नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में टेक्नालाजी का उपयोग बढ़ाने और गांव-गांव इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए सरकार काम कर रही है, जिससे खेती में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पढ़े-लिखे युवा गांवों में ही रहकर कृषि की ओर आकर्षित होंगे। तोमर ने कहा कि अमृतकाल में हिंदुस्तान की कृषि की विश्व प्रशंसा करें, यहां ज्ञान लेने आएं, ऐसा हमारा गौरव हों, विश्व कल्याण की भूमिका निर्वहन करने में भारत समर्थ हों। तोमर ने यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रंखला की समापन कड़ी में कही। यह श्रंखला 17 मार्च 2021 को शुरू हुई थी और विभिन्न विषयों पर 75 व्याख्यान विशेषज्ञों, प्रख्यात वैज्ञानिकों, नीति-निमार्ताओं, आध्यात्मिक नेताओं, प्रेरक वक्ताओं और सफल उद्यमियों द्वारा दिए गए। समापन अवसर पर तोमर ने ‘आत्मनिर्भर कृषि’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लगातार इस बात की कोशिश करते रहे हैं कि कृषि क्षेत्र को सरकार का पूरा सहयोग-समर्थन मिलें, इसलिए अनेक योजनाओं का सृजन भी किया गया है, जिन पर राज्य सरकारों के सहयोग से काम चल रहा है।
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से उद्बोधन में भी कृषि क्षेत्र को पुन: महत्व दिया है, जो इस क्षेत्र में तब्दीली लाने की उनकी मंशा प्रदर्शित करता है। प्रधानमंत्री ने आह्वान किया था कि किसानों की आय दोगुनी होना चाहिए, कृषि में टेक्नालाजी का उपयोग व छोटे किसानों की ताकत बढ़ना चाहिए, हमारी खेती आत्मनिर्भर कृषि में तब्दील होना चाहिए, पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए, कृषि की योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता होना चाहिए, अनुसंधान बढ़ना चाहिए, किसानों को महंगी फसलों की ओर जाना चाहिए, उत्पादन व उत्पादकता बढ़ने के साथ ही किसानों को उनकी उपज के वाजिब दाम मिलना चाहिए। इस आह्वान पर राज्य सरकारें, किसान भाई-बहन, वैज्ञानिक पूरी ताकत के साथ जुटे हैं और इसमें आईसीएआर की भी प्रमुख भूमिका हो रही है। पिछले दिनों में किसानों में एक अलग प्रकार की प्रतिस्पर्धा रही है कि आमदनी कैसे बढ़ाई जाए।
आईसीएआर व कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि के विकास में बहुत अच्छा काम किया
तोमर ने भारतीय कृषि की विकास यात्रा और आईसीएआर के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि उत्पादन में आज हम विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हैं और खाद्यान्न की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ अन्य देशों को भी उपलब्ध करा रहे हैं। यह यात्रा और बढ़े, इसके लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। खेती व किसानों को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाना है। आईसीएआर व कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि के विकास में बहुत अच्छा काम किया है। उनकी कोशिश रही है कि नए बीजों का आविष्कार करें, उन्हें खेतों तक पहुंचाएं, उत्पादकता बढ़े, नई तकनीक विकसित की जाएं और उन्हें किसानों तक पहुंचाया जाएं। जलवायु अनुकूल बीजों की किस्में, फोर्टिफाइड किस्में जारी करना इसमें शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिकों ने कम समय में अच्छा काम किया, जिसका लाभ देश को मिल रहा है।
आईसीएआर बहुत ही महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जिसकी भुजाएं देशभर में फैली हुई हैं। कृषि की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संस्थान लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आईसीएआर परिवार व समस्त संबद्ध संस्थान, वैज्ञानिक और कृषि विश्वविद्यालयों को संकल्प करना चाहिए कि एक निर्धारित अवधि के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकें, देश की प्रतिष्ठा दुनिया के मानचित्र में प्रतिष्ठापित हो सकें, दुनिया को हम कृषि क्षेत्र में योगदान दे सकें।
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