मंगलवार को जब अमेरिकी गणतंत्र के नागरिक अपने देश के 45वें राष्ट्रपति के चुनाव हेतू वोट डालने के लिए अपने घरों से निकल कर मतदान केन्द्रों की ओर जा रहे होंगे, उस वक्त उनके जहन में एक बात जरूर होगी कि वे अपने वोट के जरिये जिस व्यक्ति को अमेरिकी राष्ट्र का मुखिया बनाने जा रहे हैं, सत्ता में आने के बाद क्या वह देश की प्रतिष्ठा, उसके सम्मान तथा सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित अमेरिकी रूतबे को कायम रख पाएगा।
अमेरिकी मतदाताओं के भीतर उठने वाली ऐसी आंशका इसलिए बेजा नहीं लगती कि इस दफा दोनों प्रत्याशियों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव को राष्ट्र की प्रतिष्ठा की बजाए, व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न समझ लिया है। प्रचार अभियान के दौरान दोनों ने एक-दूसरे के विरूद्ध जिस तरह से हल्की व छिछली भाषा का प्रयोग किया, उससे राष्ट्रीय मुद्दे पूरी तरह हाशिये पर आ गए। पिछले छह माह से प्रचार अभियान में लगे दोनों प्रमुख प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन व डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक सभाओं, मीडिया साक्षात्कारों, टीवी चेनल्स तथा चुनाव से पूर्व हुई सार्वजनिक बहस के दौरान एक-दूसरे के विरूद्ध जिस तरह से व्यक्तिगत मामलों को आधार बनाकर हमला किया गया, उससे देश और दुनिया से जुडे महत्वपूर्ण मुद्दे हवा हो गये।
प्रत्याशियों के व्यव्हार के अनुरूप अमेरिकी मतदाताओं का व्यवहार भी इस दफा कुछ बदला बदला सा लग रहा है। अब जबकी चुनाव में महज कुछ ही घंटे शेष हैं, पर तस्वीर अभी पूरी तरह से साफ नहीं हुई है। पिछले स΄ताह तक ट्रम्प से काफी आगे चल रही हिलेरी क्लिंटन अब अंतिम चरण में पिछड़ती हुई लग रही हैं। वांशिगटन पोस्ट के अनुसार दोनों के बीच कांटे का मुकाबला है। अखबार द्वारा करवाये गये सर्वे में 49 फीसदी मतदाता हिलेरी क्लिंटन की ओर तथा 47 प्रतिशत वोटर ट्रम्प की ओर झुके दिख रहे हैं। अखबार द्वारा करवाये गये ताजा सर्वे के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प महज एक अंक पीछे चल रहे हैं। हिलेरी को 46 प्रतिशत और ट्रंप को 45 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।
ऐग्जिट पोल और चुनाव सर्वे पर नजर रखने वाली रियरक्लियर पॉलिटिक्स ने हिलेरी की औसत बढ़त घटाकर 2़2 अंक कर दी है। एक पखवाड़े पूर्व तक उनकी औसत बढ़त आठ अंकों से ज्यादा थी। हालांकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मूडी मॉडल हिलेरी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे है। मूडी मॉडल मतदाताओं की राय जानने का एक तरीका है, जिसमें उम्मीदवार की व्यक्तिगत योग्यता की परख किये जाने के बजाए राजनीतिक दल की उपलब्धियों और वोटरों से जुड़ाव के आधार पर अनुमान तैयार किया जाता है। मूडी मॉडल को आधार बनाकर की गई भविष्यवाणी काफी हद तक सच साबित होती रही है। अगर इसके अनुमान को सही माने तो हिलेरी को 332 व डोनाल्ड ट्रम्प को 206 इलेक्टोरल वोट मिलने का अनुमान है।
अब चुनाव के अंतिम चरण में दोनों ही उम्मीदवारों को अपनी पूरी ताकत स्विंग स्टे्टस को लुभाने में झोंकनी होगी। स्विंग स्ट्ेटस वे राज्य होते हैं, जहां के मतदाता अंतिम समय तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाते हैं और वे किसी भी तरफ जा सकते हैं। ऐसे राज्यों में कोलंबिया डीसी के साथ वो 18 राज्य आते हैं, जहां पर पिछले छह चुनावों से लगातार डेमोक्रेटिक प्रत्याशियों को जीत हासिल होती रही है। इन 18 राज्यों में मिशिगन, पेन्सेल्वििनिया, विस्किोन्सिन, मिन्नसोटा, ओहियो, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, न्यू हैंपशायर और लोवा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, जहां के वोटर आखिरी वक्त चुनाव का पासा पलट देते हैं। अफ्रीका, मैक्सिको, लातिन अमेरिकी देशों से आये मतदाता भी अमेरिकी चुनाव में बड़ा उलट फेर करते रहे है। 2008 के चुनाव में बराक ओबामा को 67 फीसदी मतदाताओं ने समर्थन दिया था।
भारत के नजरिये से हिलेरी व ट्रम्प में से चाहे कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हो भारत-अमेरिकी रिश्ते पूर्व की भांति ही रहेंगे। पहले बात करते हंै डोनाल्ड ट्रंप की। ईस्लाम और आतंकवाद पर खरी-खरी कहने वाले ट्रंप अपने पाक विरोधी ब्यानों के कारण लगातार सुर्खियों में रहे हैं। पाकिस्तान को पूरी दुनिया के लिए खतरनाक देश बताकर उन्होंने साफ-साफ शब्दों में पाक को चेता दिया है कि अगर वे सत्ता में आते है तो पाकिस्तान को आतंकवाद पर आधारित अपनी नीति बदलनी पडेगी। साथ ही उनका यह कहना कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत की मदद लेगे। ट्रम्प के इस ब्यान से अमेरिकी विदेश नीति के भावी स्वरूप के संकेत मिल जाते हैं।
अब बात करते हैं डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की । उन्होंने अपने पार्टी ΄लेटफॉर्म (चुनावी घोषणा पत्र) में भारत को महत्वपूर्ण देश मानते हुए कहा है कि अगर वह सत्ता में आती हैं तो भारत को लंबे समय तक रणनीतिक सलाहकार बनाकर रखना चाहेंगी। साथ ही उनके घोषणा पत्र में भारत के लोकतंत्र की सरहाना करते हुए दोनों देशों के बीच रिश्ते को और मजबूत करने पर बल दिया गया है।
आठ साल बाद संयुक्त राज्य अमेरिका पुन: एक ओर इतिहास निमार्ण की ओर बढ़ रहा है। आठ नंवबर को हो रहे चुनाव के बाद अब देखना यह है कि व्हाईट हाउस के दरवाजे हिलेरी क्लिंटन के लिए खुलते है अथवा डोनाल्ड ट्रम्प के लिए। लेकिन यह तय है कि इस दफा अमेरिकी मतदाता ऊहा-पोह व द्वंद्व की स्थिति में है। मतदान को एक धार्मिक कर्म की तरह समझने वाला अमेरिका का मतदाता ने इस बार वोट तो डालना ही है कि भावना के साथ वोट डालेगे न कि अपनी पंसद की सरकार बनाने के उदेश्य से । अभी भी उनकी धारणा यही है कि दोनों ही बुरे प्रत्याशियों में से उन्हें किसी एक कम बुरे का चुनाव करना है। एन.के. सोमानी