बोले-लोगों के जीवन को आसान बनाना ही मकसद
श्रीनगर। कहते हैं कि अगर आपके अंदर किसी काम को शिद्दत से करने का जुनून है तो उसमें कामयाब होने से आपको कोई नहीं रोक सकता। ऐसा शख्स अपनी सजगता के चलते न सिर्फ वर्तमान बल्कि भविष्य की जरूरतों में भी बखूबी वाफिक हो जाता है। ऐसे ही शख्स हैं गणित अध्यापक बिलाल अहमद। वर्तमान दौर में जिन इलैक्ट्रिक वाहनों का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। बिलाल ने अपनी 1998 माडल निसान माइक्रा कार के बेस मॉडल को इलेक्ट्रिक कार में बदल डाला था। और अब तकरीबन 13 साल की मेहनत के बाद, बिलाल ने खुद के घर पर ही एक सोलर कार बनाकर तैयार कर दी है। दूर से उनकी कार के दरवाजे, खुलने पर आपको ‘ट्रांसफॉर्मर्स’ मूवी की याद आ जाएगी। उनकी यह कार सभी तरह के आधुनिक गैजेट्स से लैस और पूरी तरह से स्वचालित यानी आॅटोमैटिक है।
मुश्किलों से नहीं मानी हार
बिलान ने कहा कि मैंने, 2009 में इस ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरूआत अपने घर के बैकयार्ड से ही की थी। संसाधनों की कमी कश्मीर की प्रमुख चुनौती है। इस कार पर काम करते समय, मुझे अक्सर उपकरण खरीदने की चुनौती का सामना करना पड़ता था। स्थानीय बाजारों में कोई प्रोडक्ट खरीदने में मेरा काफी समय और पैसा लग जाता था। इसलिए कई बार मैं पुराने प्रोडक्ट्स ही इस्तेमाल कर लेता था। वहीं, कई बार कुछ चीजें आॅनलाइन मंगवाता था।’ बिलाल कहते हैं कि एक बार उन्हें एक सेंसर खरीदने के लिए एक साल से अधिक का समय लगा।
इस तरह गाड़ी के प्रोजेक्ट को डिजाइन करने में ही उन्हें सात साल का समय लग गया। वह अक्सर फीडबैक के आधार पर अपनी इस इलेक्ट्रिक कार में छोटे-मोटे बदलाव करते रहते थे। लेकिन आखिरकार, सालों की मेहनत रंग लाई और उनकी बनाई कार पूरे कश्मीर सहित देशभर में लोकप्रिय हो गई। वह कहते हैं, ‘मुझे इस कार का डिजाइन पसंद आया था और मुझे लगा कि यह इस प्रोजेक्ट के लिए बिल्कुल सटीक कार है। लेकिन इस कार में मोटर को गियर से जोड़ना मेरे लिए सबसे कठिन चुनौतियों में से एक था। बाद में मैंने इसमें सोलर पैनल लगाया।’
ऐसे तैयार की सोलर कार
उनकी कार का लगभग पूरा बाहरी भाग काले रंग के सोलर पैनल से कवर है। कार एक उच्च किलोवाट मोटर से संचालित होती है और रोड पर एक सामान्य कार की तरह चलती है। इस सोलर कार में आराम से पाँच लोग बैठ सकते हैं। बिलाल ने कार में एक चार्ज होने वाली बैटरी भी लगाई है, इसलिए इसे किसी चार्जिंग स्टेशन पर चार्ज करना भी आसान है। बिलाल ने बताया कि कार के सोलर पैनल अधिक धूप की दिशा में अपने आप घूमते हैं। इस विशेषता का कश्मीर जैसी जगहों में अधिक महत्व है, जहां सर्दियों के दौरान बादल छाए रहते हैं। सामान्य सोलर पैनल ऐसे मौसम में आमतौर पर 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कम काम करते हैं। इसलिए उन्होंने, मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों का उपयोग किया है, जो कम धूप में भी अच्छे से काम करते हैं।
और भी अविष्कार कर चुके हैं बिलाल
साल 2009 में कार बनाने से पहले, बिलाल अहमद ने एलपीजी नियंत्रण सुरक्षा उपकरण बनाया था और उसे पेटेंट भी कराया था। अगर कोई गैस का रेगुलेटर बंद करना भूल जाता है, तो बिलाल का एलपीजी कंट्रोल डिवाइस, गैस को बंद कर देता है। डिवाइस को कहीं से भी फोन के जरिए रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। इस बेहतरीन मशीन को बनाने के बाद, उन्होंने आम जनता के लिए प्राकृतिक साधन से चलने वाली कार विकसित करने के बारे में सोचा। तभी से शुरू हुआ सोलर कार के आविष्कार का काम। लेकिन अभी भी बिलाल रुके नहीं हैं, वह अभी भी इस कार में कुछ बदलाव करना चाहते हैं, ताकि यह आम इंसान के इस्तेमाल के लिए एक बेहतरीन कार बन जाए।
15 लाख रुपये आई लागत
बिलाल ने बताया कि उनकी कार आज के दौर की हर एक आधुनिक सुविधा के साथ तैयार की गई है। इसके बावजूद, इसकी कीमत बाजार में मिलने वाली इलेक्ट्रिक कार से काफी कम है। बिलाल कहते हैं अगर इसे ज्यादा संख्या में बनाया जाए, तो इसकी कीमत मात्र छह से आठ लाख के करीब होगी। हालांकि, उन्हें इस कार को बनाने में 15 लाख का खर्च आया, जिसका एक कारण यह था कि उन्होंने इतने सालों में कई तरह के प्रयोगों के साथ इसे बनाया है।
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