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समय और खर्च की होगी बचत
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प्रति एकड़ 500 रुपये आएगा खर्चा
गुरूग्राम। (सच कहूँ/संजय मेहरा) जिस तरह से ड्रोन से सेनाएं दुश्मन पर नजर रखती हैं। ड्रोन से सरकार जमीनों की मैपिंग आदि का काम करवा रही हैं। ड्रोन विवाह-शादियों में हवाई चित्र, वीडियोग्राफी के काम में लिया जा रहा है। इसी तरह से अब ड्रोन खेतों में भी काम करेगा। इससे किसानों के समय और धन की भी बचत होगी। आम तौर पर किसान स्वयं या मजदूरों के माध्यम से अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। जिन किसानों की खेती ज्यादा है, उन्हें इस काम के लिए अधिक खर्चा भी करना पड़ता है और समय भी ज्यादा लगता है। किसानों को सहूलियत के लिए अब ड्रोन भूमिका निभाएगा। ड्रोन तकनीक के माध्यम से खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। ट्रायल के तौर पर इसका प्रयोग गांव राजावास के खेतों में किया गया। खास बात यह है कि किसानों का इस काम पर अब खर्चा भी कम ही आएगा। एक एकड़ जमीन में बोई गई फसल में कीटनाशक के छिड़काव पर मात्र 500 रुपये ही खर्चा होगा। जो कि मजदूरों या किसानों द्वारा खुद काम करने पर एक एकड़ जमीन में यह खर्चा करीब 2000 हजार रुपये आता है। साथ ही फसलों में घूमने पर फसलों को भी नुकसान होता है।
मशीनों से फसलों को होता है नुकसान
समय के साथ फसलों में मशीनीकरण का भी जमाना शुरू हुआ। ट्रैक्टर के पीछे बड़ा टैंक लगाकर और उस टैंक से पाइप के माध्यम से छिड़काव किया जाने लगा है। इससे फसलों को नुकसान पहुंचता है। खेतों में लहलहाती फसलें टूट जाती हैं और पौधे टूटने के कारण मर जाते हैं। यह सीधे तौर पर किसान का ही नुकसान होता है। फसलों को कई तरह के नुकसान से ड्रोन तकनीक बचाएगी। ड्रोन से छिड़काव करते समय अब ना तो खेतों में फसलें टूटेंगी और ना ही अधिक खर्चा देना पड़ेगा। ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर किसान बेहतर तरीके से अपनी फसलों में कीटनाशकों के अलावा अन्य चीजों का भी छिड़काव कर सकेंगे। मानेसर की एक कंपनी में विशेष तौर पर तैयार किए गए ड्रोन किसानों को किराए पर उपलब्ध होंगे। रेवाड़ी जिला के बेरली गांव से फिलहाल यह ड्रोन लिए जा सकते हैं। डिमांड के अनुसार इन्हें दूसरे जिलों में भी भेजा जाएगा।
ट्रायल में पास हुई ड्रोन तकनीक
पटौदी से सटे गांव राजावास में ड्रोन तकनीक का ट्रायल किया गया। इस दौरान हरियाणा डेयरी विकास प्रसंघ के पूर्व चेयरमैन एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा ने जीएलएस फार्म हाउस से इस विशेष ड्रोन को संचालित किया। इसका काफी समय तक ट्रायल किया गया। इस तकनीक को देखने काफी संख्या में किसानों ने भी शिरकत की। सभी को विस्तार से इस ड्रोन की खूबियां बताई गई। जीएल शर्मा ने कहा कि निसंदेह यह तकनीक किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
बता दें कि ड्रोन अब हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रहा है। गत वर्ष अरावली में पेड़ों के बीजों का छिड़काव कराया गया। लाखों बीज अरावली की श्रृंखला में ड्रोन से बरसाए गए, जो अंकुरित होकर पौधे बन चुके हैं। आने वाले कुछ समय में वे पेड़ों का रूप लेकर अरावली को और अधिक हरा-भरा कर देंगे।
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