शिमला (एजेंसी)। हिमाचल प्रदेश में पशुओं को मौत की नींद सुलाने वाली लंपी वायरस देश भर में पांव पसारने लगी है। इस बीमारी से देश भर सहित शिमला में हड़कंप मच गया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में दहशत मचाने के बाद अब इसका संक्रमण हिमाचल में भी फैल रहा है। प्रदेश की राजधानी शिमला से सटे आनंदपुर और बड़ा गाँव व पं थाघाटी क्षेत्र में इससे दर्जन गायों की मौत हो गई है। वहीं कई पशु संक्रमित हो चुके हैं और 50 से अधिक पशुओं की मौत भी हो चुकी है। ‘लंपी’ वायरस एक तरह का त्वचा रोग है। जिसका मच्छरों, मक्खियों, जुओं आदि की वजह से फैलाने का खतरा माना जाता है।
मवेशियों में एक दूसरे के संपर्क में आने ये बीमारी जानवरों में फैल सकती है। ये बीमारी जानलेवा हैं। यही वजह है की इससे जानवर की मौत हो रही है। अभी तक ये बीमारी दुधारू गायों को मौत की नींद सुला रही है। हालांकि राहत की बात ये है कि इस बीमारी के इंसानों में फैलने का मामला सामने आया है। अब देखना है की पशुपालन विभाग इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाता है।
यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है
नाहन स्थित पशु पालन विभाग की उपनिदेशक नीरू शबनम ने बताया कि जिला सिरमौर के राजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत नैना टिक्कर व नारग, नाहन ब्लाक के अंतर्गत कालाअंब सैनवाला और शंभूवाला के पशुओं में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है। इसे गाठदार वायरस एलएसडीवीभी कहा जाता है। उन्होंने इस वायरस के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि इस वायरस के फैलने से पशुओं को 105 से 107 डिग्री सेल्सियस तेज बुखार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पशुओं के शरीर में निशान बनते हैं और बाद में निशान घाव बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि पशुओं के मुंह से लार टपकनी शुरू होती है।
उन्होंने बताया कि इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण गायों में होता है। सुश्री शबनम ने बताया कि पशुपालकों को अपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। लंपी त्वचा रोग से पशुओं को बचाने के लिए घर पर ही मौजूद चीजों की मदद से पारंपरिक विधि अपनाते हुए खुराक तैयार करनी होगी। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को यह खुराक तैयार करने के लिए पान के 10 पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक व गुड को मिलाने के बाद पीसकर एक खुराक तैयार करनी होगी और उसे न्यूनतम एक घंटे के अंतराल पर पशुओं को बार-बार खिलाना होगा ताकि जानवरों को बचाया जा सकें।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।