लम्पी स्किन के घाव को फैलने से रोकने के लिए करें डिटोल या फिनाइल का प्रयोग
संक्रमित पशु के प्राथमिक उपचार के लिए पशुपालन विभाग दी पशुपालकों को विशेष सलाह
फतेहाबाद (सच कहूँ ब्यूरो)। पशुपालन विभाग ने पशुओं में आई लम्पी स्किन बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। विभाग के अनुसार प्राथमिक उपचार व सावधानी बरतने से इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। पशु में लम्पी स्किन बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो पशुपालक पशु को नीम के पतों से उबाले हुए गुनगुने पानी में थोड़ी से लाल दवाई डालकर उसको नहलाएं, जिससे पशु को आराम मिलेगा। इसी प्रकार घाव वाली जगह पर डिटोल या फिनाइल लगाएं, ताकि जख्म और ज्यादा ना फैले। उल्लेखनीय है कि फिलहाल पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी का प्रकोप आया हुआ है, जिसको लेकर पशुपालन विभाग व जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क व गंभीर है। उपायुक्त प्रदीप कुमार द्वारा पशुपालन विभाग व अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए है, जिसके चलते जिला में जहां एक तरफ जरूरी जगहों पर फोगिंग का कार्य किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पशुओं को वैक्सीन भी लगाई जा रही है। इसके साथ ही पशु चिकित्सकों द्वारा पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
इस प्रकार करें पशुओं का प्राथमिक उपचार
पशुपालन विभाग के अनुसार यदि किसी पशु में लम्पी स्किन बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो पशुपालक पशु को नीम के पतों से उबाले हुए गुनगुने पानी में थोड़ी से लाल दवाई डालकर उसको नहलाएं, जिससे पशु को आराम मिलेगा।
- इसी प्रकार घाव वाली जगह पर डिटोल या फिनाइल लगाएं, ताकि जख्म और ज्यादा न फैले।
- पशु चिकित्सकों के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पशु को उचित दवा/टॉनिक दें। इसमें लीवर टॉनिक भी दिया जा सकता है।
- बीमार पशु का निकटवर्ती पशु हस्पताल में जाकर प्राथमिक उपचार जरूर करवाएं।
- विभाग के अनुसार यदि किसी के पास अधिक संख्या में पशु है और उनमें से एक या दो पशु लम्पी स्किन बीमारी से ग्रस्त है, तो बीमार पशु का दूध सबसे आखिर में निकालें।
विभाग के अनुसार लम्पी स्किन बीमारी
इतनी जानलेवा नहीं है, इसकी मृत्यु दर महज एक प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में एतिहात बरतकर पशुओं को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।
बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से रखें अलग : डॉ. वीरेंद्र सिंह
रतिया । उपमंडलाधीश डॉ. वीरेंद्र सिंह ने सोमवार को सहनाल रोड स्थित श्री शिव भोले नंदीशाला में लम्पी स्किन रोग की रोकथाम के लिए अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि वायरस से संक्रमित पशु में पहले बुखार आना, खाल पर छोटी छोटी गांठे बनना, पशुओं में गले के नीचे, गादी, छाती व पैरों में सूजन आना जैसे लक्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि उचित देखभाल व ईलाज से बीमार पशु 10-15 दिनों में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है पशुओं का घर द्वार पर टीकाकरण जारी है। एसडीएम ने कहा कि रतिया में पशुओं को अब तक 7 हजार के करीब टीकाकरण किया जा चुका है। श्री शिव भोले नंदीशाला में पशुओं को डाक्टरों की टीम द्वारा 700 के करीब टीकाकरण किया और टैग भी लगाया गया।
उन्होंने अधिकारियों को पशुपालकों को लंपी स्किन बीमारी के प्रति जागरूक करने व बीमार पशुओं को तुरन्त उपचार प्रदान करने के निर्देश दिए। उपायुक्त प्रदीप कुमार के आदेशानुसार लम्पी बीमारी की रोकथाम के लिए जिला में धारा 144 लगाई गई है। अधिक पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना प्रतिबंधित है। नंदीशाला में डाक्टरों की टीम द्वारा एसडीएम को रोग के रोकथाम के लिए किए प्रयासों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई गई। इस दौरान रतिया पश चिकित्सक डॉ. सुनील बिश्नोई, वीएलडीए मैनपाल, कुलदीप सिंह, बलजीत सिंह, नंदीशाला प्रधान बलविंद्र सिंह, सीताराम, संजय, बलदेव सिंह, गिरधारी, अशोक गर्ग, नवीन, महावीर, विनोद उपस्थित रहे।
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