति के कोठों को कानूनी तौर पर बंद करवाना।
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नई किरण: विधवा बहू को बेटी बनाकर उसकी शादी करवाना।
- मां-बेटा सम्भाल: नि:शुल्क कैंप लगाकर गर्भवती महिला व उसके होने वाले बच्चे के लिए स्वस्थ संभाल व विकास के लिए जानकारी व दवाईयां प्रदान करना।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में बेटियों ने मारी बाजी
बात कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 की करें तो भारत ने 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य समेत कुल 61 पदक जीते हैं। और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी बेटियों ने पूरे विश्व में भारत की जीत का परचंम लहराया है और भारत की झोली में मेडल दिलाए हैं। भारतीय जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने महिलाओं के 78 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल हासिल किया। वहीं मीरबाई चानू ने महिलाओं की 49 किलोग्राम में वेटिलिफ्टिंग में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। ये इन खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक था।
महिला वेटलिफ्टर बिंदियारानी देवी ने महिलाओं के 55 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक अपने नाम किया। महिला बेटलिफ्टर हरजिंदर कौर ने भारत की झोली में कांस्य पदक 71 किलोग्राम भारवर्ग में जीता। भारतीय महिला वीमंस लॉन बॉल टीम ने साउथ अफ्रीका को हराक भारत की झोली में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल डाला। साक्षी मलिक ने महिलाओं के 62 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक, प्रियंका गोस्वामी ने 10 हजार मीटर वॉक रेस में सिल्वर मेडल, हरजिंदर कौर ने महिला वेटलिफ्टर ने 71 किग्रा वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल , जूडो प्लेयर सुशीला देवी ने सिल्वर मेडल जीता।
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