ऐसे दृढ़ विश्वासी जीव इतिहास में भी किसी गुरु को नहीं मिले जो हमें मिले हैं।
चंडीगढ़ (एम के शायना)। पांच वर्ष के लंबे इंतजार के बाद बरनावा आश्रम से पूज्य गुरु जी ने ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साधसंगत को दर्शन देकर निहाल किया। इसके बाद पूज्य गुरु जी ने वर्षों से तड़प रही साध-संगत की पुकार सुनते हुए बरनावा से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से लगातार लाइव दर्शन दिए। गुरु और शिष्य का बंधन अटूट होता है। आपदाएं, मुसीबतें कैसी भी आई पर डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु टस से मस नहीं हुए।
जैसा कि पूज्य गुरु जी ने 2017 में भी फरमाया था कि ऐसे दृढ़ विश्वासी जीव इतिहास में भी किसी गुरु को नहीं मिले जो हमें मिले हैं। इसलिए कहते हैं कि जब शिष्य अपने गुरु की तरफ एक कदम बढ़ाता है तो गुरु अरबों खरबों कदम शिष्य की तरफ दौड़ा चला आता है। ऐसा ही नजारा बरनावा में लाइव के माध्यम से जुड़ी करोड़ों की साध-संगत के बीच देखने को मिला।
पूज्य गुरु जी ने साध-संगत का प्रेम और दृढ़ विश्वास पहले से ज्यादा देख उन्हें अपने पावन वचनों से मालामाल कर दिया। लाइव सत्संग के दौरान पूज्य गुरु जी ने साध संगत से दो वचन मांगे।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया, “आप अगर हमें कोई तोहफा देना चाहते हैं तो हम भी आपसे तोहफे लेना चाहते हैं। पहला तोहफा, ‘ तीन वचनों पर ठोक कर पहरा देना है’। दूसरा तोहफा, ‘दृढ़ यकीन रखना है’ अगर आप यह दोनों तोहफे हमें देना चाहते हैं तो हाथ खड़ा करके वादा करें कि यह तोहफे हम आपको देना चाहते हैं। (साध-संगत ने पूरी दृढ़ता के साथ हाथ खड़े कर के नारा लगाकर सतगुरु जी को यह तोहफा दिया)।
आगे पूज्य गुरु जी ने फरमाया”अगर आप हमें यह दो तोहफे दे रहे हैं तो हम भी आपको यह तोहफा देने से पीछे नहीं हटेंगे, अगर हम आपको पहले बूंद बूंद रहमत लुटाया करते थे तो आज से समुंदर लुटाया करेंगे। आगे पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आपको कहने बोलने सोचने की जरूरत नहीं पड़ने देगा शाह सतनाम शाह मस्तान, मेरा रहबर दाता।
तो कोई कमी नहीं आएगी आपकी जिंदगी में”। पूज्य गुरु जी के पावन मुखारविंद से इतने जबरदस्त वचन सुनते ही उस समय मौजूद रही साध संगत की आंखें भर आई। आपको बता दें कि पूज्य गुरु जी के वचनों के अनुसार आज किसी भी दृढ़ विश्वासी डेरा प्रेमी के घर में कोई परेशानी, दिक्कत नहीं है। साध संगत पूज्य गुरु जी के वचनों पर हूबहू अमल कर रही है और खुशियों से लगातार लबरेज होती जा रही है। गौरतलब हैं कि पूज्य गुरु जी बरनावा आश्रम में 30 दिन तक रहे और हर रोज साध-संगत को दर्शन व रूहानी वचनों की सौगात देते रहे।
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